Magadh University VC: मगध विश्‍वविद्यालय के वीसी के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी, सामने आई करोड़ों की काली कमाई

Magadh University VC: मगध विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) प्रो. राजेंद्र प्रसाद के घर पर स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने छापेमारी की।

Newstrack :  Network
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-11-18 06:54 GMT

राजेंद्र प्रसाद का आवास (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Magadh University VC: बिहार के मगध विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) (Magadh University VC) राजेंद्र प्रसाद (Rajendra Prasad) के घर पर स्पेशल विजिलेंस यूनिट (special vigilance unit) ने छापेमारी की। इस छापेमारी में स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने बड़ा खुलासा किया है। रेड (Raid) के दौरान यूनिट को कुलपति के खिलाफ 30 करोड़ रुपये से ज्यादा का सरकारी संपत्ति गबन करने का मामला हाथ लगा। इसके अलावा उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने रिश्‍तेदार की एजेंसी से करोड़ों की खरीदारी की है।

प्रो.राजेन्‍द्र प्रसाद के गोरखपुर वाले आवास पर बुधवार (17 नवंबर) की सुबह विजिलेंस की यूनिट अचानक पहुंची। टीम को उनके गोरखपुर आवास पर 70 लाख नकद और एक करोड़ रुपए की अचल संपत्ति की जानकारी प्राप्त हुई थी। इतना हीं नहीं टीम ने यहां से पांच लाख की फॉरेन करेंसी भी जब्त की है।

रेड के दौरान टीम को पता चला कि वीसी मगध विश्वविद्यालय (Magadh University) के माध्यम से भी कमाई करते हैं। विश्वविद्यालय में मात्र 47 सुरक्षा गार्ड तैनात किए है और भुगतान 86 गार्डों के नाम पर लिया जा रहा है। फिलहाल स्पेशल बिजनेस यूनिट की टीम (Special Business Unit Team) ने इससे संबंधित सभी कागजात और साक्ष्य जब्त कर लिए हैं।

बता दें कि ये छापेमारी गोरखपुर के डीएसपी स्तर के अधिकारी लव कुमार (Luv Kumar) और रंजन कुमार (Ranjan Kumar) के नेतृत्व में किया गया है।राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ जानकारी मिलने पर टीम ने पहले निगरानी थाने में केस दर्ज कराया। इसके बाद न्यायालय से सर्च वारंट हासिल कर वीसी के कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की।

कौन है प्रो.राजेन्‍द्र प्रसाद?

प्रो.राजेन्‍द्र प्रसाद मगध विश्‍वविद्यालय के कुलपति है। इससे पहले वे बोधगया के कुलपति और गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के मिलिट्री साइंस डिपार्टमेंट के पूर्व विभागाध्‍यक्ष भी रहे चुके है। इसके अलावा वे वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी (Veer Kunwar Singh University) और आरा के प्रभारी कुलपति के पद पर भी काम कर चुके है। इस दौरान उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और विश्वविद्यालय के नाम पर कई अवैध चीजों को खरीदा।

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