मशहूर मैथमेटिक्स गुरु ने अपना असली नाम बताया, सोशल मीडिया पर लोगो ने कहा रियल हीरो...
Mathematics Guru RK Srivastava: मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव के जन्मदिन पर हर कोई उनका असली नाम जानना चाहता है....
Mathematics Guru RK Srivastava: जब मीडिया ने आरके श्रीवास्तव से पुछा तो उन्होने बताया की मेरा घर के पुकार का नाम सोनू है। मेरा पूरा बिक्रमगंज शहर, मेरे दोस्त और पुराने सारे स्टूडेंट्स सोनू भैया के नाम से बुलाते है। रही बात आरके श्रीवास्तव की तो मेरा सर्टिफ़िकेट पर नाम रजनी कान्त श्रीवास्तव है। उन्होने बताया की मेरे बड़े भैया मशहूर फिल्म अभिनेता रजनी कान्त के बड़े फैन थे तो उन्होने मेरा नाम रजनी कान्त रखा।
अपने शैक्षणिक कार्यशैली और जादुई तरीके से गणित पढाने हेतु देश एवं दुनिया को अपना दीवाना बनाने वाले वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव के जन्मदिन पर पूरे देश- विदेश से उनके सफल शिष्यो सहित उनके प्रसंशको ने उन्हें शुभकामनाये संदेश दिया।उनकी कड़ी मेहनत और गणित पढ़ाने का उत्साह ने उन्हें आज लाखो स्टूडेंट्स का रोल मॉडल बना दिया। बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज जैसे छोटे शहर के आरके श्रीवास्तव संघर्ष एवम मेहनत के बलपर देश- विदेश में अपने पहचान बनाने वाले शिक्षकों के रूप में जीता-जागता उदाहरण हैं।
आरके श्रीवास्तव के संघर्ष और सफलता की कहानी जितनी आश्चर्यजनक है, उतनी ही रोमांचक भी, जितनी अविश्वसनीय है, उतनी ही सम्मोहक भी। मूलतः आरके श्रीवास्तवा ( रजनी कांत श्रीवास्तवा) जमोढी ( नटवार) निवासी अपने पिता पारस नाथ लाल और बड़े भाई शिवकुमार की असामयिक मृत्यु के बाद भी गरीब होनहारों को कामयाबी तक पहुचाने में लगे हुए है।आज आरके श्रीवास्तव के कामयाबी की धुन देश-विदेश में भी बज चुके है।
आरके श्रीवास्तव कायस्थ परिवार से संबंध रखते हैं। पांच वर्ष के उम्र में पिता पारस नाथ लाल के गुजरने के बाद श्रीवास्तव का जीवन काफी संघर्षो से गुजरा।
आरती देवी (आरके श्रीवास्तव की माँ)
पांच वर्ष के उम्र में पिता के गुजरने के बाद आरती देवी ने काफी गरीबी के दौर से गुजरते हुए अपने बेटे आरके श्रीवास्तव को पढ़ा लिखा एक काबिल इंसान बनाया।आरके श्रीवास्तव बताते है कि माँ के आशिर्वाद के बिना कोई भी उपलब्धि को पाना असंभव
जिम्मेदारी कब किसको किस उम्र मे निभाना पड़े। यह सब समय का चक्र ही बता सकता है। हर अंधेरे के बाद उजाला जरूर होता है। पति पारस नाथ लाल के गुजरने के बाद कैसे आरती देवी ने अपने संघर्ष के बल पर अपने बेटे- बेटियो को पढ़ाया लिखाया ।
आरके श्रीवास्तव बताते है कि पाॅच वर्ष के उम्र मे ही पिता को खोने का गम अभी दिल और मन दोनों से मिटा भी नही था की पिता तुल्य इकलौते बड़े भाई भी इस दुनिया को छोड़ चले गये। पापा का चेहरा तो हमे याद भी नही बस कभी रात को सोते वक्त सोचता हूँ तो धुॅधला धुधला सा दिखाई देता है। बड़े भाई शिव कुमार श्रीवास्तव अपने बेटे बेटियो से भी अधिक प्यार आरके श्रीवास्तव से करते थे।
बचपन मे पिता के गुजरने के बाद श्रीवास्तव के बड़े भाई का उम्र भी खेलने कूदने का था परंतु जिम्मेदारी कब किसको किस उम्र मे निभाना पड़े, यह सब समय का चक्र ही बता सकता है। श्रीवास्तव के बड़े भाई ने पिता के गुजरने के बाद बहुत कम उम्र में परिवार चलाने की जिम्मेवारी काफी संघर्ष कर बखूबी निभाया। आरके श्रीवास्तव के लिए उनके भाई का बहुत बड़ा सपना था कि उनका भाई पढ़ लिखकर बड़ा इंसान बने। वर्ष 2014 में बड़े भाई के आकस्मिक निधन के बाद श्रीवास्तव पूरे तरह से टूट चुके थे। श्रीवास्तव पर बहुत कम उम्र में ही तीन भतीजियों की शादी, भतीजे को पढाने लिखाने की जिम्मेवारी आ गया। लेकिन एक कहावत है कि हर अंधेरे के बाद उजाला जरूर होता है।
आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली एवम उपलब्धिय
आरके श्रीवास्तव कहते है की गणित की शिक्षा देना मेरा पेशा नही बल्कि शौक है, आपको एक ऐसे ऑटो रिक्शा वाले के अनोखे प्यार के बारे में बताने जा रहे है जिसके गणित के प्यार ने सिर्फ 1 रूपया में बना दिया 559स्टूडेंट्स को इंजीनियर। बिहार राज्य के रोहतास जिले में रहने वाले शिक्षक आरके श्रीवास्तव न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया के इंजीनियरिंग स्टुडेंट्स के बीच एक चर्चित नाम हैं। इनका '1 रूपया गुरु दक्षिणा' प्रोग्राम विश्व प्रसिद्ध है। इसके तहत वे आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को 1 रूपया गुरु दक्षिणा लेकर इंजीनियर बना रहे। आरके श्रीवास्तव की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उनके शैक्षणिक कार्यशैली के तहत आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को 1 रूपया में इंजीनियर बनाकर राष्ट्र निर्माण मे योगदान के लिये प्रशंसा कर चुके है।
1 रूपया गुरु दक्षिणा वाले आरके श्रीवास्तव
आपको वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर बिहारी गुरु आरके श्रीवास्तव के गणित के प्रति प्रेम के बारे में बताते है। कभी गरीबी के कारण ऑटो रिक्शा से होने वाले इनकम से परिवार का भरण पोषण होता था, अब सैकङो आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई प्रवेश परीक्षा में सफलता दिलाकर उनके सपनो को पंख लगा चुके है। 450 क्लास से अधिक बार पूरे रात लगातार 12 घंटे बिना रुके स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाना कोई चमत्कार से कम नहीं। पूरे कॉन्सट्रेशन के साथ पूरे रात गणित पढाना आरके श्रीवास्तव के गणित के प्रति अद्भूत प्रेम को दर्शाता है ।