शहाबुद्दीन प्रकरण में डैमेज कंट्रोल की कोशिश, परिजनों को मनाने लालू ने बेटे को भेजा घर
शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनके परिजनों और समर्थकों की नाराजगी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है।
नई दिल्ली: सीवान के पूर्व सांसद और राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin) के निधन के बाद उनके परिजनों और समर्थकों की नाराजगी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। अपने मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट बनाए रखने के लिए लालू डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने अपने बड़े बेटे और बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव को शहाबुद्दीन के परिजनों से मिलने के लिए गुरुवार को शहाबुद्दीन के घर प्रतापपुर भेजा।
तेज प्रताप ने जताई परिवार के प्रति संवेदना
लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप ने शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा और अन्य परिजनों से मुलाकात कर पार्टी और लालू यादव की ओर से संवेदना जताई। उन्होंने शहाबुद्दीन के परिजनों को हर तरह की मदद देने का भी पूरा भरोसा दिया। शहाबुद्दीन के परिजनों से मुलाकात करने के लिए पहुंचे तेज प्रताप के साथ राजद के कई विधायक भी थे।
तेजस्वी की जगह तेजप्रताप पहुंचे प्रतापपुर
बिहार की सियासत में लालू प्रसाद यादव अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी बना चुके हैं। तेजस्वी नीतीश कुमार की सरकार में डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं और मौजूदा समय में प्रतिपक्ष के नेता भी हैं। राजद ने पिछला विधानसभा चुनाव भी उनके चेहरे पर ही लड़ा था मगर मजे की बात यह है कि लालू यादव ने तेजस्वी यादव की जगह तेज प्रताप यादव को शहाबुद्दीन के परिजनों को मनाने के लिए भेजा।
तेजस्वी से नाराज हैं शहाबुद्दीन के परिजन
सियासी जानकारों का कहना है कि लालू यादव सियासत के माहिर खिलाड़ी हैं और उन्होंने काफी सोच समझकर तेज प्रताप यादव को शहाबुद्दीन के परिवार से मिलने के लिए भेजा था। शहाबुद्दीन के परिजनों की विशेष रूप से नाराजगी तेजस्वी यादव के प्रति है। शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनके परिजन पार्थिव शरीर को दफनाने के लिए सीवान ले जाना चाहते थे मगर वे इसमें कामयाब नहीं हो सके। इसे लेकर दिल्ली में खूब हंगामा भी हुआ था और शशहाबुद्दीन के बेटे ओसामा अकेले ही पूरे हालात से निपटने में जुटे रहे।
तेजस्वी के खिलाफ निकाली थी जमकर भड़ास
पार्टी का कोई नेता उनकी मदद करने के लिए दिल्ली नहीं पहुंचा। इसके बाद शहाबुद्दीन के समर्थकों ने तेजस्वी यादव के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली थी और उनके खिलाफ नारेबाजी भी की थी। सोशल मीडिया पर भी तेजस्वी के खिलाफ खूब जहर उगला गया। उनका आरोप था कि तेजस्वी यादव ने संकट की इस घड़ी में शहाबुद्दीन के परिजनों की कोई मदद नहीं की। माना जा रहा है कि इसी कारण लालू यादव ने तेजस्वी की जगह तेज प्रताप को शहाबुद्दीन के परिजनों को मनाने के लिए भेजा था।
सहाबुद्दीन प्रकरण से मुस्लिमों में नाराजगी
बिहार में मुस्लिम-यादव गठजोड़ लालू और राजद की सबसे बड़ी ताकत रहा है मगर शहाबुद्दीन के प्रकरण को लेकर मुस्लिमों में भी नाराजगी देखी जा रही है। यही कारण है कि राजद की ओर से डैमेज कंट्रोल की कोशिश की जा रही है। शहाबुद्दीन के परिजनों से मिलने के लिए पहुंचे तेज प्रताप के साथ राजद विधायक अवध बिहारी चौधरी, जितेंद्र राय, छोटे लाल राय व सुदय यादव भी थे। बाद में तेज प्रताप ने शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा के साथ बंद कमरे में एक घंटे तक बातचीत भी की।
शहाबुद्दीन के बेटे को बताया छोटा भाई
शहाबुद्दीन के परिजनों से मुलाकात के बाद तेज प्रताप ने कहा कि दुख की इस घड़ी में राजद शहाबुद्दीन के परिजनों के साथ पूरी मजबूती से खड़ा है। उन्होंने कहा कि शहाबुद्दीन शुरू से ही राजद और लालू प्रसाद यादव के प्रति वफादार रहे हैं। उन्होंने शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को अपना छोटा भाई भी बताया और कहा कि उनका परिवार हमारा परिवार है और हमारे बीच पहले से ही काफी अच्छा संबंध रहा है।
बेटे और पत्नी ने नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
तेज प्रताप से मुलाकात के बाद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा और उनकी पत्नी हिना शहाब की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। सियासी जानकारों का कहना है कि ऐसे में अभी यह जानना मुश्किल है कि शहाबुद्दीन के परिजनों की नाराजगी दूर हुई है या नहीं। वैसे उनके समर्थकों में अभी भी राजद के प्रति काफी नाराजगी देखी जा रही है।
इस कारण परेशान हैं लालू और तेजस्वी
राजद के रघुनाथपुर से विधायक हरिशंकर यादव ने तो कई दिनों पूर्व ही कहा था कि वे पार्टी के मुखिया लालू यादव और तेजस्वी यादव को नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा कि वे शहाबुद्दीन और हिना शहाब के परिवार के प्रति वफादार हैं। शहाबुद्दीन प्रकरण को लेकर राजद में कई अल्पसंख्यक नेता पार्टी से इस्तीफा भी दे चुके हैं। यही कारण है कि लालू यादव और तेजस्वी शहाबुद्दीन के परिजनों की नाराजगी को लेकर काफी चिंतित और परेशान हैं। यह देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में शहाबुद्दीन के परिजनों की ओर से क्या रणनीति अपनाई जाती है।