गुरू बिना शिष्य किस काम का, RK Srivastava के शिष्य पिन्टू ने जग में रोशन किया नाम, फिर मैथमेटिक्स गुरु ने ऐसे रचा इतिहास

RK Srivastava : आजकल शिक्षा जगत के माहौल में जहां एक तरफ बच्चों का मन पढ़ाई से बिल्कुल हटता जा रहा है, वहीं आरके श्रीवास्तव की गाइडेंस में सफल हुए इन बच्चों ने ये दिखा दिया है कि पढ़ाई ही जीवन का आधार है।

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Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-10-24 12:59 GMT

आरके श्रीवास्तव का शिष्य पिन्टू वर्णवाल 

RK Srivastava Ke Toppers : किसी चीज को पाने के लिए मेहनत और लगन से लगा जाए, तो कुछ भी असंभव नहीं है। फिर चाहे वो कितना भी कठिन क्यों न हो। ये साबित कर दिखाया है पिन्टू वर्णवाल ने।

पिन्टू वर्णवाल बहुत ही गरीब परिवार से हैं। उनके पिता मोमबत्ती बेचते हैं। सुविधाओं का अभाव होने के बाद भी पिन्टू ने अपनी लगन और दृढ़-निश्चय से जेईई एडवांस में सफलता हासिल की है। हर कोई आज गर्व कर रहा है कि मोमबत्ती बेचने वाले का बेटा आईआईटीयन (Mombatti Bechne Vale Ka Beta Bana IITians) बन गया है।

अपनी जिंदगी के सबसे बड़े अभिशाप को पिन्टू ने वरदान में बदलकर अपने पूरे परिवार का और अपने गुरू का नाम पूरे जग में रोशन कर दिया है।

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गुरू आरके श्रीवास्तव को अपने होनहार शिष्य पर बहुत नाज

रात-दिन सिर्फ अपनी कामयाबी के पिन्टू ने जो सपने बुने थे, उन सपनों को सच होता देखा, पिन्टू की आंखें खुशी से नम हो गई। पिन्टू के गुरू आरके. श्रीवास्तव को अपने होनहार शिष्य पर बहुत नाज है।

जेईई एडवांस में परिणाम में पिन्टू की AIR-3733 रैंक आई है। परीक्षा में सफलता मिलने की खुशी अपने गुरू आरके. श्रीवास्तव का आशीर्वाद लेने के लिए अपने पिता के साथ उनके घर पहुंचा।

जहां पिन्टू ने गुरू का आर्शीवाद लेकर उनको 1 रू गुरू दक्षिणा के रूप में दी। पूरे देश आरके श्रीवास्तव पर गर्व करता है।

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आरके श्रीवास्तव ने पिन्टू जैसे कितने बच्चों को मात्र 1 रूपये की गुरू दक्षिणा लेकर सफलता का मार्ग दिखाया है। आरके श्रीवास्तव से सिर्फ बिहार के ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों से भी बच्चे पढ़ने आते हैं। जिनको अपने सपने सच करने होते हैं। जहां पढ़ने के बाद सफलता उनके कदम चूमती है।

जहां एक तरफ देश में कोचिंग संस्थान लाखों रूपये फीस के ले रहे हैं, फिर भी बच्चों का 100 प्रतिशत रिजल्ट नहीं आता है।

वहीं दूसरी तरफ बिहार के रहने वाले गुरु आरके श्रीवास्तव जो बच्चों से सिर्फ 1 रूपये गुरू दक्षिणा लेते हैं, उन्हीं के पढ़ाए बच्चों के रिजल्ट से आज पूरे राज्य का नाम रोशन हो रहा है।

बिहार में अब शिक्षा का स्तर

कभी बिहार को शिक्षा के क्षेत्र में सबसे निचले स्तर पर गिना जाता था, लेकिन गुरू और शिष्य की मेहनत ने शिक्षा का ग्राफ ही बदल के रख दिया। ऐसा ही गुरू अगर देश के हर बच्चों को मिल जाए, तो बच्चों का भविष्य कभी खराब हो ही नहीं सकता।

अपने शिष्य पिन्टू वर्णवाल के बारे में बात करते हुए गुरू आरके श्रीवास्तव ने बताया कि मेरे प्रिय स्टूडेंट गरीब परिवार के पिन्टू वर्णवाल (Pintu Barnwal) जिनके पिताजी मोमबती बेचते हैं, उनको और उनके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। उसका जेईई ऐडवांस रैंक 3733 स्थान है। पिन्टू और उसका परिवार सही में रियल हीरो है। पिन्टू के मेहनत और लगन ने दिखा दिया की गरीबी अभिशाप नही बन सकता है वरदान।

आगे आरके श्रीवास्तव ने बताया की पिन्टू और उनके पिताजी से फ़ोन पर बात की। उनको भविष्य के लिये बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं। पिन्टू आप खुब तरक्की करे आपको और आपके परिवार को ढ़ेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएँ।

बच्चे के सफल होने में जितना श्रेय उसके परिवार को होता है, उससे कहीं गुना ज्यादा श्रेय उसके गुरू का होता है। जो बच्चे को समझता है, कि उसे कैसे पढ़ाना है। कैसे गाईड करना है, कि उसका ध्यान कहीं भटके न।

आजकल शिक्षा जगत के माहौल में जहां एक तरफ बच्चों का मन पढ़ाई से बिल्कुल हटता जा रहा है, वहीं आरके श्रीवास्तव की गाइडेंस में सफल हुए इन बच्चों ने ये दिखा दिया है कि पढ़ाई ही जीवन का आधार है। गुरू शिष्य का सच्चा मार्गदर्शक होता है।

जीं हां बिहार के रहने वाले आरके श्रीवास्तव के बारे में आज कौन नहीं जानता है। जिन्होंने अपना जीवन बच्चों को कामयाब बनाने के लिए समर्पित कर दिया है।

आरके श्रीवास्तव (RK Srivastava Ke Baare Mein)

आरके श्रीवास्तव के शिष्य

1 रू गुरुदक्षिणा लेने वाले आरके श्रीवास्तव ( रजनी कांत श्रीवास्तव) बिहार के जाने-माने शिक्षक एवं विद्वान हैं। मैथमेटिक्स गुरु के नाम से मशहूर आरके श्रीवास्तव का जन्मस्थान (rk srivastava Ka Janam) बिहार है। राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज गांव नामक छोटे से गांव में जन्में आरके श्रीवास्वत इतिहास रच चुके हैं।

आरके श्रीवास्तव (rk srivastava ki classes) ने अपनी शुरूआती पढ़ाई अपनी मातृभूमि बिक्रमगंज से की। कई सालों से आरके श्रीवास्तव ने अपने गांव के गरीब और असहाय सैकड़ो बच्चों को फ्री में शिक्षा (rk srivastava bachchon ko free mein padhate) देकर आईआईटी, एनआईटी , बीसीईसीई में सफलता दिलाई।

गुरू सर्वोंपरि

आरके श्रीवास्तव के पढ़ाए हुए ये बच्चें आज देश-दुनिया में जहां भी हो, अपने गुरू को कभी नहीं भूलते हैं। जिन्होंने उन्हें कामयाब बनाया। वे गुरू उनके लिए सर्वोंपरि हैं।

आज ये सैकड़ो गरीब बच्चे अपनी गरीबी की चादर को हटाकर अपने सपनों को साकार करने में लगे हुए हैं। ऐसे में न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया के इंजीनियरिंग और अन्य प्रतियोगी परीक्षा देने वाले स्टुडेंट्स के बीच आरके श्रीवास्तव एक चर्चित नाम है।

युवा ही देश का भविष्य हैं। ये सोच रखने वाले आरके श्रीवास्तव अपनी पूरी निष्ठा से बच्चों को पढ़ाते हैं। पूरे देश में जब कोरोना की वजह से सारे शैक्षणिक संस्थाए बंद था, उस समय आरके श्रीवास्तव ने ऑनलाइन क्लास लगातार 8 से 12 घंटे लेकर बच्चों को पढ़ाया। इनकी मेहनत और जज्बे को पूरी दुनिया सलाम कर रही है।

बच्चों के सपने को सच करने के लिए आरके श्रीवास्तव में अपने सारे ऐसो-आराम छोड़कर पढ़ाया। तभी उनके बच्चों ने कामयाबी का परचम लहरा कर अपने गुरू का नाम रोशन किया।

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