Adani-Hindenburg: SC ने टाली अडानी-हिंडनबर्ग केस की सुनवाई, सेबी की स्टेटस रिपोर्ट पर बाजार की निगाहें

Adani-Hindenburg: सेबी ने 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को पोर्ट-टू-एनर्जी समूह के खिलाफ अपनी जनवरी की रिपोर्ट में शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच पर अपनी स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की। SC ने सेबी को 14 अगस्त तक अपनी जांच रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा था। मगर सेबी ने कोर्ट ने 15 दिन समय का और मांगा था।

Update: 2023-08-29 08:37 GMT
Adani-Hindenburg (सोशल मीडिया)

Adani-Hindenburg: सुप्रीम कोर्ट को मंगलवार को पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा प्रस्तुत स्थिति रिपोर्ट के संबंध में अडानी-हिंडनबर्ग केस की अहम सुनवाई करनी थी, जिसको फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने टाल दिया है। इस मामले की सुनवाई स्थगित भारत के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली संविधान पीठ अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के चलते की गई है।

25 अगस्त को सौंपी अपनी रिपोर्ट

सेबी ने 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को पोर्ट-टू-एनर्जी समूह के खिलाफ अपनी जनवरी की रिपोर्ट में शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच पर अपनी स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की। SC ने सेबी को 14 अगस्त तक अपनी जांच रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा था। मगर सेबी ने कोर्ट ने 15 दिन समय का और विस्तार मांगा, जिसके बाद 25 अगस्त को सेबी ने अपनी स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी।

रिपोर्ट की सामग्री अभी तक नहीं हुई सार्वजनिक

हालांकि सेबी की रिपोर्ट की सामग्री अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है। हालांकि विभिन्न रिपोर्टों में कहा गया है कि सेबी का जांच दस्तावेज़ व्यापक जांच की प्रगति पर प्रकाश डालेगा, जिसमें अदानी समूह की गतिविधियों के विभिन्न पहलुओं से संबंधित कुल 24 जांच शामिल हैं, लेकिन इन 24 जांचों में से 22 पहले ही अपने निष्कर्ष पर पहुंच चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप अंतिम जांच रिपोर्ट जारी की गई है।

सेबी को पांच टैक्स हेवेन जानकारी का इंतजार

इसके अतिरिक्त अदानी समूह के संचालन की चल रही जांच के हिस्से के रूप में एक अंतरिम जांच रिपोर्ट तैयार की गई है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि वह अभी भी समूह में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों के वास्तविक मालिकों के बारे में पांच टैक्स हेवेन से जानकारी का इंतजार कर रहा है। अंतरिम रिपोर्ट के संबंध में कार्रवाई विदेशी नियामकों से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने पर निर्भर है। सेबी ने कहा है कि यह महत्वपूर्ण विदेशी डेटा उपलब्ध होने के बाद वह अपने कार्यों को अंतिम रूप देगा।

सेबी ने कहा कि चूंकि इन विदेशी निवेशकों से जुड़ी कई संस्थाएं टैक्स हेवन क्षेत्राधिकार में स्थित हैं, इसलिए 12 एफपीआई के आर्थिक हितधारक शेयरधारकों को स्थापित करना एक चुनौती बनी हुई है। यह इन निवेशकों के वास्तविक मालिक हैं। इसमें कहा गया है कि इसके लंबित रहने तक जांच रिपोर्ट अंतरिम है।

जांच के नजीतों के आधार सेबी करेगा कार्रवाई

अडानी-हिंडनबर्ग के केस में सेबी की जांच के शुरुआती चरण में अडानी के उद्यमों से जुड़ी 13 अंतरराष्ट्रीय इकाइयों पर फोकस था। इसके अलावा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के संबंध में पांच देशों से पूछताछ की गई। अंतरिम रिपोर्टों में से एक में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि 13 विदेशी संस्थाओं को अदानी समूह की कंपनियों के सार्वजनिक शेयरधारकों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। इस पर सेबी ने कहा था कि वह अपनी जांच के नतीजे के आधार पर उचित कार्रवाई करेगा।

24 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट ने लगाए ये आरोप

आपको बता दें कि इस साल जनवरी में अमेरिका स्थित शार्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारत के सबसे बड़े कारोबारी समूह अडानी ग्रुप के कई गंभीर आरोपों की एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट ने हिंडनबर्ग ने कहा था कि अडानी समूह अपने समूह की कंपनियों के स्टॉक में हेरफेर, धोखाधड़ी से लेनदेन और अन्य वित्तीय गड़बड़ियां की है। इन आरोपों के बाद अडानी ग्रुप के मालिक गौतम अडानी और उनके समूह को बाजार से तगड़ा झटका लगा था, जो समूह के कंपनियों के शेयर आसमान में बात कर रहे थे, वह एक कदम से नीचे गए थे। रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद 29 जनवरी को अदानी समूह ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर एक विस्तृत प्रतिक्रिया दी। आरोपों का खंडन किया और कहा कि अधिकांश टिप्पणियां उन मामलों से संबंधित हैं जिनका समूह द्वारा अतीत में विधिवत खुलासा किया गया है। हिंडनबर्ग की यह रिपोर्ट 24 जनवरी को प्रकाशित की गई थी।

अडानी के भाई पर भी लगे थे आरोप

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडाणी ग्रुप को कानूनों से बचने में मदद की।

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