Banarasi Saree Business in India: लाखों कमाने वाला बिजनेस, बनारसी साड़ी की इन देशों में है जबदरस्त मांग

Banarasi Saree Business in India: अगर आप बनारसी साड़ी के कारोबार से जुड़ना चाहते हैं या नया नया कदम रखे हैं तो यह जरुर जानें लें कि बनारसी साड़ी का कारोबार कितना बड़ा है और यह किस किस देश में निर्यात किया जाता है?

Update:2023-06-17 16:16 IST
Banarasi Saree Business in India (सोशल मीडिया)

Banarasi Saree Business in India: एक शुद्ध बनारसी निवासी का कहना है कि अगर बानारस मरने के बाद लोगों को मोक्ष प्रदान करवाता है तो स्त्रियों की सुंदरता में चार चांद भी लगाता है। कोई भी नारी अगर साड़ी में बेहद खूबसूरत दिखा रही है तो उन्हें बनारसी साड़ी पहनी है। बाजार में बनारसी साड़ियों को लेकर ऐसी कहावतें चलती हैं। बनारसी साड़ी की मांग भारत में तो छोड़ ही दीजिए...विदेशों में इसकी जबरदस्त मांग है, जिस वजह से यहां का साड़ी उद्योग काफी फलफूल रहा है। यहां पर उद्यमी के लिए कारोबार में असीम संभावनाएं हैं, इसमें साड़ी बनाने से लेकर एक्सपोर्टर बनाना शामिल है।

अगर आप बनारसी साड़ी के कारोबार से जुड़ना चाहते हैं या नया नया कदम रखे हैं तो यह जरुर जानें लें कि बनारसी साड़ी का कारोबार कितना बड़ा है और यह किस किस देश में निर्यात किया जाता है? यह तथ्य उन्हें के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं, जो बनारसी साड़ी के कारोबार में एक्सपोर्टर बनाने की राह दे रहे हैं।

तिहाई आबादी का चलता है जीवनयापन

बनारसी साड़ी का कारोबार इतना बड़ा है कि बनारस की अधिकांश आबादी प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से अपना जीवनयापन इसी से चलती है। इस कारोबार में छोटे से लेकर बड़ी बड़ी कंपनियां लगी हुई हैं। हालांकि इसमें बड़ी कंपनियों के आने से और बनारस की पारंपरिक साड़ी में कदम से रखने से कुछ छोटे कारोबारी व बुनकर नुकसान हुआ है, जबकि टेक्नोलॉजी के आने से अब मशीनों से साड़ियां बनाने का काम अधिक होने लगे है, इससे बुनकर के हाथों से बनी हुई बनारसी साड़ियां बाजार में कम हो गई है, जो एक जमाने की यह शान थी।

जानें कितने दिन में होती है तैयार साड़ी

बनारसी साड़ी से जुड़ा का कारोबारी कहना है कि बुनकर से तैयार की जाने वाली बनारसी साड़ी को तैयार में होने में हफ्ते का समय लगता है। यह समय एक साधारण बनारसी साड़ी का है,जबकि हैवी और डिजाइनर बनारसी साड़ी को तैयार करने में 90 दिन से लेकर 4 महीने में तैयार होती है। इस बनारसी साड़ी को बनाने में करीब 3 से 4 कारीगरों की जरूरत होती है। वहीं, बनारसी साड़ी को मशीन से तैयार करने में 2 से 3 घंटे का समय लगता है। कारोबारी ने कहा कि बनारसी साड़ियों को तैयार करने में चीन से एक मशीन मांगवाई है। इस मशीन से प्रति दिन 2-3 बनारसी साड़ी तैयार होती है, वो भी 2 से 3 घंटों में। पहले इस काम को पूरा करने में 1 हफ्ते का समय लगता था।

बनारसी साड़ी का इतना है कारोबार

बनारस टेक्सटाइल इंडस्ट्री एसोसिएशन के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान बनारसी साड़ी कारोबार को रोजाना करीब 24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इसका सालाना टर्नओवर पांच अरब रुपये से अधिक का है। इस काम में करीब 6 लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। वहीं, भारत में साड़ी का कारोबार 1 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें उत्तर भारत का हिस्सा 15 हजार करोड़ रुपये का है।

इन देशों में होता है निर्यात

अगर आप बनारसी साड़ी के कारोबार में उतरकर एक्सपोर्टर की भूमिका में आना चाहते हैं तो आपको भी बनारसी साड़ी को बनाना होगा या फिर वहां से खरीदकर उसको अन्य जगहों में बिक्री कर सकते हैं। बनारस की बनी हुई साड़ी की मांग भारत के साथ साथ संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, स्विट्जरलैंड, कनाडा व मॉरीशस सहित अन्य देशों होती है। यहां से ये साड़ियां इन देश में निर्यात की जाती हैं।

जानें बनारसी साड़ी का इतिहास

भारत में बनारसी साड़ी का कारोबार में मुगलों के समय चल रहा है। मुगल लोग पटका, शेरवानी, पगड़ी, साफा, दुपट्टे, बैड-शीट, और मसन्द आदि कपड़े वस्त्र कला के पहनते थे, जबकि गैर हिन्दुओं लोग साड़ी पहनना पंसद करते थे। लेकिन बाद में यह धीरे धीरे यह वस्त्र कला को यहां लोगों ने सीख ली और इस डिजाइन को साड़ियों में उतार दिया, तभी से बनारसी साड़ी का चलन चलता आ रहा है। इसमें रेशम और जरी के धागों को उपयोग किया जाता है।

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