Best Business Ideas: करें ये शानदार बिजनेस, सिर्फ इसकी खेती से आप हो जाएंगे मालामाल
Arjun Chhal Business Plan: किसान हैं और किसी औषधि की खेती करना चाह रहे हैं तो अर्जुन की छाल की खेती को कर सकते हैं, क्योंकि इस उपयोग आयुर्वेद की दवाइयों में किया जाता है। इस बात का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है कि अर्जुन की छाल (Arjun Bark) शरीर की कई बीमारियों को दूर करती है, बल्कि दिल संबंधी बीमारियों के लिए तो यह छाल रामबाण की तरह काम करती है।
Arjun Chhal Business Plan: खेतो में खाने पीने की फसलों के अलावा कई औषधि की भी खेती की जाती है। यह औषधि इतनी लाभकारी होती हैं, जिनका उपयोग बड़ी-बड़ी बीमारियों में किया जाता है। हमारे पूर्वजों ने इन औषधियों की खोज की, जिसके बल पर आज हम इनका उपयोग कर बड़ी बड़ी बीमारियों से जड़ से मुक्ति पा रहा हैं। राहत की बात यह है कि जिन बड़ी बड़ी बीमारियों में लाखों रुपये खर्च करके भी लोग पूरी तरह से ठीक नहीं हो रहे हैं, वहीं इन औषधीय से कम पैसे में लोग सही हो रहे हैं। इस वजह से बाजार में इन औषधीय की इतनी मांग है कि कभी कभी इसका कारोबार करने वाले लोग रोगियों को इसकी सप्लाई तक नहीं कर पाते हैं। इन्हीं औषधि में से एक औषधि है अर्जुन की छाल। इतना ही नहीं, इसके पड़े के फर्नीचर भी तैयार किये जाते हैं, जो काफी महंगे होते हैं।
इन बीमारियों में होता है उपयोग
अगर आप किसान हैं और किसी औषधि की खेती करना चाह रहे हैं तो अर्जुन की छाल की खेती को कर सकते हैं, क्योंकि इस उपयोग आयुर्वेद की दवाइयों में किया जाता है। इस बात का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है कि अर्जुन की छाल (Arjun Bark) शरीर की कई बीमारियों को दूर करती है, बल्कि दिल संबंधी बीमारियों के लिए तो यह छाल रामबाण की तरह काम करती है। दिल की बीमारियों में हार्ट स्ट्रोक, हार्ट अटैक और हार्ट फैलियर जैसे की कई बीमारियों में अर्जुन की छाल के उपयोग को लेकर कई स्टडी व शोध किये जा चुके हैं, इन शोधों में इस बात की पुष्टि हुई है कि दिल की बीमारियों में अर्जुन छाल सबसे अधिक उपयोगी होती है। बाजार में अर्जुन की छाल का काढ़ा, चूर्ण, क्षीर पार और अरिष्ट के तौर पर बिकता है। इन मांग को देखते हुए अगर आप अर्जुन की छाल की खेती यानी पेड़ लगाते हैं तो लाभ के अधिक संभावना होती है। बाजार में इसी छाल की कीमत हजारों रुपये में होती है।
मिट्टी और जलवायु होनी चाहिए ऐसी
अर्जुन का पेड़ लगाए एक किसान का कहना है कि अर्जुन की खेती के लिए सबसे अच्छा सीजन गर्मी मनाना गया है। वैसे तो इसको किसी भी मिट्टी में लगाया जा सका है, लेकिन अगर अर्जुन का पौधा उपजाऊ जलोढ़-कछारी व बलुई दोमट मिट्टी मे लगाया जाए तो काफी तेजी से बढ़ता है। किसान का कहना है कि जिन स्थानों में 47 डिग्री तक तापमान जाता है, वह स्थान अर्जुन पेड़ के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है, यहां पर पेड़ का विकास अच्छा होता है।
ऐसे करें अनुर्ज के पौधों की बुवाई
अर्जुन का पौधा लगाने की बुवाई करने पहले से इसके बीजों को पानी में कम से 4 दिन भिगोकर रखें। यह 10 में अंकुरित होते हैं। फिर इसकी बुवाई करनी चाहिए। याद रखें जिस खेत में अर्जुन का पौधा लगाएं, वहां जल निकासी की व्यवस्था होता। अगर खेतों में पानी भरा रहा तो पौधा सड़ सकता है। इसका पेड़ 14 साल से लेकर 16 साल में तैयार हो जाता है, जिसकी लंबाई 11-12 मीटर और मोटाई 59-89 सेंटीमीटर तक होती है।
होने वाली कमाई
बाजार में अर्जुन पेड़ की मांग काफी अधिक रहती है,क्योंकि इसी छाल लोगों की बीमारियों के इलाज में काम आती है। इसके अलावा इसके पेड़ की लकड़ियों से फर्नीचर तैयार होता है। यह फर्नीचर काफी महंगा होता है। अर्जुन के पेड़ की लकड़ी या फिर छाल बेचकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। बाजार में इसकी छाल हजार रुपये तक बिकती है।