2 लाख लगाकर शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने ऐसे करे लाखों की कमाई

आज बढ़ते शहरीकरण के कारण ईंटों की उपलब्धता काफी कम हो गई है। इस समस्या से निपटने के लिए अधिकांश बिल्डर फ्लाई ऐश ईंटों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

Update:2023-05-31 13:07 IST

लखनऊ: आज बढ़ते शहरीकरण के कारण ईंटों की उपलब्धता काफी कम हो गई है। इस समस्या से निपटने के लिए अधिकांश बिल्डर फ्लाई ऐश ईंटों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इन फ्लाई ऐश ईंटों का निर्माण बिजली संयंत्रों से निकलने वाली राख, सीमेंट और बदरपुर (स्टोन डस्ट) के मिश्रण से तैयार किया जाता है। कोई भी व्यक्ति 2 से 2.5 लाख रुपए के निवेश से फ्लाई ऐश ईंट उत्पादन का कारोबार कर सकता हैं।

इस निवेश से आप मैन्युअली मशीन लगा सकते हैं। इस मशीन को 30 फुट गुना 30 फुटा यानी करीब 100 गज की जमीन में लगाया जा सकता है। इस मशीन के जरिए ईंट उत्पादन के लिए आपको 5 से 6 लोगों की जरूरत होगी।

यह मशीन रोजाना करीब 3000 ईंटों को उत्पादन करती है। यानी आप महीने में करीब 90 हजार ईंटों का उत्पादन कर सकते हैं। इस निवेश में कच्चे माल की लागत शामिल नहीं है।

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ऐसे होगी कमाई (मैन्युअल मशीन से संभावित उत्पादन)

- एक दिन में 3,000 ईंटों का उत्पादन

- एक महीने में 90 हजार ईंटों का उत्पादन

- 1 हजार ईंटों की कीमत करीब 5,000 रुपए

- 90 हजार ईंटों की कीमत 4,50,000 रुपए

- 1 ईंट की लागत (सभी खर्चों सहित) करीब 3.50 रुपए

- 90 हजार ईंटों की लागत (सभी खर्चों सहित) 3,15,000

- खर्चों को काटकर कुल बचत 1,35,000 रुपए

ऑटोमेटिक मशीन से कर सकते हैं ज्यादा कमाई

इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि मांग बढ़ने पर आप ऑटोमेटिक मशीन से भी फ्लाई ऐश ईंटों का निर्माण कर सकते हैं। इस मशीन की कीमत 10 से 12 लाख रुपए होती है।

इसमें कच्चे माल के मिश्रण से लेकर ईंट बनाने तक की सभी मशीनें शामिल हैं। ऑटोमैटिक मशीन से 1 घंटे में 1000 ईंटों का निर्माण किया जा सकता है। यानी इस मशीन से आप महीने में 3 से 4 लाख ईंटों का निर्माण कर सकते हैं। जितनी ज्यादा बिक्री होगी, उतनी ही आपकी कमाई बढ़ सकती है। शरद का कहना है कि यह कारोबार 20 से 25 दिनों में शुरू हो जाता है।

बैंक से लोन लेकर शुरू कर सकते हैं कारोबार

आप इस कारोबार को बैंक से लोन लेकर भी शुरू कर सकते हैं। प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत भी इस कारोबार के लिए लोन लिया जा सकता है।

इन योजना के तहत केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से मिल रही सब्सिडी का लाभ भी आपको मिलेगा।

इसके अलावा आप मुद्रा योजना के तहत लोन लेकर भी कारोबार शुरू कर सकते हैं। मुद्रा योजना के तहत बैंक बिना किसी गारंटी कम ब्याज दरों पर विभिन्न श्रेणियों में 50 लाख रुपए तक का लोन देते हैं। शरद का कहना है कि वह लोन के लिए जरूरी कागजात भी उपलब्ध कराते हैं।

पहाड़ी क्षेत्र के लिए फायदेमंद है यह कारोबार

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में मिट्टी की कमी के कारण ईंटों का उत्पादन नहीं होता है। इस कारण इन क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब जैसे मैदानी राज्यों से ईंटों की आपूर्ति होती है।

परिवहन लागत बढ़ने के कारण इन ईंटों की कीमत बढ़ जाती है। ऐसे में आप पहाड़ी क्षेत्रों में इस मशीन की मदद से बदरपुर और सीमेंट से ईंट बनाने का कारोबार कर सकते हैं। पहाड़ी क्षेत्र में बदरपुर की बेहतर उपलब्धता के कारण इसकी लागत में भी कमी आ जाती है। इससे आपकी बचत भी ज्यादा होती है।

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रोजाना 3 हजार ईंटों का हो सकता है उत्पादन

तेजी से हो रहे अर्बनाइजेशन में बिल्डर फ्लाई ऐश ईंटों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन फ्लाई ऐश ईंटों को बिजली के संयंत्रों से निकलने वाली राख, सीमेंट और स्टोन डस्ट के मिश्रण से तैयार किया जाता है।

इस कारोबार के लिए निवेश का अधिकतर हिस्सा आपको मशीनरी में लगाना होगा। इस मैन्युअल मशीन को करीब 100 गज की जमीन में लगाया जा सकता है। इस मशीन के जरिए ईंट उत्पादन के लिए आपको 5 से 6 लोगों की जरूरत होगी। इससे रोजाना करीब तीन हजार ईंटों का उत्पादन हो सकता है. इस निवेश में कच्चे माल की लागत शामिल नहीं है।

 

10 से 12 लाख रुपये ऑटोमेटिक मशीन का खर्च

इस कारोबार में ऑटोमेटिक मशीन का इस्तेमाल, कमाई के मौके बढ़ाता है। लेकिन इस मशीन की कीमत 10 से 12 लाख रुपये होती है। इसमें कच्चे माल के मिश्रण से लेकर ईंट बनाने तक लेकर सभी कुछ इसमें शामिल है। ऑटोमेटिक मशीन से 1 घंटे में 1 हजार ईंटों को बनाया जा सकता है. यानी इस मशीन से आप महीने में 3 से 4 लाख ईंटों का उत्पादन कर सकते हैं।

यहां से ले सकते हैं लोन

इस कारोबार को बैंक से लोन लेकर भी शुरू किया जा सकता है। प्रधानमंत्री रोजगार योजना और मुख्यमंत्री युवा स्व-रोजगार योजना के तहत इस कारोबार के लिए लोन लिया जा सकता है। इसके अलावा मुद्रा लोन विकल्प भी मौजूद है।

कम मिट्टी वाले इलाकों में ईंटों की मांग

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में मिट्टी की कमी की वजह से ईंटों का उत्पादन नहीं होता। इसलिए यहां उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों से ईंटें मंगवाई जाती है, जिससे ट्रांसपोर्टेशन का खर्च बढ़ता है।

ऐसे में पहाड़ी इलाकों में इस मशीन की मदद से स्टोन डस्ट और सीमेंट से ईंटें बनाने का काम कारोबार शुरू कर फायदेमंद हो सकता है। पहाड़ी इलाकों में स्टोन डस्ट आसानी से मिलने की वजह से इसकी लागत में कमी आती है और आपकी बचत भी ज्यादा होती है।

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