Businessman Success Story: ठेले पर बेची मोमबत्ती, आज 350 करोड़ कंपनी का मालिक, आनंद महिंद्रा ने दी बधाई

Businessman Success Story: स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद भावेश ने 50 रुपये में एक किराए पर ठेला लिया। उस पर मोमबत्ती बेचने का कारोबार शुरू किया। देखते-देखते उनका यह कारोबार चलने लगा। साल 1994 में भावेश ने ‘सनराइज कैंडल’ नाम की कंपनी बनाई। जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

Update:2023-08-12 16:21 IST
Businessman Success Story (सोशल मीडिया)

Businessman Success Story: कभी कभी ऐसी संघर्ष की कहानियां लोगों के सामने आती हैं, जिनको देखकर ऐसा लागत है कि अगर यह इंसान इतनी विषम परिस्थिति में इतना बड़ा मुकाम हासिल करना सकता है, तो हम अच्छी परिस्थितियों में होने के बाद क्यों नहीं बड़ा मुकाल हासिल कर सकते हैं। कहानी एक ऐसे संघर्षशील उद्ममी की है, जिसकी छोटी ही उम्र में आंख की रोशनी चल गई, लेकिन हार शब्द को उसने अपने जीवन में काफी दूर रखा और अंधे होते हुए भी उसने कारोबार की दुनिया में कदम रखा। वह आज 350 करोड़ की कंपनी का मालिक है। इस ब्लाइंड उद्यमी की सफलता को देखते हुए देश के दिग्गज कारोबारी आनंद महिंद्रा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से उसका एक वीडियो भी शेयर किया है। वीडियो शेयर करते हुए महिंद्रा ने पोस्ट भी लिखा और उद्ममी को बधाई दी है।

खुद की गई आंख की रोशनी मां की कैंसर से हुए मौत, हार फिर नहीं मानी

यह सफलता की कहानी है कि महाराष्ट्र के भावेश चंदूभाई भाटिया की। भावेश का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। जब भावेश जवां हो रहे थे, तो नयीत उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था। भाविश को 23 साल की उम्र में रेटिना मस्कुलर डिग्रेडेशन नामक बीमारी से ग्रस्ति हो गए थे, जिसके चलते उनकी आंख की रोशनी चली गई। माता पहले से कैंसर से जूझ रही थीं। इलाज में काफी पैसा खर्च हो रहा था। भाविश के पिता ने उसकी मां को और अपनी पत्नी को बचाने के लिए सारा पैसा खर्चा कर दिया, लेकिन उसकी मां महेशा के लिए चिर निंद्रा में सो गईं। मां के इलाज में सारा पैसा खर्च हो जाने के बाद जिम्मेदारों का बोझ भावेश चंदूभाई भाटिया पर आने लगा। भावेश पढ़े लिखे जरूर थे, लेकिन एक साधारण पढ़ाई के चलते उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिली। उनके पास मास्टर ऑफ आर्ट की डिग्री थी लेकिन उससे उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा था।

सीखा मोमबत्ती का काम

रोजगार नहीं मिलने की वजह से भावेश काफी परेशान हो रहे थे, क्योंकि उनके पिता महाबलेश्वर में एक गेस्टहाउस में केयरटेकर रूप में एक साधारण वेतन पर काम कर रहे थे, जिससे उनके घर का भरण-पोषण नहीं हो पा रहा था। उनके लिए एक नौकरी की सख्त जरूरत थी। काफी दिनों तक इधर- उधर भटकने के बाद मोमबत्ती बनाने का काम सीखने की ठानी, जिसके के लिए उन्होंने नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड स्कूल में एडमिशन लिया और मोमबत्ती बनाना सीखने लगे।

किराए के ठेले पर शुरू किया था कारोबार

स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद भावेश ने 50 रुपये में एक किराए पर ठेला लिया। उस पर मोमबत्ती बेचने का कारोबार शुरू किया। देखते-देखते उनका यह कारोबार चलने लगा। साल 1994 में भावेश ने ‘सनराइज कैंडल’ नाम की कंपनी बनाई। जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज ‘सनराइज कैंडल’ का एनुअल रेवेन्यू करीब 350 करोड़ रुपये का है। यह कंपनी कई प्रकार की कैंडल्स बनाती है। इसमें साधारण, सुगंधित, फ्लोटिंग और डिजाइनर कैंडल शामिल है। इसके अलावा यह कंपनी करीब अपने जैसे 9 हजार से अधिक कर्मचारियों को जॉब प्रदान कर रही है। इस कंपनी के मार्केट और कर्मचारियों के ट्रेनिंग का जिम्मा उनकी पत्नी नीता संभालती हैं। इस कंपनी का कारोबार दिन पर दिन आगे बढ़ रहा है।

भावेश भाटिया को आंनद महिंद्रा ने दी बधाई

भावेश भाटिया तब लोगों चर्चा में जब दिग्गज कारोबारी आनंद महिंद्रा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर करते हुए भावेश का जिक्र किया। एक व्यक्ति से हासिल वीडियो को अपने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए महिंद्रा ने लिखा कि क्या हुआ कि तुम दुनिया नहीं देख सकते। कुछ ऐसा करो कि दुनिया तुम्हें देखे। उन्होंने कहा कि मैं शर्मिंदा हूं कि जब तक उनसे जुड़ी क्लिप मेरे इनबॉक्स में नहीं आई थी, तब तक मैंने भावेश के बारे में नहीं सुना था। बढ़ते रहो, भावेश

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