Jatropha Farming: डीजल की खेती से कमाएं लाखों रूपये , मौका आपके पास भी, जानें कैसे करें?
Jatropha Farming Tips: हम जिस डीजल की खेती की बात कर रहे हैं, उसे जेट्रोफा (Jatropha) या रतनजोत की खेती कहते हैं। हालांकि किसानों के बीच आम भाषा में जेट्रोफा या रतनजोत को डीजल का पौधा कहते हैं। बस 4 से 6 महीने की देखभाल की जरूरत होती है। एक बार जब पौधा तैयार हो जाता है तो वह 50 साल तक बीज देता है। यानी किसान कई सालों तक कमाई कर सकते हैं।
Jatropha Farming Tips: अभी तक आप जानते होंगे कि पैट्रोल व डीजल कच्चे तेल से तैयार किये जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते थे या फिर हैं कि डीजल एक पौधे से भी तैयार होता है। नहीं पता न, बल्कि यह बिल्कुल सही बात है। डीजल एक पौधे से भी तैयार किया जाता है। इस वजह से इसको डीजल की खेती भी कहते हैं। इसलिए जो किसान भाई इसकी खेती कर रहा है, वह अच्छा माल पैदा कर रहे हैं। क्योंकि इस पौधे से डीजल तैयार होता है तो बाजार में इसकी मांग काफी अधिक रहती है और फसल का उचित दाम भी मिलता है। ऐसे में अगर आप किसान हैं और अभी तक इसकी खेती के बारे में नहीं जानते थे, तो आज जान लीजिए और अपने खेतों में डीजल की खेत कर मालामाल हो जाइये।
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जानिए डीजल के पौधे की कहानी
दरअसल, हम जिस डीजल की खेती की बात कर रहे हैं, उसे जेट्रोफा (Jatropha) या रतनजोत की खेती कहते हैं। हालांकि किसानों के बीच आम भाषा में जेट्रोफा या रतनजोत को डीजल का पौधा कहते हैं। जेट्रोफा के पौधों से बायोडीजल तैयार किया जाता है। इस वजह से यह बहुत कीमती होता है। ऐसे अगर कोई किसान भाई जेट्रोफा की खेती करता है, तो उसके पास कम समय में लखपति होने का मौका बन जाता है, क्योंकि इसकी फसल बाजार में काफी महंगी बिकती है। जेट्रोफा के पौधे को कहीं पर भी उगाया जा सकता है। फिर चाहे वह बंजर जमीन ही क्यों न हो? बाजार में इसके बीज भी आराम से मिल जाते हैं तो इसके लिए भी किसानों को कोई टेंशन नहीं होती है। न ज्यादा खेत की जुताई व न ज्यादा सिंचाई के लिए पानी की जरूरत होती है। बस 4 से 6 महीने की देखभाल की जरूरत होती है। एक बार जब पौधा तैयार हो जाता है तो वह 50 साल तक बीज देता रहता है। ऐसे में इसकी खेती किसी भी किसान के लिए घाटे का सौदा नहीं है। आइये जानते हैं कि कैसे करें डीजल के पौधे की खेती?
जानिए जेट्रोफा पौधे के बारे में व कहां होती ही है खेती?
पहले तो जान लें कि जेट्रोफा पौधा क्या है। तो आपको बात दें कि एक झाड़ीनुमा पौधा होता है। यह अर्धशुष्क क्षेत्रों में उगता है। इससे प्राप्त बीजों से 25 से 30 फीसदी तक तेल निकाला जाता है,जोकि बायोडीजल होता है। इसका उपयोग डीजल वाहन चलाने के लिए किया जाता है, जबकि इसके बचे कुछ अवशेषों से बिजली पैदा भी की जा सकती है। इससे निकले तेल की खास बात यह होती है कि इसको बिना रिफाइन किए हुए ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। वहीं, इसके तेल को जलाने पर यह धुआंरहित स्वच्छ लौ देता है। इसकी खेती सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान के कुछ इलाकों में होती है।
किसान कैसे करें जेट्रोफा की खेती?
किसान भाई अगर जेट्रोफा की खेती करना चाहते हैं तो उन्हें सबसे पहले इसकी नर्सरी तैयार करनी होगी। इसके बाद खेत को ठीक से जुताई कर जेट्रोफा के पौधे को लगा दें और दो साल तक बीच बीच में देखभाल करते रहे हैं। यह पौधा दो साल में फल देने लगता है। जेट्रोफा के पौधे (jatropha plants) को एक बार तैयार होने के बाद किसान भाई 50 साल तक फल प्राप्त कर सकते हैं। खेत में आने वाले जानवर भी इसके पौधे को नहीं खाते हैं तो किसान को फसल खराब होने का खतर भी नहीं होता है। इसकी खेती 200 मिमी. बारिश वाले क्षेत्रों में की जाती है। इसके अलावा अधिक बारिश वाले स्थानों में भी जेट्रोफा की खेती भी कर सकते हैं।
ऐसे मिलता है पौधे से डीजल
जैसे सरसों के पौधें से खाद्य तेल प्राप्त किया जाता है। ठीक वैसे ही जेट्रोफा के पौधे से डीजल प्राप्त होता है। इसमें जेट्रोफा के पौधे के बीजों को फलों से अलग करना होता है। फिर बीजों को साफ किया जाता है। उसके बाद एक मशीन के माध्मय से पेर कर डीजल निकाला जाता है।
होती है बंपर कमाई
दरअसल, सरकार पेट्रोल डीजल से लोगों की आत्मनिर्भरता को कम करने के लिए देश में बायोडीजल को बढ़ाव दे रही है। इस लिहाज से किसानों को जेट्रोफा की खेती के लिए के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। किसान भाई एक हैक्टेयर जमीन में करीब 8-10 क्विंटल बीज पैदाकर सकता है। बाजार में इसकी कीमत 1800 रुपये लेकर 2500 रुपये प्रति क्विंटल होती है। वहीं, जो किसान इसकी खेती करता वह कम लागत के अधिक पैसा पैदा कर सकता है।