वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं, नहीं बिकने देंगे भारतीय कंपनियों को

केंद्र सरकार ने पिछले महीने एफडीआई नियमों को सख्त किया है। लेकिन कुछ मामलों जैसे डिफेंस, टेलिकॉम, मीडिया, फार्मास्युटिकल्स और इंश्योरेंस को छोड़ दें तो एफडीआई यानी विदेशी निवेश को सरकार की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती थी।

Update: 2020-05-30 06:17 GMT

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कारण लागू किये गए लॉक डाउन के चौथे चरण का समापन होने जा रहा है और लॉक डाउन के पांचवें चरण को लागू करने की संभावना है जिसका एलान प्रधानमंत्री मोदी मन की बात कार्यक्रम में कर सकते हैं। लॉक डाउन की वजह मांग घटने से दुनियाभर में उद्योगों को झटका लगा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऐसे में अधिक नकदी रखने वाले खिलाड़ियों के पास सस्ते मूल्यांकन पर कंपनियों को खरीदने का अवसर है।

भारत में निवेश बिना सरकार की मंजूरी के नहीं होगा

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले महीने एफडीआई नियमों को सख्त किया है। लेकिन कुछ मामलों जैसे डिफेंस, टेलिकॉम, मीडिया, फार्मास्युटिकल्स और इंश्योरेंस को छोड़ दें तो एफडीआई यानी विदेशी निवेश को सरकार की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती थी। अब सरकार ने नियम बनाया है कि भारत से सीमाएं साझा करने वाले देशों से भारत में निवेश बिना सरकार की मंजूरी के नहीं होगा, चाहे वह किसी भी सेक्टर में हो।

भारतीयों ने अपना खून-पसीना लगाकर खड़ा किया है कंपनियों को

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण ‘औने-पौने’ दाम पर नहीं किया जा सके। वित्त मंत्री का यह बयान तब आया है जबकि भारतीय कंपनियों के आक्रामक तरीके से अधिग्रहण को लेकर लोगों के मन में चिंता थी। वित्त मंत्री ने कहा कि वास्तविकता यही है। लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जिन कंपनियों को भारतीयों ने अपना खून-पसीना लगाकर खड़ा किया है, जिनका ब्रांड मूल्य है, उन्हें ऐसे लोग नहीं खरीद पाएं, जो सिर्फ अवसर का इंतजार कर रहे हैं।

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सीतारमण ने एक साक्षात्कार में कहा कि ऐसे में यही वजह है जिसको लेकर हमें चिंता है। हम निश्चित रूप कुछ करेंगे जिससे भारतीय उद्योगों का अधिग्रहण औने-पौने दाम पर नहीं हो सके। हम चाहते हैं कि सब कुछ सामान्य होने के बाद वे अपने कारोबार को आगे बढ़ाएं।

आखिर क्यों लेना पड़ा सरकार को ये फैसला

चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने हाउसिंग लोन देने वाली भारत की दिग्गज कंपनी एचडीएफसी लिमिटेड (HDFC) के 1.75 करोड़ शेयर खरीदे।

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दरअसल लॉकडाउन के बीच एचडीएफसी लिमिटेड के शेयरों में भारी गिरावट आई। इस मौके का फायदा उठाकर चीन के सेंट्रल बैंक ने HDFC में हिस्सेदारी खरीद ली। BSE से मिली जानकारी के मुताबिक इन निवेश के बाद अब एचडीएफसी लिमिटेड में में चीनी केंद्रीय बैंक की हिस्सेदारी 1.01 फीसदी हो गई है। चीन के इसी कदम के बाद भारत सतर्क हुआ है।

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