Go First Bankrupt: गो फर्स्ट की दिवालिया अर्जी पर कल होगी NCLT में सुनवाई, कर्जदार, कर्मचारी व यात्री हर कोई परेशान
Go First Bankrupt: कंपनी द्वारा दिवालिया आवेदन प्रक्रिया डालने से उन बैंकों की चिंता बढ़ गई है, जिन्होंने गो फर्स्ट को कर्ज दिया हुआ है। एक जानकारी के मुताबिक, गो फर्स्ट को बैंकों को 6520 करोड़ रुपए लोन के तौर पर चुकता करना है।
Go First Bankrupt: इंजन की आपूर्ति समय से नहीं होने से घरेलू व अंतराष्ट्रीय हवाई सेवा प्रदान करने वाली एयरलाइंस कंपनी गो फर्स्ट नकदी की कमी की वजह से वित्तीय संकट खड़ा हो गया है। इस वजह से गो फर्स्ट ने अपनी 3, 4 और 5 मई की सभी हवाई उड़ानों को रद्द कर दिया और दिवालिया प्रक्रिया की अर्जी डाली। वाडिया समूह ने 2 मई को गो फर्स्ट के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) दिल्ली के पास समाधान कार्यवाही रिजॉल्यूशन प्रोसेस के लिए आवेदन दायर किया था। इस आवदेन पर अब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल 4 मई यानी कल सुनवाई करने जा रहा है। एयरलाइंस को दावियाल की स्थिति में पहुंचाने के लिए गो फर्स्ट के चीफ कौशिक खोना ने इंजन की आपूर्ति में आई कमी के लिए प्रैट एंड व्हिटनी को जिम्मेदारी माना है। जिस पर प्रैट एंड व्हिटनी की ओर से भी बयान आया है और उसने सीधे पर इसके लिए गो फर्स्ट को ही दोषी ठहराया है।
एरयलाइंस के चीफ ने बताया दिवालिया की वजह
एरयलाइंस कंपनी के चीफ कौशिक खोना ने दिवालिया प्रक्रिया आवेदन में इस बात का जिक्र किया है कि 57 विमान इंजन की आपूर्ति में समस्या की वजह से खराब खड़े है। इस वजह से कंपनी को गंभीर नकदी संकट का सामना करना पड़ा रहा है। यह वजह है कि कंपनी रिजॉल्यूशन प्रोसेस पर जानना पड़ा है। बीते कुछ दिनों से गो फर्स्ट हर दिन 200 उड़ानों को संचालित कर रहा था, इससे 25 से लेकर 30 हजार तक लोग हवाई सेवा का लाभ ले रहे थे लेकिन अगले 5 मई तक सभी उड़ानों के कैंसिल होने से भारी संख्या में हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को समस्या का सामना करना पड़ा रहा है।
5 मई तक उड़ाने रद्द, नहीं वापस हो रहे यात्रियों के पैसे
गो फर्स्ट की 5 मई तक उड़ाने रद्द होने से न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी यात्रियों को यात्रा के लिए दो-दो हाथ करने पड़े हैं। इसके अलावा उड़ाने कैंसिल होने का असर एयरलाइंस कर्मियों पर भी पड़ा है। मामले से वाकिफ सूत्रों ने बताया है कि केबिन क्रू और पायलट उन जगहों पर फंसे हुए हैं, जहां 3 मई से 5 मई के बीच उड़ान भरी जानी थी। वहीं, एयरलाइंस ने कहना है कि 5 मई तक रद्द हुई सभी उड़ानों का पैसा यात्री को वापस कर दिया जाएगा और यह रिफंड ओरिजिनल पेमेंट मोड पर होगा। हालांकि ऑनलाइन यात्रा एजेंसी ने एक लोग का कहना है कि कंपनी कैंसिल हुई टिकट के पैसे को वापस नहीं कर रही है।
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प्रैट एंड व्हिटनी ने की गो फर्स्ट की आलोचना
वित्तीय संकट खड़ा होने और अगले 5 मई तक संचालन रद्द होने के लिए गो फर्स्ट ने प्रैट एंड व्हिटनी पर ठीकरा फोड़ है। इसके बाद प्रैट एंड व्हिटनी ने बुधवार को एक बयान जारी किया है। इसमें बयान में प्रैट एंड व्हिटनी ने कहा कि आर्थिक लेनदेन के मामले में हमेशा से गो फर्स्ट का रवैया खराब रहा है। प्रैट एंड व्हिटनी हमेशा से इंजन की आपूर्ति तय समय से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एयरलाइन चीफ का कर्मचारियों के नाम संदेश
एयरलाइन के वित्तीय संकट खड़ा होने से काम करने वाले कर्मचारी अब अपने रोजगार को लेकर भी चिंतत हो गए हैं। अगर यह समस्या जल्दी नहीं खत्म की गई है तो हजारों की संख्या में लोगों को सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो सकता है। हालांकि केंद्र सरकार ने गो फर्स्ट को नकदी प्रवाह के संकट से बाहर लाने के लिए हर संभव मदद का भरोसा दिया है। वहीं, गो फर्स्ट के प्रमुख खोना ने कर्मचारियों के लिए एक संदेश जारी किया है। इस संदेश में खोना ने अपने कर्मचारियों से कहा कि प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की समस्याओं की पुनरावृत्ति से एयरलाइन "अपंग" हो गई है और आश्वासन दिया है कि वाहक सभी कर्मचारियों के लिए अत्यंत सावधानी और चिंता के साथ स्थिति को नेविगेट करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। खोना आगे कहा कि इसके साथ एयरलाइन के पास अगस्त/सितंबर 2023 तक अपने सभी ए 320 नियो विमान परिचालन में होंगे। दुर्भाग्य से, प्रैट एंड व्हिटनी ने आपातकालीन मध्यस्थ के आदेश की अवहेलना करने का विकल्प चुना है।
P&W को मिला था यह आदेश
एयरलाइन के अनुसार, मध्यस्थ ने P&W को आदेश दिया था कि वह 27 अप्रैल तक कम से कम 10 सेवा योग्य स्पेयर लीज्ड इंजनों की आपूर्ति करे और दिसंबर 2023 तक प्रति माह 10 स्पेयर लीज्ड इंजनों की आपूर्ति करे।
इन बैकों ने दिया गो फर्स्ट को लोन
कंपनी द्वारा दिवालिया आवेदन प्रक्रिया डालने से उन बैंकों की चिंता बढ़ गई है, जिन्होंने गो फर्स्ट को कर्ज दिया हुआ है। एक जानकारी के मुताबिक, गो फर्स्ट को बैंकों को 6520 करोड़ रुपए लोन के तौर पर चुकता करना है। इसमें कंपनी के ऊपर BOB का 1424 करोड़, Central Bank का 1405 करोड़, Deutsche Bank का 1320 करोड़ रुपये, IDBI bank का 37 करोड़ और Axis bank का 30 करोड़ रुपये लोन के तौर पर बिकाया है।
और लोगों को भी बकाया है पैसा
इसके अलावा NBFC, वेंडर, एयरक्राफ्ट लीजिंग कंपनी 11,460 करोड़ रुपए बकाया है। वहीं, गो फर्स्ट ने सरकार की Emergency Credit Line Guarantee Scheme (ECLGS) स्कीम के तहत 600 करोड़ रुपये हासिल किया है, जबकि वाडिया ग्रुप ने बीते समय में एयरलाइंस पर 3000 करोड़ रुएप की पूंजी डाली है। बात दें कि कंपनी बीते 2020 से लगातार घाटे मे कारोबार कर रही है।
घरेलू बाजार में एयरलाइंस की हिस्सेदारी
अब बात अगर घरेलू मार्केट में एयरलाइंस की हिस्सेदारी की करें तो इसमें गो फर्स्ट की 6.9 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा अन्य एयरलाइंस में Spicejet की 6.4%, AirAsia India की 7.6%, Air India की 8.8% और Vistara एयरलाइंस की 8.9% घरेलू मार्केट में हिस्सेदारी है। घरेलू बाजार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी Indigo एयरलाइन की है, जोकि 56.8 फीसदी और सबसे कम घरेलू हिस्सेदारी हाल के महीनों में शुरू हुई Akasa एयरलाइन की है, जो कि 4.6 फीसदी है।