Per Capita Income: दोगुनी हो गई भारत में प्रति व्यक्ति आय
Per Capita Income: प्रति व्यक्ति आय किसी देश में प्रत्येक व्यक्ति की औसत आय को संदर्भित करता है, और इसकी गणना संपूर्ण जनसंख्या की कुल आय को विभाजित करके की जाती है।
Per Capita Income: आपकी माली हालत चाहे जैसी हो लेकिन आंकड़े बताते हैं कि 2014-15 के मुकाबले, 2022-23 में भारत की प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो गई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने बताया है कि 2022-23 के लिए मौजूदा कीमतों पर अनुमानित वार्षिक प्रति व्यक्ति (शुद्ध राष्ट्रीय आय) 1,72,000 रुपये है। यह 2014-15 में 86,647 रुपये से लगभग 99 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
कौन हुआ अमीर?
यद्यपि भारत में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है, यह इस बात की पूरी तस्वीर नहीं बताता है कि भारत की 140 करोड़ से अधिक की विशाल आबादी में यह धन वृद्धि किन वर्गों में हुई है।ये जान लीजिए कि प्रति व्यक्ति आय किसी देश में प्रत्येक व्यक्ति की औसत आय को संदर्भित करता है, और इसकी गणना संपूर्ण जनसंख्या की कुल आय को विभाजित करके की जाती है। चूंकि कुल आय को ध्यान में रखा जाता है सो इसमें कई आय समूहों के लोगों की संपत्ति शामिल होती है। यानी हमारी - आपकी आय भी इसमें जुड़ी है और सलमान - शाहरुख खान तथा टाटा, अम्बानी की भी आय इसमें शामिल है।
इसलिए, भले ही किसी जनसंख्या में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो, लेकिन संभावना है कि पूरी आबादी को बड़े पैमाने पर आय में वृद्धि नहीं दिखाई देगी। विशेष रूप से भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में यही होगा।
अमीर बढ़ाते हैं प्रति व्यक्ति आय
ऑक्सफैम की एक सहित कई शोध रिपोर्ट बताती हैं कि पिछले कुछ वर्षों में भारत के सुपर अमीरों की संपत्ति में तेजी से वृद्धि हुई है, जबकि गरीब और मध्यम आय वाले भारतीयों की संपत्ति महामारी के दो वर्षों के दौरान गिर गई है। इसके अलावा, भारत की अधिकांश आबादी गरीबी से जूझ रही है, जो महामारी के प्रभाव और उच्च मुद्रास्फीति के निरंतर स्तरों के कारण बढ़ी है।
ध्यान देने योग्य एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रति व्यक्ति आय, आय में असमानता को ध्यान में नहीं रखती है। उदाहरण के लिए, भारत जैसे देश में प्रति व्यक्ति आय अधिक हो सकती है, लेकिन आय का वितरण कुल जनसंख्या के बमुश्किल 10 प्रतिशत पर केंद्रित है। इसका मतलब यह है कि मजबूत आर्थिक विकास और बाद में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होने पर भी अधिकांश आबादी अमीर नहीं हो पाती है। सीधे शब्दों में कहें तो प्रति व्यक्ति आय आर्थिक वृद्धि और विकास को मापने का मात्र एक संकेतक है, लेकिन यह सभी नागरिकों की आय का सटीक प्रतिनिधित्व नहीं देता है। इसके विपरीत, यह बढ़ती आय असमानता को छुपाता है।