Insurance: बीमा का पूरा इतिहास, जानें- कहां से हुई थी Modern Insurance की शुरुआत
history of insurance in india: कोरोना महामारी के बाद से बीमा को लेकर लोगों का रुझान बढ़ा है। इसके बाद से बड़ी संख्या में लोग स्वास्थ्य बीमा तो करा ही रहे है, जीवन बीमा (jivan bima ki jankari) भी ले रहे हैं।
History of Insurance in india: कोरोना काल के बाद बीमा की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है। बीमा व्यवसाय से जुड़े लोगों की मानें तो लोगों ने जबसे कोरोना महामारी का सामना किया है, उन्हें बीमा की अहमियत समझ में आ गई है। अब बड़ी संख्या में लोग स्वास्थ्य बीमा तो करा ही रहे है, जीवन बीमा भी ले रहे हैं। भारतीय जीवन बीमा निगम के अलावा कई प्राइवेट कंपनियां भी इस क्षेत्र में काम कर रही हैं। आखिर जीवन बीमा है क्या? इसकी शुरुआत कैसे हुई? आइये इस बारे में विस्तार से जान लेते हैं-
सदियों से बीमा का है प्रचलन (Jivan Bima ki Jankari)
बीमा का कॉन्सेप्ट सदियों से चला आ रहा है। 300 ईसा पूर्व से बीमा किसी न किसी रूप में हमारे बीच मौजूद रहा है। सबसे पहले इसे बेबोलोनियन व्यापारी इसका इस्तेमाल करते थे। वह सामान के चोरी होने या फिर खो जाने के जोखिम से बचने के लिए ऋणदाताओं को अतिरिक्त रकम देते थे, ताकि उस सूरत में उनसे ऋण की वसूली न हो। ऐसे बीमा को ‘बॉटमरी लोन्स’ कहा जाता था। बेबोलोनियन की तरह बरुच सूरत के व्यापारी इसी तरह से बीमा लेते थे। चीनी व्यापारी और रोड्स के निवासी भी इसी पद्धति का इस्तेमाल करते थे। वे मानते थे कि यदि नाव के साथ दुर्भाग्य से कुछ हो भी जाता है तो नुकसान आंशिक ही होगा। ऐसे में होने वाले नुकसान को बांट कर घटाया जाता है।
बीमा का इतिहास (Jivan Bima Ka Itihas in Hindi)
- आधुनिक बीमा व्यवसाय की शुरुआत लंदन में लॉयड्स कॉफी हाउस से मानी जाती है
- एमिकेबल सोसाइटी फॉर पर्पेचुअल इंश्योरेंस को दुनिया की पहली जीवन बीमा कंपनी माना जाता है जो 1706 में आई थी।
- दि ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड भारत में स्थापित पहली बीमा कंपनी थी। यह इंग्लिश कंपनी थी जिसने सन 1818 से भारत में बीमा का व्यवसाय शुरू किया था।
- 1850 को आस्तित्व आई ट्राइटन इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड भारत में स्थापित पहली गैर जीवन बीमा कंपनी थी।
- बॉम्बे म्युचुअल इंश्योरेंस सोसाइटी लिमिटेड पहली भारतीय इंश्योरेंस कंपनी थी, जो 1870 में मुंबई में बनी थी।
1906 में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की स्थापना की गई थी जो अब भी व्यवसाय में है। यह भारत की सबसे पुरानी बीमा कंपनी है।
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बीमा अधिनियम 1938 का कानून आज भी जारी है
वर्ष 1912 में बीमा व्यवसाय को विनियमित (Regulate) करने के लिए लाइफ इंश्योरेंस कंपनीज एक्ट और प्रोविडेंट फंड एक्ट पारित किया गया। 1912 के जीवन बीमा अधिनियम के तहत यह अनिवार्य हो गया था कि प्रीमियम दर तालिकायें और कंपनियों के आवधिक मूल्यांकनों को एक्चुअरी (बीमांकन) द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए। इस अधिनियम के बावजूद भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच भेदभाव और विषमता जारी रही। इसके बाद 1938 में बीमा अधिनियम आया। बीमा कंपनियों के संचालन को रेग्युलेट करने के लिए यह पारित किया गया पहला कानूना था जो आज भी जारी है। बीमा कानून के प्रावधानों के तहत सरकार द्वारा बीमा नियंत्रक की नियुक्ति की गई थी।
जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण (Jivan Bima ki Shuruaat Kab Hui)
जीवन बीमा व्यवसाय का राष्ट्रीयकरण 1 सितंबर 1956 को किया गया था और तब भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की स्थापना की गई। उस समय भारत में 170 कंपनियां और 75 प्रोविडेंट फंड सोसायटियां जीवन बीमा का व्यवसाय कर रही थीं। 1956 से 1999 तक भारत में जीवन बीमा का व्यवसाय करने का अधिकार सिर्फ एलआईसी के पास ही थी।
गैर जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण
1972 में जनरल इंश्योरेंस बिजनेस नेशलाइजेशन एक्ट (GIBNA) के पारित होने के साथ ही गैर जीवन बीमा का भी राष्ट्रीयकर कर दिया गया। और जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (जीआईसी) और उसकी चार अधीनस्थ कंपनियों की स्थापना की गई। इनमें गैर जीवन बीमा का व्यवसाय कर रहे 106 बीमाकर्ताओं को विलय कर दिया गया।
मलहोत्रा समिति और आईआरडीएआई
बीमा कारोबार में स्पर्धा को बढ़ाने व विकास के लिए बदलावों का सुझाव देने के लिए 1993 में मलहोत्रा समित गठित की गई। एक साल बाद यानी 1994 में समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के आधार पर कमेटी ने 1997 में प्रस्ताव बनाकर तैयार कर लिया, जिसमें रेग्युलेटरी बॉडी नाम नाम इंश्योरेंस रेग्युलेटरी अथॉरिटी यानी आईआरए रखा गया। दो साल बाद यानी 2019 में यह लोकसभा में पेश किया गया, तब रेग्युलेटरी ब़ॉडी का नाम बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम (आईआरडीएआई) रखा गया। वर्ष 2000 में यह बिल लोकसभा में पास हो गया, तब इसका नाम बीमा नियायक व विकास प्राधिकरण का गठन अधिनियम (आईआडीए) रखा गया। वर्ष 2014 में आईआरडीए का नाम फिर से आईआरडीएआई कर दिया गया।
वर्तमान में बीमा कंपनियां (List of Top Life Insurance Companies in India)
वर्तमान में भारत में एलआईसी सहित 24 जीवन बीमा कंपनियां काम कर रही हैं, जिन्हें आईआरडीएआई रेग्युलेट करता है। वहीं डाक जीवन बीमा को खुद डाक विभाग (PLI) नियंत्रित करता है। 34 गैर जीवन बीमा कंपनियां काम कर रही हैं, इनमें 6 कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस की हैं। जीआईसी भारत की एकमात्र ऐसी बीमा कंपनी है जो पुनर्बीमा का काम करती है। इसके अलावा 11 और विदेशी कंपनियां भारत में पुनर्बीमा काम करती है, लेकिन इनके हेड ऑफिस विदेशों में हैं, यहां वह ब्रांच ऑफिस के जरिये ही ऑपरेट करते हैं।