Kele Ki Kheti Kaise Karen: अब किसान होगा मालामाल, केला की करें आधुनिक तरीके से फार्मिंग, जानिए तरीका ?

Kele Ki Kheti Kaise Karen: वैसे तो किसान केले की खेती की रोपाई जून-जुलाई और अक्टूबर-नवम्बर महीने में कर सकते हैं, लेकिन आधुनिक तरीके के चलते अब इसकी खेती पूरे साल की जानी लगी है और यह आधुनिक तरीका है टिश्यू कल्चर पद्धति।

Update:2023-07-30 07:30 IST
Kele Ki Kheti Kaise Karen (सोशल मीडिया)

Kele Ki Kheti Kaise Karen: पहले के दौर में किसान भाई साधारण तरीके से खेती-किसानी किया करते थे। हालांकि किसान आज भी ऐसा कर रहे हैं। इस तरीके की खेती से होता क्या था? किसान को फसल तैयार में अधिक लागत आती थी। खेत से पैदावारी उतनी नहीं होती थी, क्योंकि पैदावारी अधिक नहीं होने से किसान को फसल की लागत तक नहीं निकलती थी। इससे किसान हमेशा घटे में रहता था। हालांकि आज के दौर कुछ और है। इस दौर में कई खोज व अविष्कार हुए हैं और हो रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक खेती किसानी पर भी कई खोज व अविष्कार कर रहे हैं, जिसका नतीजा यह निकल कर आ रहा है कि किसानों को खेती करने के नए तरीके मिल रहे हैं और फसलों कई नई नई किस्मों को जानकारी मिल रही हैं। इसका सीधा फायदा किसानों को मिल रहा है। पहले की तुलना में अब खेती करना किसानों के लिए फायदे का सौदा हो रहा है।

यूपी में भी किसान पैदा कर रहे केला

कृषि वैज्ञानिकों ने केला की खेती पर भी काफी कुछ काम किया है। मसलन खेती करने के तरीके में बदलाव और इसकी नई किस्मों को खोज की हैं। ऐसे में अगर कोई किसान अब आधुनिक तरीके व नए किस्मों का उपयोग कर केले की खेती कर रहा है, वह अधिक माल कमा रहा है। ऐसे में अगर आप किसान हैं और कोई कमाओ फसल करने के बारे में सोच रहे हैं तो केला की खेत कर सकते हैं। हालांकि याद रखें कि जब भी केला की खेती करें तो टिशू कल्चर विधि से करें, इससे फसल को तैयार होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा और केला का उत्पादन भी अधिक होगा। भारत में सबसे अधिक केला की खेती आंध्र प्रदेश में की जाती है। इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात में भी किसान भाई केले की खेती कर रहे हैं। यहां तक कि उत्तर प्रदेश के कुछ किसानों ने भी केले की खेती शुरू कर दी है।

कैसे करें केले की खेती?

अगर आप केले की खेती करने जा रहे हैं तो सबसे पहले अपने खेती की मिट्टी के बारे में जानकारी ले लें कि खेती की मिट्टी कौन सी है,क्योंकि इसकी खेती के लिए चिनकी बलुई मिट्टी सबसे अधिक मानी गई है। भूमिक का पीएच मान 6-7.5 के बीच होना चाहिए। खेत को ऐसा तैयार करें कि जब तक खेत में केला लगा हो तो वहां जलभराव न हो, वरना पौधा खराब हो सकता है। वहीं, केले की खेती के लिए 13 डिग्री. सें -38 डिग्री. सेंटीग्रेट तापमान अच्छा माना गया है। यह तापमान सर्दियों में देखने को मिलता है। हालांकि इसका खेत तैयार करने के लिए पहले जमीन को 2-4 बार जोतकर समतल कर लें। फिर पौधे को रोपण के लिए 45 x 45 x 45 सेमी के आकार के गड्ढा खोदें। इन खोदे गए गड्ढों में 10 किलो मिट्टी में 250 ग्राम खली एवं 20 ग्राम कार्बोफ्युरॉन को मिलकर इसका भराव करें। तैयार गड्ढों को खुला छोड़ें, ताकि, सूरज की धूप उनको लग सकें और इसमें लगे हानिकारक कीट नष्ट हो सकें।

केले की खेती कब करें?

वैसे तो किसान केले की खेती की रोपाई जून-जुलाई और अक्टूबर-नवम्बर महीने में कर सकते हैं, लेकिन आधुनिक तरीके के चलते अब इसकी खेती पूरे साल की जानी लगी है और यह आधुनिक तरीका है टिश्यू कल्चर पद्धति। ऐसे किसान इस पद्धति से केले की खेती को पूरे साल कर सकता है। अगर किसान के पास ड्रिप सिंचाई की सुविधा हो, वह पॉली हाउस में टिश्यू कल्चर पूरे साल केले का उत्पादन कर सकता है। इस विधि से 59 फीसदी जल की बचत होती है और 26 से 27 फीसदी उत्पादन बढ़ता है।

केले की उन्नत किस्में

देश में केले की 500 से अधिक प्रजातियां है। इसमें प्रमुख प्रजातिरोवेस्टा, बत्तीसा, कुठिया, लाल केले, सफ़ेद वेलाची, बसराई, पूवन, न्याली, रास्थाली है। इसके अलावा जी-9 किस्म केला भी किसानों को अच्छा लाभ देता है।

कमाई

किसान भाई केले की खेती से एक बीधे में 2 लाख रुपए आराम से कमा सकते हैं। एक बीधे में केले की खेती करने में 50 हजार रुपये की लागत आती है। यह दो लाख रुपए की कई कमाई लागत हटाने के बाद मिलती है।

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