Insurance: पत्नी और बच्चों से है प्यार तो आज ही बीमा के साथ लीजिए MWP Act का लाभ, जानिए पूरी डिटेल

Married Women Property Act 1874- बीमा पॉलिसी के साथ विवाहित महिला संपत्ति अधिनियम लगते ही ट्रस्ट बन जाती है आपकी जीवन बीमा पॉलिसी। इसके बाद आपकी पॉलिसी न तो कुर्क हो सकेगी और न ही लेनदार कुछ कर पाएंगे।

Update: 2023-07-07 04:04 GMT
पत्नी और बच्चों के हितों की सुरक्षा करता है विवाहित महिला संपत्ति अधिनियम (फोटो- साभार सोशल मीडिया)

Married Women Property Act 1874- राजधानी के अमीनाबाद में रामकुमार (काल्पनिक नाम) की एक दुकान थी। अचानक एक रात को उनकी दुकान में आग लग गई, जिसके चलते उनकी पूरी दुकान खाक हो गई। इतना ही नहीं रामकुमार की दुकान में लगी आग की वजह से आसपास की 9 दुकानें भी जलकर खाक हो गईं। नाराज पड़ोसी दुकानदारों ने रामकुमार से हर्जाने की मांग करते हुए एफआईआर दर्ज करा दी।

मामला न्यायालय में पहुंचा जहां कोर्ट ने पाया कि पड़ोसी दुकानदारों का नुकसान रामकुमार की लापरवाही की वजह से हुआ है। ऐसे में जज साहब ने उन्हें सभी के नुकसान की भरपाई का आदेश दिया। ऐसा करने में रामकुमार की पूरी संपत्ति बिक गई। यहां तक कि जो बीमा पॉलिसी चल रही थी, वह भी जब्त हो गई। ऐसे में उनका परिवार (पत्नी और बच्चे) बेघर हो गया। सवाल उठता कि इस स्थिति में पत्नी और बच्चों की क्या गलती थी जो उन्हें इस दौर से गुजरना पड़ा।

ऐसे मिलती है आर्थिक सुरक्षा

पत्नी और बच्चों को इसी नुकसान से बचाने के लिए 1874 में विवाहित महिला संपत्ति अधिनियम (Married Women Propery Act 1874) आया था। पॉलिसी में इस एक्ट का लाभ लेने पर पत्नी और बच्चों के अधिकार सुरक्षित हो जाते हैं। न तो कोई लेनदार इस पॉलिसी को हड़प पाएगा और न ही कोर्ट के आदेश के बावजूद इसे जब्त किया जा सकेगा। पॉलिसी की न तो कुर्की की जा सकेगी और न ही कोई लेनदार इसको ले सकेगा। क्लेम का भुगतान सिर्फ न्यासी को ही होगा।

कौन ले सकता है इस एक्ट का लाभ?

बीमा अधिनियम 1938 की धारा 6 का Married Women Propery Act 1874 पत्नी और बच्चों के लाभों की सुरक्षा का प्रावधान करती है। MWP Act लगी पॉलिसी को सिर्फ विवाहित पुरुष ही ले सकता है। इसके तहत लाभार्थी पत्नी (एक पत्नी) और बच्चे ही होते हैं। खुद बीमाधारक भी इस पॉलिसी की मैच्योरिटी नहीं ले पाएगा। पॉलिसी के साथ अगर एक बार विवाहित महिला संपत्ति अधिनियम जुड़ गया तो फिर पॉलिसी को सरेंडर, नॉमिनेशन या समनुदेशन नहीं किया जा सकता।

ट्रस्ट बन जाती है पॉलिसी


अधिनियम की धारा 6 न्यास के निर्माण का भी प्रावधान करती है। मतलब जैसे ही आपने विवाहित महिला संपत्ति अधिनियम के तहत पॉलिसी ली तो पॉलिसी, पॉलिसी न रहकर एक न्यास (ट्रस्ट) बन जाएगी। इसमें ट्रस्टी पत्नी और बच्चे होंगे। अगर पॉलिसी में कोई न्यासी नियुक्त नहीं है तो क्लेम की राशि राज्य के सरकारी न्यासी को देय होगी।

ट्रस्ट एक कानूनी एग्रीमेंट होता है जिसमें तीन पक्ष होते हैं


1- पॉलिसीधारक
2- ट्रस्टी
3- लाभार्थी
ट्रस्टी या तो व्यक्ति हो सकता है या फिर कोई निकाय जो आस्तियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। ट्रस्टर द्वारा ट्रस्ट के रूप में जिसका स्वामित्व उन्हें सौपा जाता है। लाभार्थी एक व्यक्ति होता है जो ट्रस्ट से लाभ पाता है।

एमडब्ल्यूपी एक्ट के तहत बीमा इनसे मुक्त होता है-


- अदालती कुर्की से
- लेनदारों से

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