मोदी सरकार के पैकेज पर मूडीज ने उठाए सवाल: नहीं दूर होंगी कोरोना संकट की दिक्कतें

कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार की ओर से करीब 21 लाख करोड़ रुपए के बड़े आर्थिक पैकेज का एलान किया गया है मगर रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक इस पैकेज से भी इस संकट से निपटने में बहुत ज्यादा मदद नहीं मिलने वाली है।

Update:2020-05-19 20:46 IST

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार की ओर से करीब 21 लाख करोड़ रुपए के बड़े आर्थिक पैकेज का एलान किया गया है मगर रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक इस पैकेज से भी इस संकट से निपटने में बहुत ज्यादा मदद नहीं मिलने वाली है। मूडीज ने इस पैकेज को नाकाफी करार देते हुए कहा है कि इससे एसेट रिस्क कम होगा मगर इस पैकेज के जरिए कोरोना के निगेटिव असर से बचना मुश्किल होगा।

वित्त मंत्री ने घोषित किया था पैकेज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों राष्ट्र के नाम संबोधन में देश को कोरोना संकट से निजात दिलाने के लिए बड़े आर्थिक पैकेज का एलान किया था। पीएम मोदी की घोषणा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पैकेज का सिलसिलेवार ब्योरा पेश किया था जिसके मुताबिक एमएसएमई सेक्टर के लिए 3.70 लाख करोड़ रुपए की मदद का एलान किया गया था। इसके साथ ही बिजली वितरण कंपनियों के लिए 90000 करोड़ रुपए और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए 75000 करोड़ रुपए जारी करने की घोषणा की गई थी। वित्त मंत्री ने किसानों, श्रमिकों, मध्यमवर्ग के लोगों और विभिन्न उद्योगों से जुड़े लोगों के लिए भी बड़ी योजनाओं का एलान किया था मगर रेटिंग एजेंसी मूडीज को ये घोषणाएं बहुत ज्यादा प्रभावशाली नहीं दिख रही हैं।

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कोरोना संकट के दुष्प्रभाव से नहीं बचेंगे

मूडीज का कहना है कि निश्चित रूप से सरकार के इन कदमों से एसेट रिस्क कम होगा मगर इससे कोरोना संकट के दुष्प्रभावों से पूरी तरह नहीं बचा जा सकता। मूडीज का कहना है कि कोरोना संकट से पहले से ही एमएसएमई सेक्टर तमाम दिक्कतों से जूझ रहा है और अब लॉकडाउन के कारण ये दिक्कतें काफी बढ़ चुकी हैं। नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए जारी पैकेज पर इस एजेंसी का कहना है कि कंपनियों को तत्काल कैश की जरूरत है। ऐसे में जरूरत को देखते हुए यह पैकेज काफी कम है।

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एमएसएमई की दिक्कतें नहीं होंगी दूर

मूडीज के मुताबिक केंद्र सरकार की घोषणाओं से लिक्विडिटी का संकट दूर करने में मदद जरूर मिलेगी, लेकिन लंबे समय में यह घोषणा बहुत ज्यादा फायदेमंद नहीं साबित होंगी। मूडीज ने खासतौर पर एमएसएमई के लिए चिंताएं जताई हैं और कहा है कि इस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और सरकार के एलान इन दिक्कतों को दूर करने में बहुत ज्यादा मददगार नहीं होंगे। मूडीज का कहना है कि कोरोना संकट ने एमएसएमई के लिए कहर बरपाया है। लॉकडाउन के कारण दिक्कतें इतनी ज्यादा बढ़ चुकी हैं कि वे इतनी जल्दी नहीं दूर होने वाली है।

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संगठन ने भी उठाए पैकेज पर सवाल

एमएसएमई सेक्टर के संगठन ने भी सरकार के पैकेज पर सवाल उठाते हुए कहा है की तीन लाख करोड़ रुपए के पैकेज से 50 लाख यूनिटों को फायदा पहुंचने की बात कही जा रही है। सही बात तो यह है कि सरकार को इन यूनिटों की सही संख्या की जानकारी ही नहीं है क्योंकि देश में एमएसएमई की छह करोड़ यूनिट्स है। इसका मतलब पूरी तरह साफ है कि पैकेज से 90 फ़ीसदी एमएसएमई यूनिट्स को कोई फायदा नहीं पहुंचने वाला है।

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