Moti Ki Kheti Kaise Kare: माला-माल हो जाएंगे, मोती की खेती बना देगी लखपति, जान लें पैसे कमाने का ये बढ़िया तरीका

Moti Ki Kheti Kaise Kare: मोतियों की बढ़ती मांग को देखते हुए लोगों का रुझान मोती की खेती की तरफ बढ़ा है। किसानों के लिए मोती की खेती अच्छा विकल्प बन कर उभरा है।

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2024-12-16 12:50 IST

Moti Ki Kheti Kaise Hoti Hai

Moti Ki Kheti Kaise Kare: आभूषण उद्योग में मोतियों से सजी ज्वेलरी की मांग आज से नहीं बल्कि आदिकाल से चली आ रही है। हमारे इतिहास में दर्ज गाथाओं में राजा महाराजाओं से लेकर महारानियों के बीच सीप से निकले कीमती मोतियों से तैयार गहनों का खास महत्व रहा है। मौजूदा समय में इसकी डिमांड में और ज्यादा इजाफा हो गया है। सीप से मिलने वाले एक छोटे से कीमती मोती ने अब एक बड़े उद्योग का रूप ले लिया है। जिसकी पैदावार करके किसान लाखों रुपए की कमाई अर्जित कर रहे हैं। यही वजह है कि लगातार सीप की खेती (Oyster Farming) की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। अब आपके दिमाग में ये प्रश्न आ रहा होगा कि मोती तो केवल समुद्र की गहराइयों में ही पैदा होते हैं? लेकिन अब वैज्ञानिक तरक्की के चलते रेगिस्तान में भी लोग मोती की खेती कर रहे हैं। यहां तक कि कुछ लोग घर में ही मोती की खेती कर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।

किसानों के लिए मोटी कमाई का अच्छा विकल्प बन रही सीप की खेती

मोतियों की बढ़ती मांग (Motiyon Ki Mang) को देखते हुए लोगों का रुझान मोती की खेती (Moti Ki Kheti) की तरफ बढ़ा है। भारत के लगभग हर इलाके में मोती की खेती हो रही है। सरकार भी इस खेती को बढ़ावा देने के लिए ट्रेनिंग से लेकर बाजार में इनकी खरीद फरोख्त तक में लोगों की मदद कर रही है। वहीं, अधिक कमाई के लिए किसान अपनी पारंपरिक खेती के अलावा भी ज्यादा आय देने वाली फसलों का चुनाव कर रहे हैं। इसमें मोती किसानों के लिए अच्छा विकल्प बन कर उभरा है। इसका उत्पादन कर किसान लाखों में लाभ कमा रहे हैं।

मोती की गुणवत्ता के अनुसार तय होती है उसकी कीमत

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मोती एक प्राकृतिक रत्न है, जो सीप के भीतर से पैदा होता है। जब कोई बाहरी पदार्थ, जैसे रेत या कीट, सीप के अंदर घुस जाता है, तो सीप खुद को बचाने के लिए उस पर चमकदार परतें जमा करता है। यह परतें नैकर या मदर-ऑफ-पर्ल (Mother-of-pearl) कहलाती हैं। समय के साथ, ये परतें मिलकर मोती बनाती हैं। मोती बनाने के लिए, प्राकृतिक तौर पर सीप का एक साल से ज़्यादा उम्र का होना ज़रूरी है। मोती, कैल्शियम कार्बोनेट और दूसरे पदार्थों से मिलकर बना होता है। मोती कई रंगों में पाए जाते हैं, जैसे कि मखनिया, गुलाबी, उजला, काला, और सुनहरा। मोती की सबसे सुंदर और कीमती आकृति गोल होती है।

मोती की गुणवत्ता के अनुसार ही बाजार में उसकी कीमत (Pearl Price) तय होती है। एक सामान्य मोती का दाम 300 से 1500 रुपए तक होता है। वहीं डिजायनर मोती के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10 हजार रुपए से ज्यादा की कीमत मिलने की उम्मीद रहती है। मोती की मांग घरेलू बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में हमेशा बनी रहती है। वैज्ञानिक विधि से और प्रशिक्षण लेकर अगर मोती की खेती (Moti Ki Kheti) करते हैं तो अच्छी गुणवत्ता वाली मोती की खेती की जा सकती है। इसे बाजारों में बेचकर किसान काफी मुनाफा कमा सकते हैं।

घर में ही कृत्रिम तालाब बनाकर कर रहे सीप की खेती

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मोती की खेती के लिए सबसे अनुकूल समय अक्टूबर से दिसंबर तक का माना जाता है। समुद्र में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली सीप की खेती के लिए तालाब की जरूरत पड़ती है। तालाब में ही सीप के माध्यम से मोती की खेती की जाती है। मोती की खेती के लिए एक छोटे तालाब के विकल्प के तौर पर कुछ लोग घरों में ड्रम में ही कृत्रिम तालाब बनाकर मोती पैदा कर रहे हैं। सीप की खेती के लिए घर में बने कमरे, छत या खेत में 50 वर्ग फ़ीट का छोटा तालाब बनाया जा सकता है।

अब इसके लिए तालाब की जरूरत नहीं है, पानी की टंकी में भी की जा सकती है। खेती के लिए इन सीपों को नदियों या तालाब से इकट्ठा किया जा सकता है या सीप बाज़ार से भी ख़रीदा जा सकता है। सरकारी संस्थानों से या मछुआरों से सीप खरीदकर मोती की खेती शुरू की जा सकती है।

मोती की खेती का व्यवसाय कैसे शुरू करें?

इसे शुरू करने में आपको 5 से 6 लाख रुपये का निवेश (Moti Ki Kheti Mein Kitna Nivesh Karna Hoga) करना होगा और पहली बार में ही आप 30 लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं। मोती पालन के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी मिलती है। आप शुरुआती बिजनेस के लिए 1 हेक्‍टेयर तालाब की जरूरत होगी। तालाब के अंदर भी इन्हें नायलॉन बैग में भरकर ही डाला जाता है।

कमर्शियल मोती की खेती एक लाभदायक व्यवसायिक विचार

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

जैसे-जैसे भारत में मोती उद्योग तेजी से तरक्की कर रहा है, मोती की मांग भी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। हालाँकि, मोती की खेती के लिए प्रमुख प्रेरक कारक नई प्रौद्योगिकियाँ और आधुनिक तकनीकों तक अधिक व्यापक पहुँच हैं। मोती की खेती के लिए बहुत ज्यादा पैसों की आवश्यकता नहीं हैं। किसान सीप के सहारे मोती उत्पादन कर सकते हैं।

इसके लिए उन्हें एक तालाब या टैंक का चुनाव करना होगा। इसके बाद सबसे पहले सीपों को घर पर ही बनाए गए छोटे तालाब में वातावरण के अनुकुल ढालने के लिए 10 दिन तक छोड़ना होगा। फिर सर्जरी करके उनमें न्यूक्लीयस डालकर तीन दिन एंटीबॉडी में रखा जाता है। जिसके बाद सभी सीपों को 12-13 माह तक तालाब में छोड़ दिया जाता है।

बता दें कि सीप से मोती निकालने के काम में तीन गुना तक का मुनाफा हो जाता है। सीप की खेती में, सीप के अंदर दो मोती पैदा हो सकते हैं। एक सीप के लिए करीब तीन लीटर पानी की ज़रूरत होती है। तालाब या टैंक से समय-समय पर पानी निकालना ज़रूरी होता है। जब भी पानी गंदा दिखे, तो टैंक या तालाब का 40 प्रतिशत पानी निकाल देना चाहिए और उसमें नया पानी डाल देना चाहिए।

सीप की खेती के लिए ट्रेनिंग है जरूरी

बस सीप की खेती के लिए सही ट्रेनिंग लेना जरूरी होता है। कई सरकारी और प्राइवेट संस्थानों द्वारा ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जाते हैं। चार सालों तक सरकारी परीक्षा में असफल होने के बाद महज पांच दिन के ट्रेनिंग प्रोग्राम ने गौरव पचौरी का जीवन बदल दिया। रेगिस्तान में मोती उगाकर आज वह लाखों की कमाई कर रहे हैं।

मोती कितने प्रकार के होते हैं

संवर्धित मोती 5 मुख्य किस्मों में आते हैंः अकोया, ताहितियन, फ्रेशवाटर, व्हाइट और गोल्डन साउथ सीज़ और कॉर्टेज़ सी मोती। प्रत्येक प्रकार के मोती की अपनी अनूठी सुंदरता होती है, जो आज के मोती प्रेमियों को पसंद आती है। असल में खारे पानी और मीठे पानी के दोनों मोलस्कों के मोती अलग-अलग रंग के होते हैं। खारे पानी के मसल्स, जिन्हें आम तौर पर सीप कहा जाता है, सिर्फ़ ये ही ऐसे मोलस्क नहीं हैं, जो मोती पैदा करते हैं बल्कि मीठे पानी के मसल्स भी मोती पैदा करते हैं। बस इनके रंगों में विभिन्नता होती है।

संवर्धित मोती और प्राकृतिक मोती में क्या अंतर है

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

प्राकृतिक मोती बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के समुंदर में उगते हैं। वे आज बहुत ही दुर्लभ हैं और आज बाजार में मौजूद अधिकांश प्राकृतिक मोती प्राचीन समय के ही हैं। जबकि संवर्धित मोती कृत्रिम तालाब में उगाए जाते हैं और वे मानवीय हस्तक्षेप का प्रत्यक्ष परिणाम हैं। मोती आभूषण बाजार में अधिकांश मोती संवर्धित मोती हैं।

मोती प्राकृतिक है या नहीं यह कैसे पता चलेगा

मोती असली है या नकली, यह जानने का सबसे आसान तरीका (Moti Asli Hai Ya Nakli Kaise Pahchane) है कि मोती को लें और उसे अपने दांतों पर रगड़ें। व्हिटेन बताते हैं, अगर मोती की सतह दानेदार लगती है, तो यह असली है। अगर सतह चिकनी लगती है, तो यह नकली है।

भारत में सबसे ज्यादा मोती की खेती करने वाला क्षेत्र

भारत में सर्वाधिक मोती उत्पादक क्षेत्र मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले को माना जाता है। यहां पैदा होने वाले मोती, दुनिया के सबसे खूबसूरत मोतियों में से एक माने जाते हैं। इन मोतियों को खरीदने के लिए हैदराबाद और जयपुर के व्यापारी आगे आते हैं और इन्हें विदेशों में भी एक्सपोर्ट करते हैं।

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