National Monetisation Pipeline: निजीकरण से पैसा जुटाने की बड़ी मुहिम, जानिए पूरी डिटेल्स

National Monetisation Pipeline: सरकारी संपत्तियों के नियत अवधि तक इस्तेमाल के अधिकार बेचकर 6 लाख करोड़ रुपए जुटाने का है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Dharmendra Singh
Update:2021-08-24 17:36 IST

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो: सोशल मीडिया)

National Monetisation Pipeline: सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों और सरकार की कमाई बढ़ाने के उपाय ढूंढने में काफी सक्रियता दिखाई है। इसी कड़ी में अब नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना लॉन्च की गयी है। इस योजना का जिक्र वित्त मंत्री ने 2021-22 का केंद्रीय बजट पेश करते समय किया था।

चार साल की इस योजना में केंद्र सरकार का इरादा सरकारी संपत्तियों के नियत अवधि तक इस्तेमाल के अधिकार बेचकर 6 लाख करोड़ रुपए जुटाने का है। सरकार को इससे अपना खजाना भरने और वित्तीय घाटे को काबू में रखने में मदद मिलेगी, साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को दीर्घकालिक सपोर्ट भी मिलेगा।

नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन

जैसा कि इस योजना का नाम है उससे साफ है कि इसके तहत सरकारी संपत्तियों के इस्तेमाल से कमाई की जायेगी। निति आयोग द्वारा तैयार किये गए इस प्लान के तहत सड़क और रेलवे संपत्तियों, एयरपोर्ट, पावर ट्रांसमिशन लाइनें और गैस पाइपलाइनों को बेचे बिना उनमें निजी क्षेत्र का निवेश लाया जाएगा।
निजी निवेश 'ब्राउनफील्ड' यानी चालू संपत्ति में लाया जाएगा। यानी जिन संपत्तियों का पूरा वित्तीय इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है, उनको बेहतर बनाने के लिए निजी क्षेत्र को साथ लाया जाएगा। यहां सरकार ने साफ कहा है कि सार्वजानिक संपत्ति को बेचा नहीं जाएगा और उनका मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा। यानी निजी निवेशक किरायेदार की भूमिका में रहेगा। सरकार का कहना है कि एनएमपी के टॉप 3 सेक्टर में सड़क, रेलवे और पावर सेक्टर शामिल होंगे। इसका मकसद सार्वजानिक संपत्ति में सरकारी निवेश की पूरी कीमत वसूल करना है। अगले चार साल में 15 रेलवे स्टेडियम, 25 एयरपोर्ट और मौजूदा एयरपोर्ट में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी और 160 कोयले की खानों को मॉनेटाइज किया जाएगा।
-नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन या एनएमपी में नॉन-कोर संपत्तियों और विनिवेश को शामिल नहीं किया गया है।
-एनएमपी का सूत्र है कि संपत्ति का मालिकाना अधिकार ट्रान्सफर नहीं किया जाएगा, एक निश्चित अवधि के बाद वह संपत्ति और उसके जरिये कमाई के जो भी साधन बनाये गए हैं वो सब सरकार को लौटाने होंगे।

रेलवे से कमाई
निति आयोग ने एनएमपी के बारे में जो रोड मैप तैयार किया है उसमें रेलवे के बारे में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-25 के बीच मोनेटाईजेशन की वैल्यू 1,52,496 करोड़ रुपये की होगी। इस दौरान 400 रेलवे स्टेशनों, 90 यात्री ट्रेनों, 1400 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक, कोंकण रेलवे की 741 किलोमीटर की लाइन, पर्वतीय रेलवे के 244 किलोमीटर रूट की 4 ट्रेनें, 265 रेलवे मालगोदाम, डेडिकेटेड फ्रेट ट्रैक का 673 किलोमीटर का नेटवर्क, 15 रेलवे स्टेडियम और चुनिन्दा रेलवे कालोनियां-इन सबको निजी सेक्टर को सौंपा जाएगा। योजना के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 में 40 स्टेशन, 2023, 2024 व 2025 में 120 स्टेशनों का मौद्रिकरण किया जाएगा।
इन दौरान क्या क्या कम होंगे ये तो नहीं बताया गया है, लेकिन संभवतः रेलवे स्टेशनों को हवाई अड्डों की तर्ज पर कमाई का जरिया बनाया जा सकता है। मिसाल के तौर पर हवाई अड्डे को लीज पर लेने वाली कंपनी एंट्री टिकट, दुकानों की बिक्री पर कमीशन से कमाई, टर्मिनल फीस, अदि से पैसा कमाती है। इसलिए संभवतः, रेलवे स्टेशनों को उसी तर्ज पर विकसित किया जाएगा। जबतक निजी कम्पनी को कमाई के बढ़िया अवसर नहीं मिलेंगे तब तक वह भला पैसा और शक्ति क्यों लगाएगी?
रेल मंत्रालय की प्राथमिकता में रेलवे स्टेशनों का डेवलपमेंट शामिल है। रेलवे ने यात्रियों के लिए विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए स्टेशनों के डेवलपमेंट का काम शुरू भी किया है। इसके तहत स्टेशनों को आर्थिक गतिविधियों का हब बनाने और उनको शहरों के प्रमुख केंद्र के रूप में पुनर्स्थापित करने का इरादा है। यह काम पीपीपी मॉडल पर शुरू भी किया गया है। नीति आयोग ने दस स्टेशनों का उदाहरण दिया है और इनमें नई दिल्ली, मुंबई, नागपुर, अमृतसर, तिरुपति, देहरादून, ग्वालियर, साबरमती, नेल्लोर और पुडुचेरी शामिल हैं।


टेलीकॉम सेक्टर

नीति आयोग ने टेलीकॉम सेक्टर के तहत 2.86 लाख किलोमीटर के भारतनेट फाइबर और बीएसएनएल और एमटीएनएल के 14,917 टावर का उल्लेख किया है। वित्त वर्ष 2022-2025 में मोनेटाईजेशन की वैल्यू 35,100 करोड़ रुपये रखी गयी है। नीति आयोग के मुताबिक, टेलीकॉम सेक्टर में सिग्नल टावर और ऑप्टिक फाइबर सबसे बड़ी संपत्तियां हैं। इन्हीं संपत्तियों के इस्तेमाल से कमाई की जा सकती है। भारत फाइबर नेटवर्क के अंतर्गत केरल, कर्नाटक, यूपी ईस्ट और यूपी वेस्ट का जिक्र किया गया है।

किन सेक्‍टर्स से आएगा पैसा

सरकार ने इस प्रोग्राम में 6 लाख करोड़ रुपए की जिस संपत्ति की पहचान की है, उसमें सड़क सबसे ऊपर है। सरकार का मकसद हाइवे को बिल्‍ड ऑपरेट ट्रांसफर मॉडल पर ट्रांसफर करके 1.5 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य है। इसके बाद नंबर आता है रेलवे का जिसमें सरकार ने 1 लाख 52 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्‍य रखा है। इसके बाद पावर सेक्‍टर यानी पावर ग्रिड की ट्रांसमिशन लाइन को मोनेटाइज करके सरकार ने 45 हजार 200 करोड़ रुपए जुटाए जाने हैं। एनटीपीसी, एनएचपीसी या कोल इंडिया के हाइड्रो पावर प्रोजेक्‍ट्स को मोनेटाइज करके सरकार ने 39 हजार 832 करोड़ रुपए का लक्ष्‍य तय किया है। गैस सेक्‍टर में गेल की पाइपलाइन को मोनेटाइज करके करीबी 24,000 करोड़ रुपए का लक्ष्‍य रखा गया है।

कैसे होगा इन पैसों का उपयोग

सरकार की कोशिश इससे पैसा जुटाकर दूसरे डेवलपमेंट कार्यों पर खर्च करने की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2021-22 के बजट भाषण में नए बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए एसेट मोनेटाइजेशन को एक बहुत महत्वपूर्ण वित्त-पोषण विकल्प बताया था। सरकार, संपत्तियों के मोनेटाइजेशन को केवल सिर्फ फंडिंग का जरिया ही नहीं बल्कि इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट्स के रखरखाव और विस्तार की बेहतर रणनीति के तौर पर देख रही है।
इसके अलावा सरकार इस योजना के जरिए बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की तरफ भी देख रही है। सरकारी नौकरियां अब बढ़नी है नहीं, इसलिए सरकार अन्य माध्यमों से रोजगार उपलब्ध करने की दिशा में काम कर रही है और ऐसे में मोनेटाईजेशन योजना काफी मददगार होगी।


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