Non-Veg Price: नॉनवेज के शौकीनों के लिए बड़ी खबर, अब इतने रुपए किलो में मिलेगा मटन-चिकन
Non-Veg Price Increased: महंगाई की मार अब चिकन-मटन में पड़ने वाली है। अब नॉनवेज की कीमतों में भी इजाफा हुआ है।
Non Veg Price Increased: अगर आप भी नॉनवेज के शौकीन हैं तो आपको झटका लगने वाला है। उत्तर प्रदेश समेत देश के तमाम राज्यों में नॉनवेज की कीमतों में दो गुनी उछाल आने वाली है। मटन-चिकन और अंडों को कीमतें बढ़ जाएंगी। इसके पीछे वजह है कि मुर्गियों के खाने वाला दाना महंगा हुआ है। इसके साथ ही चारे की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। महंगाई से परेशान जनता को दूध-दही दालों के बाद अब नॉनवेज के दामों ने भी झटका दे दिया है। अंडे और चिकन-मटन से लेकर थाली तक की कीमतों में 10 से 15 फीसदी की वृद्धि हुई।
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महंगा हुआ दाना और चारा
उत्तर प्रदेश समेत कई शहरों में मुर्गियों के खिलाने वाला दाना महंगा हो गया। इसके साथ ही जानवरों का चारा भी महंगा हो गया है। थोक कारोबारी हिमांशू ने बताया कि एक मुर्गे की पालने की कीमत में करीब 10-15 रुपए की बढोत्तरी हुई। चूजों को खिलाए जाने वाले दाने की कीमत 60 से 70 रुपए और बड़े मुर्गों का दाना 45 से 50 रुपए प्रति किलोग्राम है। वहीं कारोबारियों का कहना है कि मक्का और ट्रांसपोर्ट की कीमत बढ़ने का असर पड़ा है।
वहीं जानवरों गेंहू के बढ़ी कीमतों से चूनी और भूसी की कीमतों में उछाल आई है। परिवहन चार्ज भी बढ़ाने का असर देखने को मिल रहा है। मालूम हो कि मटन अलग अलग स्थानों में 500 से लेकर 750 रुपए प्रति किग्रा तक मिल रहा है। चिकन की कीमत 150 रुपए से लेकर 450 रुपए तक है। वहीं, मुर्गियों में बीमारियों का सबसे अधिक डर होता है। इनके रख-रखाव में भी अधिक खर्च होता है।
यूपी में रोजाना अंडों की कितनी है खपत
उत्तर प्रदेश में रोजोना 2 करोड़ अंडों से ज्यादा खपत होती है। यूपी पोल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब अली के अनुसार अगर ऑफ सीजन की बात करें तो भी डिमांड 1.5 करोड़ रहती है। जबकि यूपी में अंडा उत्पादन की बात करें तो 80 लाख से लेकर एक करोड़ तक है। नए-नए किसान बाजार में आए और एक-दो सीजन काम करने के बाद घाटा होने पर बंद करके चले गए। ऐसे में दूसरे राज्यों से अब अंडे मंगाने पड़ रहे। अंडों की कीमतों में उछाल आ रहा है।
महंगाई के पीछे ये भी वजह
क्रिशल की रिपोर्ट के अनुसार महंगाई की वजह ये है कि पशुओं का चारे में 55 फीसदी, आंटे की कीमत में भी सालाना 15 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई। इसके साथ ही तेल में 6 प्रतिशत और रसोई की कीमत में 10-12 फीसदी कीमत की बढोत्तरी हुई। वहीं ट्रांसपोर्टेशन में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में भी भारी इजाफा हुआ।