आलू की कीमत में लगी आग, 50 रुपए से ज्यादा हुआ महंगा, ये है वजह

सब्जियों के बढ़ रहे दाम ने आम आदमी की परेशानी को बढ़ा दिया है। बीते अक्टूबर में प्याज से लेकर आलू तक की कीमतों में इजाफा हुआ है। हालांकि प्याज के रेट में तो सुधार आ गया, लेकिन आलू अभी भी अपने तेवर दिखा रहा है।

Update: 2020-12-02 06:14 GMT
50 रुपये किलो के पार हुआ आलू, जानिए कब आयेगी कीमत में गिरावट

नई दिल्ली: सब्जियों के बढ़ रहे दाम ने आम आदमी की परेशानी को बढ़ा दिया है। बीते अक्टूबर में प्याज से लेकर आलू तक की कीमतों में इजाफा हुआ है। हालांकि प्याज के रेट में तो सुधार आ गया, लेकिन आलू अभी भी अपने तेवर दिखा रहा है। आलू देश के किसी भी हिस्से में 40 रुपये किलो से कम पर नहीं बिक रहा है।

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आगामी दिनों में आलू के भाव काबू में रहने की संभावना

गौरतलब है कि किसानों के आंदोलन का बड़ा असर भी आलू पर दिखाई दे रहा है। केंद्र सरकार द्वारा आलू की इम्पोर्ट ड्यूटी पर 10 लाख टन पर 10 फीसदी का कोटा तय किया गया है। सरकार ने इस कोटे को 31 जनवरी 2021 तक के लिए लागू किया है। फिलहाल औसत दाम 32 रुपए के आसपास है। सरकार के इस कदम से आगामी दिनों में आलू के भाव काबू में रहने की संभावना है। वहीं मंडियों जनवरी से आलू की नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी।

 

7-8 रुपये किलो बिकता था आलू

आलू उत्पादक किसान समिति के महामंत्री आमिर ने बताया कि इस समय गाजर-मटर के साथ आलू 7 से 8 रुपये किलो बिकता था। इस वक्त यूपी से करीब 32 करोड़ आलू के पैकेट जो 50 किलो के होते हैं बाज़ार में आ जाते थे। उन्होंने बताया कि पंजाब का आलू भी दिल्ली के साथ ही साउथ इंडिया में पहुंचना शुरु हो जाता था। यह नया आलू होता था। यूपी करीब 15 करोड़ पैकेट कोल्ड स्टोरेज में रखकर बाकी को सीधे बाज़ार में बेच देता था। इसलिए बड़े ही आराम से सर्दियों के मौसम में 7 से 8 रुपये किलो तक आलू बिकता रहता था।

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