आंखों से करें शॉपिंग: क्या गजब की चीज है, ये नहीं देखा तो कुछ ना देखा
मौजूदा समय में पेमेंट के लिए अलग-अलग तरीके आ चुके हैं। कार्ड से लेकर फोन के जरिए आप किसी भी चीज के लिए पेमेंट कर सकते हैं। अब इस मेथड में एक और प्रोसेस जल्द ही शामिल होने वाला है।
नई दिल्ली: मौजूदा समय में पेमेंट के लिए अलग-अलग तरीके आ चुके हैं। कार्ड से लेकर फोन के जरिए आप किसी भी चीज के लिए पेमेंट कर सकते हैं। अब इस मेथड में एक और प्रोसेस जल्द ही शामिल होने वाला है। जिसके लिए न आपको कार्ड. न मोबाइल की जरुरत होगी। इस पेमेंट मेथड के लिए बस आपकी आंखें ही काफी होंगी। जी हां, देश के बैंकिंग सिस्टम को बेहतर और सुरक्षित बनाने के लिए एक नए फीचर को जल्द ही जोड़ा जाने वाला है। इसकी शुरुआत भारत में होने वाली है।
RBI जल्द ही करने वाला है इसकी शुरुआत
भारतीय रिजर्व बैंक यानि कि RBI जल्द ही अपने ग्राहकों के लिए फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी की शुरुआत करने वाला है। इसके जरिए ग्राहक को शॉपिंग करके पेमेंट के लिए झंझट नहीं करने पड़ेगी, आप बिना समय गंवाए अपने घर जा सकते हैं। इसके अलावा ऐसा ही फीचर एटीएम (ATM) में भी लाने की तैयारी की जा रही है, जहां पर आप बिना कार्ड केवल अपना चेहरा दिखाकर कैश निकाल सकेंगे।
तमाम कंपनियां कर रही हैं इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
हालांकि मौजूदा समय में भी देश की कई कंपनियां इस टेक्नोलॉजी (फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी) का इस्तेमाल कर रही हैं। भारत बड़े पैमाने पर फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी को स्थापित करने की तैयारी में है। जिससे अपराधियों को पकड़ने में आसानी हो सके। इसके अलावा इसके जरिए लापता की पहचान, अज्ञात शवों की पहचान संभव हो पाएगी। लेकिन इससे कई मानवाधिकार कार्यकर्ता चिंतित हैं, क्योंकि उनका कहना है कि नागरिकों की आजादी को लेकर ये जोखिम भरा हो सकता है।
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कैसे होता है चेहरा दिखाकर पेमेंट?
भारत डिजिटल पेमेंट टेक्नोलॉजी की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है। लोग अब कार्ड से लेकर फोन के जरिए किसी भी चीज के लिए पेमेंट कर सकते हैं। मौजूदा समय में पेटीएम, फोनपे, गूगल पे, जैसे कई ऐप हैं, जो हर तरह के पेमेंट के लिए यूज किए जा रहे हैं। लेकिन चीन में सबसे ज्यादा फेशियल रिकग्निशन पेमेंट टेक्नोलॉजी का यूज करता है। यानि की चीन में सबसे ज्यादा चेहरे की पहचान के जरिए पेमेंट किया जाता है। आपको बता दें कि चीन में वर्तमान में 100 से भी ज्यादा शहर इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं।
चेहरे को करवाना होता है लिंक
फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी के जरिए पेमेंट करने के लिए कैमरे से कनेक्ट POS मशीन के सामने खड़े होते हैं और पेमेंट करते हैं।लेकिन इसके लिए पहले अपने चेहरे को बैंक अकाउंट या डिजिटल पेमेंट सिस्टम से लिंक करवाना होता है। चीन में इस सिस्टम की शुरुआत साल 2017 में हुई थी। फेशियल रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल पहले से ही बड़े स्तर पर किया जाता रहा है। यह टेक्नोलॉजी लगभग हर क्षेत्र में मददगार साबित हुई है। अब इस टेक्नोलॉजी को पेमेंट प्रोसेस को आसान बनाने के लिए यूज किया जा रहा है।
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वहीं अगर भारत की बात करें तो यहां पर भी फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एंट्री के लिए इस टेक्नोलॉजी की शुरुआत की गई। इसके बाद दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भी इसका ट्रायल शुरु हो चुका है।
यहां तक की रेलवे ने भी बढ़ते अपराधों पर रोकथाम के लिए इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया है। बेंगलुरु, मनमाड और भुसावल स्टेशनों पर इसका उपयोग होने लगा है। इसकी मदद से अब आरपीएफ यानि रेलवे पुलिस फोर्स आसानी से अपराधियों की पहचान कर सकती है। इस साल प्रथम चरण में दक्षिण-पश्चिम रेलवे ने हाल में 6 प्रमुख स्टेशनों में वीडियो सर्विलांस प्रणाली शुरू की है।
कैसे काम करती है फेशियल रेकग्निशन टेक्नोलॉजी?
ये टेक्नोलॉजी बायोमेट्रिक सॉफ्टवेयर की एक श्रेणी है, जो किसी भी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं को गणितीय रूप से मैप करती है। इसमें डाटा को फेस प्रिंट के तौर पर इकट्ठा किया जाता है। किसी व्यक्ति की पहचान के लिए यह सॉफ्टवेयर डीप लर्निंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल करती है। इस के जरिए चेहरे की विशेषताओं के आधार पर लोगों की पहचान की जाती है। यह एक कंप्यूटराइज्ड तरीका है। यह टेक्नोलॉजी कैमरे से चलती है।
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