Potato Farming: आलू की यह प्रजाति किसानों को बना रही लखपति, कम पानी में तैयार हो रही फसल, जानें कैसे करें?

Potato Farming Tips: आलू की खेती करने वाले किसानों को यूपी का उद्यान विभाग कुफरी सिंदूरी किस्म की आलू पैदा करने की सलाह दे रहा है। इसको आलू की अगेती फसल भी कहते हैं,क्योंकि यह जल्द तैयार होती है और किसानों को अच्छा लाभ दिलवाती है।

Update:2023-08-01 14:07 IST
Potato Farming Tips (सोशल मीडिया)

Potato Farming Tips: आलू हमेशा से नकदी फसल के रूप में जानी जाती है। देश के किसान बड़ी मात्रा में आलू की खेती करते हैं। किसानों को इसको तैयार में करने पड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। अभी खेतों में बारिश न होने से सूखे का खतरा बना रहता है तो कभी अधिक सर्दी की वजह से पाला का खतरा होता है। उत्तर प्रदेश इलाकों को आलू की बड़े पैमाने में किसान खेती करते हैं। जुलाई के पहले पखवाड़े मे शानदार बारिश होने के बाद मौसम ने मुंह मोड़ लिया है। इससे किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। ऐसे में कई किसान आलू की फसल तैयार करना चाहते हैं,लेकिन बारिश न होने की वजह से रुके हुए हैं।

ऐसे में आलू की खेती करने वाले किसानों को यूपी का उद्यान विभाग कुफरी सिंदूरी किस्म की आलू पैदा करने की सलाह दे रहा है। इसको आलू की अगेती फसल भी कहते हैं,क्योंकि यह जल्द तैयार होती है और किसानों को अच्छा लाभ दिलवाती है। अगर कोई किसान कुफरी सिंदूरी प्रजाति की आलू की खेती करता है तो वह आर्थिक रूप से काफी मजबूत हो सकता है।

यहां होती है सबसे अधिक खेती

भारत में आलू की खेती करीब सभी राज्यों की जाती है, लेकिन सबसे अधिक इसका उत्पादन उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, पंजाब, कर्नाटक, आसाम और मध्य प्रदेश में होता है। भारत में कई किसान कई किस्म की आलू की खेती करता है और बाजार में हर किस्म की मांग है। इसमें कुफरी सिंदूरी आलू है। इस प्रजाति वाली आलू कम समय में अधिक उत्पादन के साथ तैयार होती है,जिससे किसानों को पास कमाई का अच्छा मौका होता है। आलू की अच्छी व मौसमानुकूल पैदावार के लिए मध्यम शीत की आवश्यकता होती है।

आलू के लिए कैसी हो मिट्टी

दरअसल, आलू की कोई भी प्रजाति तैयार करिये लेकिन उसकी खेती करने का तरीका एक जैसा होता है। हालांकि प्रजाति के हिसाब से पैदावारी के सीजन अलग लोग सकते हैं। तो पहले जान लेते हैं कि किसान आलू की खेती कैसे करें? आलू भूमि के अंदर तैयार होता है इसलिए इसकी मिट्टी भूरभूरी होनी चाहिए। इसके लिए खेती की अच्छे से जुताई की जरूरत होती है। मिट्टी का पीएच मान 5.2 से 6.5 के बीच होना चाहिए। आलू को क्षारीय मृदा के साथ सभी मृदा में उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए रेतीली दोमट व सिल्टी दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी गई है।

अब बात करते हैं कि कुफरी सिंदूरी आलू के बारे में तो कृषि वैज्ञानिक किसानों को इस प्रजाति आलू को तैयार करने में सितंबर महीने में खेत तैयार करने की सलाह देते हैं। आलू की अगेती फसल के रूप में कुफरी सिंदूरी एक बेहतर किस्म है। यह फसल 80 दिनों में तैयार हो जाती है, जबकि इसकी पैदावारी प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल तक होती है। यानी किसान कम समय इसकी खेती कर बंपर कमाई कर सकते हैं।

अमेठी में हो रही बंपर पैदावार

उद्यान विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि कम समय में अधिक उत्पादन देने पर किसानों की कुफरी सिंदूरी प्रजाति आलू की खेती की पहली पंसद बन गई है। यूपी के अमेठी जिले में कई हजार हेक्टेयर में किसान कुफरी सिंदूरी किस्म की खेती कर रहे हैं। वहीं, सरकार भी किसानों को सहायता प्रदान कर रही है। अमेठी जिले के एक जिला उद्यान अधिकारी ने कहा कि यहां का किसान आलू की खेती अधिक करता है, इसलिए कुफरी सिंदूरी आलू का बीज हर साल बाजार से कम कीमत पर उपलब्ध करवाया जाता है। किसानों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर बीज दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जिले में करीब 5000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की खेती होती है।

ऐसे लगाएं कुफरी सिंदूरी आलू

कुफरी सिंदूरी आलू को बुआई का समय 15 सिंतबर से लेकर 25 अक्टूबर तक होता है। खेत को दो से तीन बार गहरी जुताई कर तैयार करें। मिट्टी बिल्कुल भुरभुरा होना चाहिए। जलनिकासी सही, ताकि खेतों में पानी न भरे। एक लाइन से दूसरी लाइन के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी होना चाहि, जबकि बीज की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए। बुवाई के 80 दिन बाद यह आलू तैयार हो जाती है। किसान भाई खेतों से खुदाई कर बाजार में सीधे अच्छे दामों में इसकी बिक्री कर सकते हैं।

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