RBI का तगड़ा झटका: आम आदमी के लिए बुरी खबर, जानें पूरा मामला

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट में RBI ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है।

Update: 2020-02-06 07:26 GMT

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट में RBI ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो दर 5.15 फीसदी पर बरकरार रहेगी। जिस वजह से कर्ज लेने वालों को कोई राहत नहीं मिली है। पिछले साल पांच दिसंबर को भी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था। आपको बता दें कि केंद्रीय बैंक खुदरा महंगाई को ध्यान में रखते हुए प्रमुख नीतिगत दरों पर फैसला लेता है। 2019 में रेपो दर में कुल 135 आधार अंकों की कटौती हुई थी। ऐसा नौ सालों में पहली बार हुआ है जब रेपो रेट इतना कम है। मार्च, 2010 के बाद यह रेपो रेट का सबसे निचला स्तर है।

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चार फरवरी को शुरू हुई थी बैठक

RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 04 फरवरी को शुरू हुई थी। इसमें रेपो रेट पर बहुत से फैसला करते टाइम खुदरा महंगाई को ध्यान में रखा जाता है, जो पांच फीसदी से ज्यादा पहुंच चुकी है।

यह था अनुमान

पहले ये उम्मीद जताई जा रही थी कि साल 2019 में रेपो रेट के रिकॉर्ड पांच बार लगातार कटौती करने के बाद रिजर्व बैंक नए वित्त वर्ष की शुरुआत सख्त फैसलों के साथ कर सकता है। विश्लेषकों को अनुमान था कि 2020-21 में राजकोषीय घाटा बढ़ने के दबाव की वजह से RBI रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है। सरकार ने आगामी वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 फीसदी रखा है।

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क्या होता है रेपो रेट?

रेपो रेट यो दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। अगर रेपो रेट में कटौती का फायदा बैंक आप तक पहुंचाते हैं तो का आम लोगों को इससे फायदा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि RBI द्वारा रेपो रेट घटाने से बैंकों पर ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव रहता है। जिससे लोगों को लोन सस्ते में मिलता है। वैसे तो बैंक इसे कब तक और कितना कम करेंगे ये उन पर डिपेंड करता है।

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