RBI: आरबीआई की रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन, सतत विकास की चुनौतियों पर केंद्रित है
RBI: नोट के छापने से हो रहा पर्यावरण को नुक़सान क्यूँकि उसे कपास, लेनिन से तैयार किया जाता है। आरबीआई पर्यावरण सुरक्षा के लिए डिजिटल करेन्सी को दे रही बढ़ावा।
RBI: रिपोर्ट में भारत में टिकाऊ उच्च विकास के लिए भविष्य की चुनौतियों का आकलन करने के लिए जलवायु परिवर्तन के चार प्रमुख आयामों को शामिल किया गया है।
रिज़र्व बैंक ओफ़ इंडिया की रिपोर्ट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष (FY) 2022-23 के लिए मुद्रा और वित्त पर एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट का विषय 'टुवर्ड्स ए ग्रीनर क्लीनर इंडिया' है। शीर्ष बैंक ने कहा कि रिपोर्ट में भारत में सतत उच्च विकास के लिए भविष्य की चुनौतियों का आकलन करने के लिए जलवायु परिवर्तन के चार प्रमुख आयामों को शामिल किया गया है, जैसे कि जलवायु परिवर्तन का अभूतपूर्व पैमाना और गति; इसके व्यापक आर्थिक प्रभाव; वित्तीय स्थिरता के लिए निहितार्थ; और जलवायु जोखिमों को कम करने के लिए नीतिगत विकल्प।
कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए भारत ने एक समयबद्ध और लक्ष्य कार्य योजना तैयार करी
भारत ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए एक लक्षित और समयबद्ध जलवायु कार्य योजना शुरू की है और वर्तमान में जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक, 2023 के अनुसार जी -20 देशों में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर है। भारत की हरित वित्तपोषण आवश्यकता कम से कम 2.5 प्रतिशत अनुमानित है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2030 तक सालाना, "शीर्ष बैंक ने कहा। भारत को 2070 तक अपना शुद्ध शून्य लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, आरबीआई ने कहा, देश को सकल घरेलू उत्पाद की ऊर्जा तीव्रता में सालाना लगभग 5 प्रतिशत की कमी की आवश्यकता होगी और नवीकरणीय ऊर्जा के पक्ष में लगभग 80 प्रतिशत तक ऊर्जा मिश्रण में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता होगी 2070-71 तक। केंद्रीय बैंक ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2030 तक अपने हरित संक्रमण लक्ष्यों को प्राप्त करने और बाद में 2070 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारत के लिए सभी नीति लीवरों में सुनिश्चित प्रगति के साथ एक संतुलित नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
डिजिटल मुद्रा है पर्यावरण के लिए फ़ायदेमंद
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) या ई-रुपया, अगर पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन (ईएसजी) के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है, तो वैकल्पिक कैशलेस तरीकों की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल हो सकता है। थोक और खुदरा दोनों उपयोगों के लिए CBDC या डिजिटल रुपये का पायलट चरण 2022 में RBI द्वारा लॉन्च किया गया था। आरबीआई के मुताबिक एक साल में 4,985 करोड़ रुपये केवल नोट छापने वाले कागज पर खर्च हुए हैं। डिजिटल मुद्रा की ऊर्जा आवश्यकता इसके अंतर्निहित तकनीकी ढेर पर निर्भर करती है।
नोटों के अधिक मात्रा में छपने से हो रहा जलवायु परिवर्तन
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 में बैंकनोटों की छपाई पर कुल खर्च 4,985 करोड़ रुपये था और इसमें छपाई के पैसे की इन्वाइरनमेंट, सोशिअल, गवर्नेन्स फैक्टर (ईसीजी) लागत शामिल नहीं है।
जलवायु तनाव-परीक्षण के परिणामों से पता चला है कि रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) भारत में निजी क्षेत्र के बैंकों (PVB) की तुलना में अधिक असुरक्षित हो सकते हैं।
जलवायु तनाव परीक्षण परिदृश्य-आधारित अभ्यास हैं जो जलवायु संबंधी जोखिमों के कारण वित्तीय प्रणाली/संस्थाओं को होने वाले नुकसान का आकलन करते हैं, जो कि जलवायु संबंधी आकस्मिकताओं के लिए पारंपरिक तनाव परीक्षणों की पद्धति को अपनाते हैं।
पेड़ पौधों के बचने में डिजिटल करेन्सी की अहम भूमिका
पेड़-पौधों को बचाने में डिजिटल करंसी की भूमिका अहम है। सरकारी व निजी बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान और कंपनियों से पूछे सवालों में यह खुलासा हुआ है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक की करंसी और फाइनेंस रिपोर्ट में पहली बार सार्वजनिक किया गया है। शहरीकरण की वजह से तापमान में वर्ष 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी होगी। इससे प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद दो फीसदी गिर सकता है। 90 बैकों और कंपनियों ने स्वीकार किया है कि पर्यावरण असंतुलन उनके कारोबार के लिए घातक हो गया है। इनमें से आधे ने कहा कि ग्राहकों के व्यवहार और मिजाज के अप्रत्याशित बदलाव से पूरा बाजार खतरे में है। बाजार में स्थिरता नहीं है। उत्पादों को लेकर कंपनियां भ्रमित हैं। उनके मुताबिक ऊर्जा और खनन पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। इनके बाद ऑटो सेक्टर, इंफ्रा और निर्माण सेक्टर का नंबर है। दिलचस्प बात ये है कि इन्हीं पांच सेक्टरों के दम पर बैंक जिंदा भी हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों से खनन में बेतहाशा तेजी
इलेक्ट्रिक वाहनों पर इंडस्ट्री का खासा जोर है लेकिन आरबीआई ने इस पर भी चिंता जताई है। इलेक्ट्रिक वाहनों को बनाने में कॉपर, लीथियम, निकेल, मैग्नीज और ग्रेफाइट का इस्तेमाल होता है। ये सभी जमीन से निकलते हैं। यही वजह है कि खनन में बेतहाशा तेजी आई है। वर्तमान में 2.60 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। एक करोड़ वाहन तो पिछले साल ही बिके थे।
नोटों में कपास, लेनिन और एडहेसिव
भारतीय मुद्रा को कपास से तैयार किया जाता है। कपास से लेनिन नाम का फाइबर तैयार करकें इसमें गैटलिन, एडहेसिव सॉल्यूशन और तीन अन्य तरह के केमिकल मिलाए जाते हैं। इससे नोट पानी में भीगने पर भी जल्दी खराब नहीं होते। सभी नोट छापने पर खूब रुपया भी ख़र्च होता है।