Gifted Property Taxed: उपहार में मिली संपत्ति की करना चाहते हैं बिक्री, तो देना होगा कोई टैक्स या फिर नहीं, जानें यहां
Gifted Property Taxed: लोगों को ध्यान देना चाहिए कि कुछ परिसंपत्तियों में पुनर्निवेश करके एलटीसीजी को कर से छूट के रूप में दावा किया जा सकता है। एलटीसीजी गणना और कर नियोजन के लिए पेशेवर मार्गदर्शन लेना सहायक हो सकता है।
Gifted Property Taxed: देश में अधिकांश लोगों के पास संपत्तियां अपने परिवारजनों से किसी न किसी रूप में उपहार में मिली होती है। कई लोग इस उपहार संपत्ति को बरकरार रखते हैं तो कुछ लोग इसकी बिक्री कर एक नई संपत्ति तैयार करते हैं। ऐसे में लोगों के मन सवाल उठता है कि क्या उपहार में मिली संपत्ति पर बिक्री करने पर कोई टैक्स देना पड़ता है? इस बात की अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं होती है, जिसके चलते उन्हें उपहार संपत्ति बेचने पर मुश्किलों को सामना करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं इस सवाल के बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
रोहित सिंह नाम एक व्यक्ति के पिता ने जून 2017 में उसे 54.5 लाख रुपये का घर उपहार में दिया। उस पर उसने स्टांप शुल्क के रूप में 4.5 लाख रुपए का भुगतान किया। अब वह इस साल अपने पिता से मिले उपहार रूप में घर को 2 करोड़ रुपये में बेचने की योजना बना रहा है। ऐसे में रोहित पूछ रहा है कि इस पर पूंजीगत लाभ की गणना कैसे होती है और उसको इस पर कितना टैक्स देना चाहिए।
उपहार में गई संपत्ति पर ऐसा लगता है कर
रोहित सिंह के इस सवाल पर एक सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट) का कहना है कि किसी वित्तीय वर्ष (वित्तीय वर्ष) के दौरान किसी व्यक्तिगत करदाता द्वारा बिना प्रतिफल के प्राप्त की गई कोई भी अचल संपत्ति, जिसमें घर भी शामिल है, जिसका स्टांप शुल्क मूल्य 50,000 रुपए से अधिक है तो वह कर योग्य नहीं है। ऐसे उपहार लेनदेन पर कोई कर निहितार्थ नहीं होना चाहिए। हालांकि घर की बिक्री से होने वाला कोई भी बाद का पूंजीगत लाभ कर योग्य होगा।
जानें एलटीसीजी क्या होता है?
सीए ने कहा कि यदि संपत्ति अधिग्रहण की तारीख से 24 महीने से अधिक समय तक रखी जाती है, तो लाभ को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कहा जाता है। उपहार के रूप में प्राप्त संपत्ति के मामले में उपहार के अलावा धारण की अवधि की गणना अधिग्रहणकर्ता द्वारा उसकी खरीद की तारीख से की जाती है। यदि संपत्ति मूल रूप से आपके पिता द्वारा अर्जित की गई है तो धारण की अवधि की गणना ऐसी खरीद तिथि से की जाएगी। चूंकि संपत्ति 24 महीने से अधिक समय तक रखी गई है, इसलिए लाभ को एलटीसीजी कहा जाएगा और 20% (अतिरिक्त अधिभार और उपकर) की दर से कर योग्य होगा।
ऐसे होगी एलटीसीजी की गणणा अधिग्रहण
उन्होंने कहा कि एलटीसीजी की गणना अधिग्रहण और सुधार की लागत को घटाकर शुद्ध बिक्री आय (यानी बिक्री व्यय में कटौती के बाद) के रूप में की जाएगी। इस प्रयोजन के लिए अधिग्रहण की लागत वह लागत होगी जिस पर ऐसा घर मूल रूप से अधिग्रहित किया गया था, जो बाद में किए गए सुधार की किसी भी लागत से बढ़ गया। इसलिए एलटीसीजी की गणना करते समय मूल खरीद की लागत (पिछले मालिक) को अधिग्रहण की लागत के रूप में माना जाएगा। इसके अलावा अधिग्रहण और सुधार की लागत को निर्धारित लागत मुद्रास्फीति सूचकांक को लागू करके समायोजित किया जाना चाहिए। यदि संपत्ति मूल रूप से 1 अप्रैल 2001 से पहले हासिल की गई थी तो अधिग्रहण की लागत और सुधार की लागत की गणना थोड़ी अलग होगी।
इस रूप में किया जा सकता है कर छूट का दावा
सीए ने कहा कि लोगों को ध्यान देना चाहिए कि कुछ परिसंपत्तियों में पुनर्निवेश करके एलटीसीजी को कर से छूट के रूप में दावा किया जा सकता है। एलटीसीजी गणना और कर नियोजन के लिए पेशेवर मार्गदर्शन लेना सहायक हो सकता है।