Union Budget 2025: बजट से ट्रांसपोर्ट सेक्टर को राहत और वाजिब सहूलियत की उम्मीद
Union Budget 2025: आम बजट 2925-26 से सभी सेक्टरों को राहत, सहूलियत और प्रोत्साहन की उम्मीद है। किसी भी देश की तरक्की में लॉजिस्टिक यानी परिवहन का बहुत बड़ा महत्व होता है सो इसी क्रम में ट्रांसपोर्ट सेक्टर ने भी अपनी बात रखी है।;
Union Budget 2025: आम बजट 2925-26 से सभी सेक्टरों को राहत, सहूलियत और प्रोत्साहन की उम्मीद है। किसी भी देश की तरक्की में लॉजिस्टिक यानी परिवहन का बहुत बड़ा महत्व होता है सो इसी क्रम में ट्रांसपोर्ट सेक्टर ने भी अपनी बात रखी है। देश के सड़क ट्रांसपोर्ट के टॉप संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट (एआईएमटीसी) ने केंद्रीय बजट के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रस्तुत की हैं। आइए जानते हैं कि ये सिफारिशें क्या हैं।
विशेष दर्जा मिले
- संगठन ने मांग की है कि सरकार सड़क परिवहन क्षेत्र को "विशेष खंड" के रूप में मान्यता दे, क्योंकि यह आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है।
डीजल पर जीएसटी
- रोड ट्रांसपोर्ट में डीजल की बड़ी भूमिका है और ये कुल परिचालन लागत का 60 फीसदी बनाता है। वहीं टोल शुल्क 14 फीसदी तक का योगदान देते हैं। वर्तमान में, डीजल की कीमतें विभिन्न राज्यों में अलग-अलग हैं, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत असंगत हो जाती है। संगठन ने डीजल को जीएसटी के तहत लाने की पुरजोर वकालत की है ताकि सब जगह एक ही दाम हों। इससे लागत कम होगी और विनिर्माण एवं लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
जीएसटी दरों में कटौती
- संगठन ने गैर-लक्जरी परिवहन संबंधी वस्तुओं पर जीएसटी दरों को कम करने की मांग की है। इनमें टायर, स्पेयर पार्ट्स, बीमा प्रीमियम शामिल हैं। जीएसटी में कमी से छोटे ट्रांसपोर्टरों की वित्तीय समस्याएं कम होंगी।
टायर इम्पोर्ट
- संगठन के मुताबिक टायर आयात पर प्रतिबंधों के कारण कीमतों में भारी वृद्धि हुई है।घरेलू टायर निर्माता प्रतिस्पर्धा की कमी का फायदा उठाकर अधिक कीमतों पर टायर बेच रहे हैं। इसे ट्रांसपॉर्ट लागत बढ़ रही है। संगठन ने इम्पोर्ट प्रतिबंधों को हटाने की माँग की है।
टीडीएस समाप्त किया जाए
- संगठन का कहना है कि परिवहन उद्योग नकदी लेनदेन पर अत्यधिक निर्भर है, विशेष रूप से छोटे ट्रक ऑपरेटरों के लिए, जो 85 फीसदी हैं। अभी 10 से कम ट्रक रखने वाले व्यवसाय टीडीएस कटौती से मुक्त हैं, लेकिन कई एमएसएमई अब भी टीडीएस काटते हैं, जिससे नकदी की समस्या होती है। ऐसे में सरकार से धारा 194C के तहत 2 फीसदी टीडीएस को समाप्त करने की मांग की गई है। इसके अलावा, धारा 194N के तहत नकद निकासी पर लगने वाले 2 फीसदी टीडीएस को भी खत्म करने की डिमांड है। संगठन मांग करता है कि सरकार कृषि उत्पाद विपणन समितियों की तरह परिवहन संचालकों के लिए भी नकद निकासी पर टीडीएस समाप्त करे।।
संगठन ने ये भी कहा है कि टीडीएस रिफंड समय पर जारी किया जाए।
इनकम टैक्स संशोधन
- मोटर ट्रांसपोर्ट संगठन ने आयकर अधिनियम की धारा 44AE में संशोधन की पुरजोर वकालत की है, जिसका उद्देश्य छोटे ट्रक ऑपरेटरों के लिए टैक्स रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना था। संगठन का तर्क है कि यह संशोधन अनुचित है क्योंकि इसमें खाली और लोडेड ट्रकों के कुल वजन को शामिल किया जाता है। परिचालन लागत (ईंधन, टोल, रखरखाव, बीमा) बढ़ जाती है।
नीतिगत बदलाव
- संगठन ने सरकार से नीतिगत परिवर्तनों को लागू करने का आग्रह किया है ताकि परिचालन लागत स्थिर रहे, परिवहन दक्षता में सुधार हो तथा रोजगार और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बढ़ावा मिले।