AY-4 variant: कोरोनावायरस महामारी से सावधान, फ़ैल रहा है डेल्टा से भी खतरनाक वेरियंट
कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए पूरी दुनिया लगी हुई है, वहीं इसके नए वेरियंट भी लगातार सामने आ रहे हैं।
नई दिल्ली: जबसे कोरोनावायरस (coronavirus) महामारी के रूप में दुनिया भर में फैला है, तबसे इस वायरस के ढेरों वेरियंट सामने आ चुके हैं, जिनमें से सबसे खतरनाक डेल्टा वेरियंट (delta variant) साबित हो रहा है। भारत में महामारी की दूसरी लहर में इसी वेरियंट ने तबाही मचाई थी। चिंता की बात यह है की अब कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और केरल में डेल्टा का ही एक अन्य स्वरूप एआई-4 (AY-4) मिला है। खासकर कर्नाटक और महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के जितने नए केस मिल रहे हैं , उनमें ज्यादातर में एवाई-4 वेरियंट (AY-4 variant) मिल रहा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि डेल्टा का एवाई-4 वेरियंट (AY-4 variant) यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) से आया है, जबकि एवाई-12 वेरियंट इजरायल से आया है। कर्नाटक में जितने मामलों की जीनोम सीक्वेंसिंग की गयी है, उनमें से 41.1 फीसदी में एवाई-4 वेरियंट मिला है। जबकि 13.8 फीसदी मामलों में एवाई.12 वेरियंट पाया गया है। महाराष्ट्र में जितने सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की गयी है ,उनमें से 44 फीसदी में एवाई-4 वेरियंट पाया गया है। एवाई-4 को डेल्टा-4 भी कहा जा रहा है। इन दोनों वेरियंट में खतरनाक बात यह है कि ये वैक्सीन की सुरक्षा ढाल को चकमा दे सकता है। इजरायल में 60 फीसदी आबादी को वैक्सीन लगने के बावजूद संक्रमण तेजी से फैला है। इसके पीछे एवाई-12 वेरियंट का हाथ है। इसीलिए इजरायल में अब वैक्सीन की तीसरी डोज़ लगाई जा रही है।
दरअसल, वायरस का लगातार म्यूटेशन (mutation) हो रहा है। हर म्यूटेशन (mutation) में इसका स्वरूप बदलता जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में ही अब तक डेल्टा वैरिएंट में 25 बार म्यूटेशन हुआ है। आगे चल कर कौन सा म्यूटेशन (mutation) क्या गुल खिलायेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता है। ऐसे में आशंका है की डेल्टा-4 तीसरी लहर ला सकता है।
दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ़ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईगीआईबी) के अनुसार पिछले महीने महाराष्ट्र में 44 फीसदी मरीजों में डेल्टा-4 वैरिएंट मिला था। जबकि केरल में यह संख्या 30 फीसदी से भी अधिक है। डेल्टा-4 वैरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंताजनक श्रेणी में रखा हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस के इन नए म्यूटेशन (mutation) की वजह से महामारी की नई लहर में स्थिति कुछ भी पैदा हो सकती है।
डेल्टा-4 भी आगे म्यूटेट हो रहा
भारत में डेल्टा– 4 सबसे पहले अप्रैल में महाराष्ट्र में 46 लोगों में मिला था।इसके बाद जुलाई में चार फीसदी लोगों में यह वेरियंट पाया गया। लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है की अगस्त में यह संख्या 44 फीसदी हो गयी। अब यह वेरियंट संक्रमण फैलाने में टॉप पर पहुँच चुका है। चूँकि यह नया वेरियंट है, सो इसके बारे में वैज्ञानिकों को बहुत कुछ पता नहीं है कि यह आगे कैसा व्यवहार करेगा। इस पर वैक्सीन और दवाओं का अक्या असर होगा आदि।
त्योहारी मौसम में ख़तरा
विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर के संबंध में वायरस का नया स्वरूप निर्णायक साबित हो सकता है। क्योंकि त्योहारों के दौरान भीड़ में इसके तेजी से फैलने की संभावना अधिक होगी। महामारी का गणितीय मॉडल बनाने में शामिल एक वैज्ञानिक ने अगस्त में आशंका जताई थी कि अगर भारत में वायरस के मौजूदा वेरियंट से अधिक संक्रामक कोई वेरियंट सितंबर तक सामने आता है तो अक्टूबर से नवंबर के बीच कोरोना की तीसरी लहर चरम पर हो सकती है।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, अब सामाजिक और धार्मिक आयोजनों से उन लोगों के बीच डेल्टा वायरस तेजी से फैल सकता है , जिन्हें अब भी संक्रमण का खतरा है। इसलिए इस बात की पुरजोर सलाह दी जाती है कि लोग पूरी ईमानदारी से सावधानी बरतें। यह मत समझें की वैक्सीन लग जाने के बाद आप सौ फीसदी सुरक्षित हो गए हैं।
यही बात दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कही है। उन्होंने कहा की आगामी त्योहारी मौसम में लोगों की लापरवाही और बड़े स्तर पर भीड़ का जुटना भी तीसरी लहर को लेकर निर्णायक कारक साबित हो सकता है।