बारिश बनी काल : यूपी समेत कई राज्यों में बढ़ा संक्रामक बीमारियों का खतरा, हर तरफ पानी ही पानी बना कहर

बारिश बनी काल : बारिश से होने वाले जलभराव से सिर्फ गांवों की ही नहीं बल्कि शहरों की भी हालत बहुत गंभीर हो गई है। जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर और जलभराव से संक्रामक रोगों ने अपने पैर पसार लिए हैं।

Written By :  Vidushi Mishra
Newstrack :  Network
Update:2021-09-17 11:37 IST

बारिश बनी काल : देश के कई राज्यों में लगातार बारिश होने से हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। बदलते मौसम की वजह से तेज बुखार के मरीजों की संख्या अस्पतालों में पहले से ही बढ़ती जा रही थी। ऐसे में अब जगह-जगह जलभराव होने से बारिश का पानी इकट्ठा होने से डेंगू, मलेरिया, डायरिया, निमोनिया, वायरल फीवर, टाइफाइड आदि बीमारियों का भी खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। 

बीते एक महीने में देश के पांच राज्यों में तेज बुखार से करीब 100 लोगों की मौत हो गई है। जबकि इन राज्यों के अस्पतालों में तेज बुखार के मरीजों का तांता अभी भी लगा हुआ है। केवल मध्य प्रदेश से ही तेज बुखार के 3,000 से ज्यादा मामले सामने आए है। जिनमें से 6 की मौत हो गई। इस भयावह बुखार के बाद अब देश के बारिश के बाद होने वाली कई बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है।

जलभराव से संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ा


बारिश से होने वाले जलभराव से सिर्फ गांवों की ही नहीं बल्कि शहरों की भी हालत बहुत गंभीर हो गई है। इन बीमारियों का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता हैं। जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं और जलभराव से संक्रामक रोगों ने अपने पैर पसार लिए हैं। लेकिन इसकी कोई व्यवस्था नहीं जा रही है।

ताजा जानकारी के अनुसार, यूपी के फर्रुखाबाद जिले में विचित्र बुखार का कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इस बुखार से कई गांव बुरी तरह से प्रभावित हो गए हैं। आकड़ों के मुताबिक, गांव में बुखार से लगभग एक सैकड़ा लोग बीमार हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते विचित्र बुखार तेजी से फैलता जा रहा है।

फर्रुखाबाद में लगातार बारिश के बाद अब डेंगू मलेरिया टाइफाइड जैसे बुखार से गांव वाले बुरी तरह से ग्रसित हो गए हैं। ग्रामीणों के अनुसार, गांव के लगभग हर घर में बुखार और ये अन्य बीमारियां फैली है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते ग्रामीण बहुत परेशान हो गए हैं।


बीते 15 दिनों से गांव में यही स्थिति बनी हुई है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम अभी तक नहीं गांव में नहीं पहुंच पाई हैं। 

यूपी के अयोध्या का हाल देखें तो बीते कई घंटों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से जनजीवन तो एक तरफ पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो ही गया है, लेकिन इससे किसानों की 
फसलें बर्बाद हो गई और  जलभराव होने से जहरील कीड़ों का संकट बढ़ गया है।

यहां नाला नाली की सफाई की कोई व्यवस्था ना होने के कारण सड़कों पर पानी भर गया है। लोगों के घरों के अंदर भी जलभराव की स्थिति बन गई है। जिससे अब घरों के अंदर भी लोग सुरक्षित नहीं है। वहीं अयोध्या रेलवे स्टेशन पुराना बस स्टेशन बारिश होने के बाद से मानों तालाब बन गया हो। पानी कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है।

इस तरह के रहस्यमयी बुखार का पहला मामला उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में अगस्त के दूसरे सप्ताह में देखने को मिला था। लेकिन सरकार ने कहा था कि यह डेंगू का मामला है। 6 सितंबर को बुखार से होने वाली मौतों के लिए डेंगू को ही कारण बताया गया। वहीं मथुरा में अभी तक 11 लोगों की तेज बुखार से मौत हो चुकी है।

तेज बुखार और डेंगू के मरीज 

उत्तर प्रदेश में तेज बुखार और डेंगू के मरीजों के बारे में जानकारी देते हुए अतिरिक्त निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ एके सिंह ने कहा कि फिरोजाबाद में 50 बच्चों और 11 वयस्कों सहित डेंगू से 61 लोगों की मौत हुई है। फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ संगीता अनेजा ने कहा कि डेंगू बुखार के कारण वर्तमान में 490 बच्चे भर्ती हैं। 


बिहार के हाल देखें तो मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में लगातार बारिश ( rain) की वजह से हुए जलजमाव से तमाम बीमारियां (Diseases) उत्पन्न हो रही है। पहले से ही ग्रामीण इलाकों में बाढ़ की वजह से जो पानी महीनों से जमकर सड़ रहा है, वो अब बीमारियों का गढ़ बन गया है। अस्पतालों में बच्चों की भीड़ लग गई है। जिन्हें मुजफ्फरपुर के SKMCH के पीकू वार्ड (Piku Ward) में भर्ती कराया जा रहा है।

बीते 24 घंटे की बात करें तो यहां 45 से ज्यादा बच्चे भर्ती हुए हैं। जिसमें 35 बच्चें वायरल बुखार, वायरल बरोंकोलिस्ट से ग्रसित हैं। साथ ही 10 बच्चे डायरिया के भर्ती हुए हैं।

शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने जानकारी देते हुए बताया कि बच्चे वायरल बरोंकोलिस्ट बीमारी में श्वांस नली में सूजन हो जाता है। यह स्थिति जुकाम से शुरू होती है। सांस नली में सूजन होने से सांस फूलना, खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है। यह एक सप्ताह से एक महीने तक रह सकता है। अगर समय पर इलाज़ नहीं हुआ तो यह गंभीर रूप ले लेता है।


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