Waqf Bill: वक्फ संशोधन बिल पर फंस गए नीतीश कुमार,तीन तलाक कानून का किया था विरोध,अब क्या होगा स्टैंड
Waqf Amendment Bill : बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़े धर्म संकट की स्थिति में फंस गए हैं।;
Bihar CM Nitish Kumar (Social media)
Waqf Bill: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़े धर्म संकट की स्थिति में फंस गए हैं। वक्फ संशोधन बिल कल बुधवार को संसद में पेश होने वाला है और मोदी सरकार किसी भी कीमत पर इस बिल को पास कराने की कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा की ओर से इसके लिए एक दिन पहले ही व्हिप भी जारी किया जा चुका है। शुरुआत से ही देश के तमाम मुस्लिम संगठनों की ओर से इस बिल का पुरजोर विरोध किया जा रहा है।
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू एनडीए में शामिल है मगर जदयू ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं किया है। दरअसल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जदयू को मुस्लिम मतदाताओं के नाराज होने का डर सता रहा है। जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा है कि कल हम कल लोकसभा में ही अपना रुख स्पष्ट करेंगे। नीतीश कुमार 2019 में तीन तलाक कानून का विरोध कर चुके हैं और ऐसे में वक्फ संशोधन बिल पर उनके रुख का सबको बेसब्री से इंतजार है।
मुस्लिम मतदाताओं के नाराज होने का खतरा
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाला है और इस कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी दबाव महसूस कर रहे हैं। पिछले दिनों नीतीश कुमार ने अपने पटना स्थित अपने आवास पर इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था मगर तमाम मुस्लिम संगठनों ने इस पार्टी का बायकॉट किया था। नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में उनके करीबी माने जाने वाले मुस्लिम नेता और प्रतिनिधि ही मौजूद थे। मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर उनके रुख से नाराज होकर बायकॉट की अपील की थी।
ऐसे में वक्फ संशोधन बिल को लेकर नीतीश कुमार गहरे धर्म संकट की स्थिति में फंस गए हैं। अगर उन्होंने इस बिल का समर्थन किया तो मुस्लिम मतदाताओं के नाराज होने का खतरा है तो दूसरी ओर विरोध करने की स्थिति में भाजपा के साथ रिश्तों पर असर पड़ने की आशंका है। ऐसे में नीतीश कुमार ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं किया है।
नीतीश कुमार का समर्थन काफी अहम
वक्फ संशोधन बिल को कानून की शक्ल देने के लिए जनता दल (यू) का समर्थन काफी अहम माना जा रहा है। ऐसे में नीतीश के रुख का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। नीतीश कुमार बिहार में एनडीए की सरकार के मुखिया हैं मगर उनकी छवि अभी भी धर्मनिरपेक्ष नेता की बनी हुई है। चुनाव के दौरान भी उन्हें मुस्लिम मतदाताओं का ठीक-ठाक समर्थन मिलता रहा है।
वक्फ संशोधन बिल को संसद में पेश किए जाने से पहले ही नीतीश कुमार के करीबी नेता उनकी फेस सेविंग में जुट गए हैं। नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय झा का कहना है कि नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय के साथ कभी कुछ गलत नहीं होने दिया है। पहले भी उनका यही रुख रहा है और आगे भी मुस्लिम समुदाय पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी।
तीन तलाक बिल पर नीतीश दिखा चुके हैं तेवर
इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तीन तलाक बिल पर अपना तेवर दिखा चुके हैं। तीन तलाक बिल 2019 में पेश किया गया था और उस समय नीतीश कुमार की पार्टी जदयू एनडीए में शामिल थी। इसके बावजूद पार्टी की ओर से इस बिल का विरोध किया गया था। हालांकि जदयू के विरोध के बावजूद यह विधेयक संसद में पारित हो गया था।
तीन तलाक विधेयक का जदयू ने खुलकर विरोध किया था। लोकसभा में चर्चा के दौरान जदयू के सांसदों ने इसका विरोध किया था जबकि राज्यसभा में बहस के दौरान जदयू सांसद वॉकआउट कर गए थे। जदयू के वरिष्ठ नेता कैसी त्यागी का कहना था कि हम बिल के मौजूदा स्वरूप से सहमत नहीं है क्योंकि यह मुस्लिम समुदाय के निजी मामलों में दखल देने जैसा है। पार्टी ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला और राजनीतिक लाभ लेने का हथकंडा बताया था।
वैसे तीन तलाक कानून ने मुस्लिम महिलाओं को नई ताकत दी है क्योंकि यह कानून एक बार में तीन तलाक को गैर कानूनी घोषित करता है। ऐसा करने पर तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान भी किया गया है। वैसे 2019 के बाद जदयू के रुख में काफी उतार-चढ़ाव आता रहा है।
ललन सिंह के बयान ने बढ़ाया सस्पेंस
अब वक्फ संशोधन बिल को लेकर जदयू का रुख अभी तक साफ नहीं है। जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का कहना है कि हम वक्फ संशोधन बिल पर अपना रुख लोकसभा में ही साफ करेंगे। ललन सिंह के इस बयान के बाद सस्पेंस और बढ़ गया है।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास( ने भी खुलकर इस विधेयक का समर्थन नहीं किया है। हालांकि इसके साथ ही पार्टी ने विपक्ष को मुसलमान को डराने से बाज आने की नसीहत भी दी है। बिहार में अक्टूबर-नवंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए के कुछ दलों को मुस्लिम मतों के कटने का डर सता रहा है।
राजद के सवालों का जवाब देना होगा मुश्किल
बिल के पास होने के बाद लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद की ओर से इसे बड़ा मुद्दा बनाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में नीतीश और चिराग के लिए मुस्लिम मतदाताओं को जवाब देना मुश्किल माना जा रहा है। राजद की ओर से इस बिल का खुलकर विरोध किया जा रहा है और पार्टी ने मुस्लिम संगठनों की ओर से जताई जा रही आशंकाओं को सही बताते हुए बिल का तीखा विरोध किया है।
मुस्लिम मतदाताओं पर राजद की पकड़ पहले से ही काफी मजबूत है और पार्टी का यह रुख उसे और मजबूत बनाने वाला है। राजद की ओर से इस बिल का विरोध करके मुस्लिम समीकरण को और मजबूत बनाने का प्रयास किया जा रहा है।