सोनिया की पहल से खुलेगी विपक्षी एकजुटता की राह, 2024 में भाजपा को घेरने की बड़ी तैयारी

सोनिया गांधी ने 2024 की सियासी जंग के लिए विपक्षी दलों से एकजुट होने का आह्वान किया...

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Ragini Sinha
Update:2021-08-21 10:44 IST

सोनिया की पहल से खुलेगी विपक्षी एकजुटता की राह (social media)

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ 2024 की सियासी जंग लड़ने के लिए विपक्षी दलों ने कमर कसनी शुरू कर दी है। विपक्षी दलों को इस बात का बखूबी एहसास है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने का सपना विपक्ष की एकजुटता के बिना नहीं पूरा हो सकता। यही कारण है कि विपक्ष की सबसे महत्वपूर्ण थुरी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्ष को एकजुट करने का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में शुक्रवार को सोनिया गांधी की ओर से आयोजित 19 विपक्षी दलों की बैठक को सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वर्चुअल ढंग से आयोजित इस बैठक में सोनिया ने 2024 की सियासी जंग के लिए विपक्षी दलों से एकजुट होने का आह्वान किया।

एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने भी कहा कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बचाने के लिए विपक्ष के नेताओं को साथ मिलकर काम करना होगा। सोनिया गांधी की ओर से बुलाई गई इस बैठक में उत्तर प्रदेश और दिल्ली की बड़ी सियासी ताकत माने जाने वाले तीन दलों समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी ने हिस्सा नहीं लिया।

विपक्ष के कई अन्य नेता भी सक्रिय 

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा विपक्ष के अन्य नेताओं की ओर से भी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एकजुटता पर जोर दिया जा रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने पिछले महीने दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान इस सिलसिले में विपक्ष के कई महत्वपूर्ण नेताओं से मुलाकात की थी। ममता की सोनिया और राहुल से भी मुलाकात हुई थी। ममता के अलावा राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव और एनसीपी के मुखिया शरद पवार भी विपक्ष की एकजुटता को लेकर हाल के दिनों में काफी सक्रिय रहे हैं। अब सोनिया गांधी की ओर से बुलाई गई विपक्ष के नेताओं की बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन सभी नेताओं का मानना है कि भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दलों का एक मंच पर आना जरूरी है।

संसद के बाहर भी एकजुटता पर जोर 

बैठक में सोनिया गांधी ने विपक्ष से एकजुट होकर 2024 को लक्ष्य बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि राष्ट्र हित के लिए सिर्फ संसद के भीतर ही एकजुटता जरूरी नहीं है बल्कि संसद के बाहर भी विपक्ष को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। उन्होंने विपक्ष की एकजुटता को बड़ी ताकत बताते हुए कहा कि विपक्ष में एका होने के कारण ही सरकार ओबीसी विधेयक में संशोधन करने पर मजबूर हो गई। संसद के मानसून सत्र के दौरान पेगासस के मुद्दे पर विपक्ष ने जबर्दस्त एकजुटता दिखाई। उन्होंने मानसून सत्र सही ढंग से न चल पाने के लिए सरकार के अड़ियल रवैये को जिम्मेदार ठहराया।

बैठक में सोनिया ने उम्मीद जताई कि मानसून सत्र जैसी विपक्ष की एकजुटता संसद में आगे भी दिखेगी। उन्होंने कहा कि संसद की इस एकजुटता से ज्यादा महत्वपूर्ण संसद के बाहर की एकजुटता है ताकि 2024 की सियासी जंग में भाजपा को शिकस्त दी जा सके।

बड़े लक्ष्य के लिए भुलाने होंगे मतभेद 

कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारा मानना है कि विपक्षी दलों के बीच मतभेद जरूर हो सकते हैं, लेकिन एक बड़ा लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें इन मतभेदों को भुलाना होगा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस अपने प्रयासों में कभी पीछे नहीं हटेगी मगर विपक्ष के अन्य दलों को भी आगे बढ़कर पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि समूचे विपक्ष को एक मंच पर लाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है मगर इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं है और सभी दल मिलकर इस चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सभी दलों की अपनी-अपनी मजबूरियां हैं मगर राष्ट्रहित में अब इन मजबूरियों से ऊपर उठने का समय आ गया है।

समयबद्ध कार्यक्रम बनाना जरूरी 

विपक्ष की एकजुटता के लिए काम कर रहे एक और बड़े नेता एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने कहा कि मौजूदा सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान निकालने में पूरी तरह विफल साबित हुई है। ऐसे में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करने वाले लोग लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बचाने के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं। इसके लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम बनाना होगा और उस कार्यक्रम के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा। देश को अच्छा भविष्य देने के लिए सभी दलों के लिए मिलकर काम करना ही एकमात्र विकल्प है।

विपक्ष की बैठक में कई बड़े चेहरे 

विपक्ष की इस महत्वपूर्ण बैठक में डीएमके, टीएमसी, शिवसेना, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम, जेएमएम, नेशनल कांफ्रेंस, राजद और एआईयूडीएफ के नेताओं ने लिया। बैठक में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आप की नामौजूदगी काबिले गौर रही। आप की ओर से स्पष्ट किया गया है कि उसे बैठक के लिए कांग्रेस की ओर से कोई न्योता ही नहीं मिला। बैठक में हिस्सा लेने वाले बड़े चेहरों में शरद पवार के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन शामिल थे।

असर दिखा सकती है सोनिया की पहल 

सोनिया गांधी की ओर से बुलाई गई बैठक आने वाले दिनों में काफी असरकारक साबित हो सकती है। संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने एकजुटता के दम पर सरकार को अपनी ताकत दिखा दी है। माना जा रहा है कि अब संसद के बाहर भी एकजुट होकर विपक्ष भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुसीबतें खड़ी करेगा। हालांकि विपक्ष की ओर से नेता के मुद्दे पर अभी तक पत्ते नहीं खोले जा रहे हैं। नेता के मुद्दे को लेकर फंसा सियासी पेंच भविष्य में विपक्ष की एकजुटता को लेकर संकट भी खड़ा कर सकता है।

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