लोकसभा चुनाव के बाद राज्यों में भाजपा कमजोर, इन दलों ने दी टक्कर

भाजपा के विजय रथ को किसी राष्ट्रीय दल ने नहीं बल्कि क्षेत्रीय दलों ने ही रोकने का काम किया है।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Monika
Update: 2021-05-30 09:17 GMT

लखनऊ: केन्द्र सरकार के लगातार सात साल पूरे करने पर भारतीय जनता पार्टी भले ही आत्ममुग्ध हो रही हो पर 2019 के लोकसभा के बाद कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में उसे मुंह की खानी पड़ी है। खास बात यह है कि भाजपा के विजय रथ को किसी राष्ट्रीय दल ने नहीं बल्कि क्षेत्रीय दलों ने ही रोकने का काम किया है। अपनी स्थापना के बाद जिस तेजी से भाजपा का जनाधार 2014 के लोकसभा चुनाव में चरम पर रहा वो उसने 2019 तक जारी रखा पर इसके बाद राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में उसे सफलता नहीं मिल पा रही है। यही नहीं कुछ राज्य उसके हाथ से छूटते हुए बच गए।

हाल ही में पांच राज्यों में हुए चुनाव में वह केवल-असम में सत्ता में वापसी कर सकी। हालांकि भाजपा के लिए तसल्ली की बात यह रही कि वह तीन से सीधे 78 पर पहुंच गयी। यानि सरकार भले न बना पाई हो लेकिन पश्चिम बंगाल में अब भाजपा मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाएगी। त्रिपुरा में वामदल कीतम्बू उखाड़ने के बाद भाजपा नेतृत्व आश्वस्त था कि उसे यहां भी इसी तरह की सफलता मिल सकती है लिहाजा केन्द्र की पूरी सरकार राज्यों के मुख्यमंत्री और भाजपा का संगठन ताकत से वहां जुटा रहा लेकिन आंकड़ा दो सौ क्या सौ तक भी नहीं पहुंच सका। हरियाणा में दूसरी बार भाजपा सत्ता में लौटी तो लेकिन इस बार उसे बैसाखी का सहारा लेना पड़ा। वहां उसे जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला से मिलकर सरकार बनानी पड़ी। जबकि इसके पहले वहां भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार थी। इसी तरह महाराष्ट्र में उसका वर्षो पुराना शिवसेना से भी साथ छूट गया। । शिवसेना ने इस राज्य में कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली और भाजपा को मजबूरी मे विपक्ष में बैठना पड़ा।

यहां भी लेना पड़ा गठबंधन का सहारा 

यही हाल उड़ीसा में भी है, इस प्रदेश में भाजपा को भी गठबंधन की ही राजनीति करनी पड़ रही है वहां वह बीजू जनता दल के सहारे है। हालांकि इस समय वह उसके साथ नहीं है। बीजू जनता दल के आगे वहां भाजपा और कांग्रेस का कोई वजूद नहीं है कभी कांग्रेस का गढ़ रहे उड़ीसा में कभी भाजपा को अकेले कमल खिलाने का मौका नहीं मिला। यही स्थिति देश की राजधानी दिल्ली में भी रही। वहां भी पिछले तीन चुनावों से भाजपा को आम आदमी पार्टी से कांटे की टक्कर मिल रही है। इस बार के हैदराबाद नगरनिगम के चुनाव में भाजपा ने काफी पसीना बहाया था। उसके निशाने आंध्र प्रदेश का चुनाव था पर बावजूद इसके उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी। हैदराबाद नगर निगम के चुनाव मे अमित शाह जेपी नड्ढा योगी आदित्यनाथ समेत सहित भाजपा के कई दिग्गज पहुंचे थे। पर भाजपा को यहां भी कामयाबी नहीं मिली थी। आन्ध्रप्रदेश से लगे तेलांगाना का भी है जहां तेलंगाना राष्ट्र समिति तेलांगाना राज्य के गठन के बाद से लगातार सरकार बनती आ रही है। वहां भाजपा लगातार प्रयास कर रही है पर क्षेत्रीय पार्टी तेलागांना राश्ट्र समिति के आगे उसकी नहीं चल पा रही है।

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