Congress News: स्मारक की जंग, सामने आया गांधी परिवार का दोचरित्र
Congress News: पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव की तो उनका निधन दिल्ली में हुआ था और अंत्येष्टि हैदराबाद में। लेकिन ऐसा क्यों हुआ क्यों उन्हें दिल्ली में अंत्येष्टि के लिए जगह नहीं मिली।
Congress News: कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जंग लड़ रही है उसका कहना है कि स्मारक वहीं बनेगा जहां अंत्येष्टि होगी और ऐसा न हो पाने के लिए वह भाजपा को निशाना बना रही है। दिल्ली में राजघाट के पास देश के कई पूर्व प्रधानमंत्रियों जैसे पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, चरण सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी और चंद्रशेखर जैसी शख्सियतों का स्मारक बना हुआ है, लेकिन यह वही कांग्रेस है जिसने कथित रूप से अपनी नेता सोनिया गांधी के इशारे पर पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर के लिए कांग्रेस कार्यालय का दरबाजा तक नहीं खोला था। यह वही कांग्रेस है जिसने सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल और डॉ. भीमराव आंबेडकर जैसे कद्दावर नेताओं को कोई तवज्जो नहीं दी। पूर्व राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद की अंत्येष्टि में कांग्रेस नेताओं को शामिल होने से रोकने के लिए इसी कांग्रेस के जवाहरलाल नेहरू ने सारे जतन किये।
अगर बात करें पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव की तो उनका निधन दिल्ली में हुआ था और अंत्येष्टि हैदराबाद में। लेकिन ऐसा क्यों हुआ क्यों उन्हें दिल्ली में अंत्येष्टि के लिए जगह नहीं मिली। हालात ऐसे हो गए कि 2004 में उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार भी दिल्ली में नहीं किया जा सका। इसके अलावा कांग्रेस के अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह उनके शव को कांग्रेस मुख्यालय में भी नहीं रखा गया। उनका शव अंतिम यात्रा के वाहन पर कांग्रेस मुख्यालय के बाहर ही आधा घंटा इंतजार करता रहा लेकिन मुख्यालय के गेट नहीं खुले। विनय सीतापति ने अपनी किताब 'द हाफ लायन' में लिखा है कि राव के बेटे प्रभाकरा कहते हैं कि हमें महसूस हुआ कि सोनिया जी नहीं चाहती थीं कि हमारे पिता का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो वह यह भी नहीं चाहती थीं कि यहां उनका मेमोरियल बने।
राजेंद्र प्रसाद के लिए थोड़ी सी जमीन नहीं दे सकी थी कांग्रेस
देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच के मतभेद तो जगजाहिर हैं। ये नेहरू का खौफ था कि कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ और कद्दावर नेता रहे राजेंद्र प्रसाद के लिए अपने ओंठ सी लिये थे। अपनी सरकार के होते हुए राजेंद्र प्रसाद के लिए थोड़ी सी जमीन दिल्ली में नहीं दे सकी थी कांग्रेस। प्रसिद्ध पत्रकार दुर्गादास ने लिखा है। पंडित जवाहरलाल नेहरू राजेंद्र प्रसाद से इतना चिढ़ते थे कि राजेंद्र प्रसाद की अंत्येष्टि में शामिल होने के सवाल पर राष्ट्रपति राधाकृष्णन से कहा था कि उनका वहां जाना जरूरी नहीं है। हालांकि राधाकृष्णनन ने असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि नहीं मेरा वहां जाना जरूरी है, जिस सम्मान के पूर्व राष्ट्रपति हकदार हैं, वह उन्हें जरूर दिया जाना चाहिए। उन्होंने नेहरू को भी साथ चलने को कहा था । लेकिन नेहरू ने अनसुना कर दिया था। इसके बाद पंडित नेहरू राजस्थान और राधाकृष्णनन पटना गए थे।
विश्वनाथ प्रताप सिंह का अंतिम संस्कार हुआ था इलाहाबाद के गंगा तट पर
इसी तरह से राजा नहीं फकीर है जनता की तकदीर है कहे जाने वाले मंडल कमेटी की सिफारिशें लागू करने के चलते मसीहा कहे जाने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह का 27 नवंबर 2008 को जब दिल्ली के एक हॉस्पिटल में निधन हुआ तो उनकी अंतिम विदाई की ख़बर का दायरा इतना संकुचित था कि ना बहुत शोक मनाया गया, ना शोक संताप में बहुत कुछ लिखा गया। तब कांग्रेस को अपने पुराने साथी के लिए कुछ करने की याद नहीं आयी। उनके निधन पर भी मंडल आयोग का साया साथ रहा, ये हालत उस शख्स की हुई जो कभी मीडिया का हीरो हुआ करता था। पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह का अंतिम संस्कार इलाहाबाद के गंगा तट पर किया गया था। उनके बड़े बेटे अजय प्रताप सिंह ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी थी और राम विलास पासवान और सुबोध कांत सहाय सहित कई अन्य नेताओं ने अंत्येष्टि कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित बड़ी संख्या में लोगों ने अंतिम दर्शन किए। लेकिन कांग्रेस ने दूरी बनाए रखी।