जातीय जनगणना: बिहार के नेताओं संग पीएम की अहम बैठक आज, सरकार पर अब और बढ़ेगा दबाव

Caste Census In India: प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर सकारात्मक बातचीत की उम्मीद जताई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update: 2021-08-23 03:06 GMT

मोदी, नीतीश और तेजस्वी यादव Design Image 

Caste Census In India: जातीय जनगणना के मुद्दे पर इन दिनों बिहार की सियासत काफी गरमाई हुई है। अब हर किसी की नजर सोमवार के दिन पर टिकी हुई है। इसी दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात होनी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अनुरोध पर प्रधानमंत्री मोदी ने चर्चा के लिए बिहार के नेताओं को दिल्ली बुलाया है।

दिलचस्प बात यह है कि बिहार से जाने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के एक मंत्री को भी शामिल किया गया है। शायद यह पहला मौका होगा जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक ही मांग को लेकर प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे। जानकारों का मानना है कि इस मुलाकात के बाद पीएम मोदी पर जातीय जनगणना कराने का दबाव और बढ़ेगा।

नीतीश को सकारात्मक बातचीत की उम्मीद

प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर सकारात्मक बातचीत की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि बिहार में सभी सियासी दलों की इच्छा है कि इस बार जातीय जनगणना जरूर कराई जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर खुले दिल से बातचीत करने के लिए हमें आमंत्रित किया है। हम केंद्र सरकार से जातीय जनगणना कराने का अनुरोध करेंगे मगर निर्णय लेने का अधिकार उनके पास है।


उन्होंने यह भी कहा कि यदि केंद्र सरकार की ओर से पूरे देश में जातीय जनगणना कराने की मांग नहीं मानी जाती है तो हम बिहार में जातीय जनगणना कराने पर विचार करेंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि बिहार से जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में हर पार्टी के नेताओं को शामिल किया गया है। सभी पार्टियों की ओर से यह मांग प्रधानमंत्री के समक्ष रखी जाएगी।

प्रतिनिधिमंडल में भाजपा मंत्री भी शामिल

प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले बिहार के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने भाजपा से नीतीश सरकार में मंत्री जनक राम भी शामिल होंगे। शिक्षा मंत्री विजय चौधरी को जदयू कोटे से प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया है। नीतीश की अगुवाई वाले इस दल में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, हम के मुखिया जीतन राम मांझी, वीआईपी के मुखिया और नीतीश सरकार में मंत्री मुकेश सहनी, कांग्रेस विधायक दल के नेता अजित शर्मा, एआईएमआईएम के अख्तरुल इमान, सीपीआई के सूर्यकांत पासवान और सीपीएम के अजय कुमार समेत 11 नेता शामिल होंगे।

इन सभी दलों की ओर से जातीय जनगणना की मांग का समर्थन में किया जा रहा है और यही कारण है कि सभी दलों ने मिलकर प्रधानमंत्री पर दबाव डालने का फैसला किया है।

सरकार अभी तक तैयार नहीं

राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी दिनों से जातीय जनगणना की मांग उठाते रहे हैं। लालू प्रसाद यादव तो यहां तक बयान दे चुके हैं कि जब देश में कुत्ते और बिल्ली की गणना की जा सकती है तो इंसानों की गणना में सरकार को क्या दिक्कत है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट किया जा चुका है कि वह जातीय जनगणना के पक्ष में नहीं है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में स्पष्ट किया था कि सरकार का इरादा जातीय जनगणना कराने का नहीं है। केंद्र सरकार के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की थी। हालांकि उसके बाद सरकार की ओर से इस मुद्दे पर खुलकर कुछ भी नहीं कहा गया है।


यूपी चुनाव के कारण केंद्र सरकार सतर्क

सियासी जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर केंद्र सरकार जातीय जनगणना के मुद्दे पर फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। भाजपा इस मामले को लेकर काफी सतर्क है कि कहीं इस मुद्दे को लेकर उत्तर प्रदेश के चुनावों में उसे सियासी नुकसान न उठाना पड़ जाए। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से छह महीना पहले इस मुद्दे पर फैसला लेना मोदी सरकार के लिए काफी मुश्किल भरा साबित हो रहा है।

अब पीएम के फैसले पर टिकीं नजरें

उत्तर प्रदेश में भाजपा 14 साल के लंबे इंतजार के बाद 2017 में सरकार बनाने में कामयाब हो हुई थी। भाजपा को मिले भारी बहुमत के पीछे ओबीसी से मिले समर्थन ने बड़ी भूमिका निभाई थी। इसके साथ ही पार्टी को सवर्ण मतदाताओं का भी अच्छा खासा समर्थन मिला था। ऐसे में ऐसा भी संभव है कि जातीय जनगणना के मुद्दे को भाजपा की ओर से कुछ दिनों तक टाल दिया जाए।


पार्टी की ओर से अभी इस मुद्दे पर पत्ते नहीं खोले जा रहे हैं और अब हर किसी की नजर सोमवार को बिहार के नेताओं के साथ होने वाली प्रधानमंत्री की बैठक पर टिकी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि पीएम मोदी इस बैठक में बिहार के प्रतिनिधिमंडल को क्या आश्वासन देते हैं।

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