Sedition Law: केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में राजद्रोह कानून पर बदला बयान, बोले बदलाव के लिए तैयार
Sedition Law: भारत की केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून के अंतर्गत जांच, पुनर्विचार और बदलाव किए जाने को लेकर आज केंद्र सरकार ने रजामंदी ज़ाहिर कर दी है।
Sedition Law: भारत की केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में राजद्रोह कानून के अंतर्गत जांच, पुनर्विचार और बदलाव किए जाने को लेकर सहमति ज़ाहिर है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में यह मामला राजद्रोह कानून (sedition law) को लेकर चल रही कार्यवाही के तहत है। आपको बता दें कि राजद्रोह कानून (sedition law) हमेशा से विवाद का विषय रहा रहा है और सत्तारूढ़ सरकार पर भी इसके दुरुपयोग के आरोप लगते रहे है। ऐसे में इस मामले के तहत सरकार का पक्ष भी सुना जा रहा है।
फिलहाल, केंद्र सरकार (Central Government) ने बीते दो दिनों में अपना बयान भी बदल दिया है, आपको बता दें कि बीते दिन मामले में जारी कार्यवाही के दौरान केंद्र सरकार ने अपना लिखित जवाब देते हुए कहा था कि देशद्रोह कानून में कोई गलती नहीं है और इसमें पुनर्विचार और बदलाव को लेकर कोई ज़रूरत नहीं है। वहीं आज केंद्र सरकार ने इस मामले के मद्देनज़र देशद्रोह कानून में पुनर्विचार, जांच और ज़रूरत पड़ने पर परिवर्तन के लिए रजामंदी ज़ाहिर कर दी है।
केंद्र सरकार ने देशद्रोह कानून पर पुनर्विचार के लिए दर्ज कराई सहमति
देशद्रोह कानून sedition law के चलते अक्सर सत्तारूढ़ दल पर विरोधी हमले होते रहे हैं, ऐसे में सत्ताधारी दल पर देशद्रोह कानून के तहत बदला लेने के आरोप भी लगते रहे हैं। इसी के साथ इस कानून के तहत अबतक जितने भी मामले दर्ज हुए हैं और उनमें गिरफ्तार अधिकतर लोगों के खिलाफ अभीतक देशद्रोह का आरोप सिद्ध नहीं हो सका है। फिलहाल केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा देशद्रोह कानून (sedition law) पर पुनर्विचार के लिए सहमति दर्ज कर दी गई है। इसी के चलते इस कानून को लेकर लोगों के दिमाग में शंका बढ़ती जा रही है।
10 मई को देशद्रोह कानून पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मामले के मद्देनज़र आगामी 10 मई को एक सुनवाई आयोजित होनी है, जिसमें इस बात पके अंतिम फैसला लिया जाएगा कि देशद्रोह कानून (sedition law) के मद्देनजर दायर इस याचिका को सुनवाई के लिए कितने सदस्यी न्यायाधीश की बेंच को सौंपा जाएगा। हालांकि, फिलहाल 5 अथवा 7 न्यायाधीश की बेंच को मामला सौंपने को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।
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