अब गुल होगी बत्ती: खत्म हुआ कोयला भंडार, सिर्फ 7 दिन की बिजली शेष
देश में 46,720 मेगावॉट की सामूहिक क्षमता के 38 बिजली संयंत्रों के पास बृहस्पतिवार यानी 22 अप्रैल तक का ही कोयला भंडार बचा।
नई दिल्ली: भारत संकट की विकट परिस्थितियों से जूझ रहा है। ऐसे में बड़ी खबर आ रही है कि देश में 46,720 मेगावॉट की सामूहिक क्षमता के 38 बिजली संयंत्रों के पास बृहस्पतिवार यानी 22 अप्रैल तक का ही कोयला भंडार बचा। ये भंडार सात दिन से भी कम का था। इस बारे में ये जानकारी केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) के कोयले के दैनिक भंडार के आंकड़ों से मिली है।
केंद्रीय बिजली प्राधिकरण(CEA) की 22 अप्रैल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 1,66,406 मेगावॉट की सामूहिक क्षमता के 135 बिजली संयंत्रों में से किसी के पास कोयला भंडार की स्थिति गंभीर या अति गंभीर नहीं थी।
बिजली संयंत्रों में ईंधन की भारी कमी
मतलब कि यदि किसी बिजली संयंत्र के पास सात दिन से कम कोयला भंडार शेष रहता है तो यह गंभीर स्थिति मानी जाती है। जबकि तीन दिन से कम का कोयला भंडार अति गंभीर स्थिति होती है। इस बारे में सीईए रोजाना के आधार पर इन संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति की निगरानी करता है।
ऐसे में बिजली क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने कहा कि सीईए द्वारा किसी संयंत्र को कोयला भंडार के मामले में गंभीर या अति गंभीर के रूप में वर्गीकृत करने की वजहें हो सकती हैं, लेकिन तथ्य यह है कि बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी है। ऐसे में आगामी दिनों में पारा चढ़ने के साथ खपत बढ़ने से बिजली उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
आपको बता दें कि पूरे देश में 31 मार्च, 2021 तक कुल स्थापित बिजली क्षमता 377 गीगावॉट की थी। जिसमें 200 गीगावॉट कोयला आधारित, 48 मेगावॉट पन बिजली और 93 गीगावॉट अक्षय (सौर या पवन) ऊर्जा क्षमता है।
वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि सौर या पन बिजली स्रोतों से गर्मियों में उत्पादन बढ़ेगा, लेकिन कोयला आधारित संयंत्र मुख्य लोड उठाते हैं, जो ग्रिड की स्थिरता और गर्मियों के मौसम की ऊंची मांग को पूरा करने के लिए जरूरी है। तो ऐसे में सात दिनों का बचा ईंधन पर्याप्त नहीं है।