तो क्या चीन की वैक्सीनों को भी मिलेगी भारत में मंजूरी?
China Vaccines Approval :चीन की ‘सिनोवैक’ और ‘सिनोफ़ार्म’ वैक्सीनों को विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी मिली हुई है।
China Vaccines Approval : भारत में कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) की भारी कमी है जिसके चलते वैक्सीनेशन अभियान (vaccination campaign) रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। वैक्सीन की कमी से निपटने के लिए भारत ने अब विदेशी वैक्सीनों की एंट्री आसान कर दी है और इसके लिए ड्रग कंट्रोलर ऑफ़ इंडिया (drug controller of india) द्वारा नियमों में एक के बाद एक छूट दी जा रही हैं।
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की नई नोटिस के अनुसार जिन वैक्सीनों को अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन, जापान आदि देशों में नियामकीय मंजूरी मिल चुकी है उनको भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी के लिए 'ब्रिजिंग ट्रायल' से छूट दी जा सकती है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से हरी झंडी पा चुकी वैक्सीनें भी बिना ब्रिजिंग ट्रायल के भारत में लॉन्च की जा सकती हैं।
ऐसे में ये सवाल उठ खड़ा हो सकता है कि अब क्या चीनी वैक्सीनों की भी भारत में एंट्री हो जायेगी? क्योंकि चीन की 'सिनोवैक' और 'सिनोफ़ार्म' वैक्सीनों को विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी मिली हुई है। सिनोवैक को तो दो दिन पहले ही डब्लूएचओ ने मंजूरी दी थी।
डब्लूएचओ ने इन वैक्सीनों को दी है मंजूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक 6 अलग अलग कोरोना वैक्सीनों के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। ये वैक्सीनें हैं –
- फाइजर (अमेरिका)
- मॉडर्ना (अमेरिका)
- जॉनसन एंड जॉनसन (अमेरिका)
- आस्ट्रा जेनेका (यूनाइटेड किंगडम)
- सिनोफॉर्म (चीन)
- सिनोवैक (चीन)
चीन की वैक्सीन
ड्रग कंट्रोलर की नई नोटिस के अनुसार चूँकि डब्लूएचओ से चीन की दो वैक्सीनों को मंजूरी मिली हुई है सो वे भारत में आने की योग्यता को पूरा करती हैं। भारत ने साफ - साफ भी नहीं कहा है कि वह चीन से वैक्सीन नहीं लेगा। ऐसे में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
'ब्रिक्स' देशों की कल ही हुई बैठक में चीन ने कोरोना से लड़ने में भारत का साथ देने का संकल्प व्यक्त किया था। इसके पहले भी चीन कई बार भारत को मदद देने की बात कर चुका है। चीन से भारत के रिश्ते तनातनी के हैं लेकिन व्यापार तो बना ही हुआ है। अप्रैल महीने में ही जब कोरोना तबाही मचा रहा था तब बड़ी तादाद में चीन से ऑक्सीजन कंसनट्रेटर, ऑक्सीजन सिलिंडर और अन्य उपकरण इम्पोर्ट किये गए थे। चीन भी भारत के पड़ोसी देशों - बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका आदि को लगातार कोरोना की वैक्सीन दे रहा है। ये बात अलग है कि चीन ने वैक्सीनें दान स्वरूप तो कम दी हैं जबकि कहीं ज्यादा बेची हैं। चीन की वैक्सीनें भारत के पड़ोसी देशों को 10 से 15 डालर के दाम पर बेची गयी है।
बहरहाल, भारत में कई राज्यों ने वैक्सीन खरीद के लिए ग्लोबल टेंडर लांच किये थे। दिल्ली सरकार ने जो टेंडर निकला उसकी शर्तों में कहा गया था कि जिन देशों की सीमायें भारत के साथ लगी हुईं हैं वो टेंडर प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकती। यानी घुमा-फिरा कर चीन को बाहर रखा गया था। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, कई अन्य देशों ने भी यही शर्त रखी थी।