पंजाब में सिद्धू के तीखे तेवर बरकरार, अब सोनिया की टीम से कैप्टन की मुलाकात का इंतजार

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से बनाई गई तीन सदस्यीय समिति इन दिनों पंजाब कांग्रेस का झगड़ा सुलझाने में जोर-शोर से जुटी हुई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-06-02 08:24 GMT

कांसेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया 

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से बनाई गई तीन सदस्यीय समिति इन दिनों पंजाब कांग्रेस का झगड़ा (Punjab Congress fight) सुलझाने में जोर-शोर से जुटी हुई है। समिति के सदस्यों ने सोमवार से पंजाब कांग्रेस के नेताओं के साथ मुलाकात का सिलसिला शुरू किया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Chief Minister Captain Amarinder Singh) के खिलाफ बागी तेवर दिखाने वाले पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू (Former Minister Navjot Singh Sidhu) ने मंगलवार को समिति के सदस्यों के सामने अपना पक्ष रखा।

जानकारों के मुताबिक इस मुलाकात के दौरान सिद्धू अपने पुराने स्टैंड पर कायम रहे और साफ तौर पर कहा कि यदि अगले चुनाव में कैप्टन को ही चेहरा बनाया गया तो पार्टी के लिए चुनाव जीतना मुश्किल होगा। अब हर किसी को समिति के सदस्यों से कैप्टन की मुलाकात का इंतजार है। जानकारों के मुताबिक कैप्टन गुरुवार को समिति के सदस्यों के सामने अपना पक्ष रखेंगे।

सिद्धू ने खुलकर रखी अपनी बात

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से बनाई गई समिति में पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल को शामिल किया गया है। समिति के सदस्यों ने पिछले दो दिनों के दौरान राज्य के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात करके उनका पक्ष जानने की कोशिश की।

इसी सिलसिले में मंगलवार को पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को दिल्ली तलब किया गया था। सूत्रों के मुताबिक समिति के सदस्यों से मुलाकात के दौरान सिद्धू ने खुलकर अपनी बातें रखीं और कैप्टन के खिलाफ उनका बागी तेवर बरकरार रहा। जानकारों के मुताबिक उन्होंने समिति के समक्ष खुलकर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यदि कैप्टन के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया तो कांग्रेस के लिए चुनाव जीत पाना मुश्किल होगा।

अपने स्टैंड पर कायम हैं सिद्धू

मुलाकात के बाद सिद्धू ने कहा कि उनसे जो कुछ भी पूछा गया, उसका उन्होंने पूरी दिलेरी से जवाब दिया है। उनका कहना था कि वह पंजाब की आवाज को हाईकमान तक पहुंचाने आए हैं और अपने स्टैंड पर पूरी तरह कायम हैं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि सत्य प्रताड़ित जरूर होता है मगर सच को हराया नहीं जा सकता।

उन्होंने कैप्टन का नाम लिए बिना कहा कि हमें हर पंजाब विरोधी ताकतों को हराना है। सिद्धू ने कहा कि मैंने हाईकमान के समक्ष बुलंद आवाज में पंजाब की सच्चाई और हक को उजागर किया है। उन्होंने पंजाब, पंजाबियत और हर पंजाबी की जीत होने की बात भी कही।

सिद्धू की नजर प्रदेश अध्यक्ष के पद पर

पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इस चुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस में बढ़ती आंतरिक कलह पार्टी हाईकमान के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। सिद्धू और कैप्टन के बीच में घमासान में पंजाब कांग्रेस के अन्य नेता भी कूद पड़े हैं। सूत्रों के मुताबिक सिद्धू प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहते हैं ताकि वे अगले चुनावों के बाद मुख्यमंत्री के रूप में अपना दावा ठोकने में सक्षम हो सकें। हालांकि यह भी सच्चाई है कि सिद्धू को पार्टी अध्यक्ष के रूप में कैप्टन की मंजूरी मिलना काफी मुश्किल है।

पंजाब कांग्रेस पर कैप्टन की मजबूत पकड़ को देखते हुए हाईकमान भी उनके इच्छा के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाने के मूड में नहीं दिख रहा। हाईकमान पहले भी कैप्टन की इच्छा के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की तैनाती में विफल रहा है। ऐसे में सिद्धू की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी काफी मुश्किल दिख रही है।

अब कैप्टन की मुलाकात का इंतजार

समिति के सदस्यों ने अब तक पंजाब कांग्रेस के लगभग सभी प्रमुख नेताओं से मुलाकात कर ली है। अब हर किसी को कैप्टन और समिति के सदस्यों की मुलाकात का इंतजार है। पहले बुधवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह के समिति के सदस्यों से मुलाकात की बात कही जा रही थी मगर अब जानकारों का कहना है कि कैप्टन गुरुवार को दिल्ली पहुंचेंगे और कमेटी के सदस्यों से मुलाकात में अपना पक्ष रखेंगे।


सोनिया गांधी लेंगी अंतिम फैसला

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से बनाई गई समिति को कोई फैसला लेने का अधिकार नहीं दिया गया है। समिति पंजाब कांग्रेस के नेताओं से बातचीत करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी और इस रिपोर्ट को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपा जाएगा। माना जा रहा है कि रिपोर्ट में कही गई बातों के आधार पर सोनिया पंजाब कांग्रेस के बारे में कोई फैसला लेंगी।

पंजाब में अकाली दल और भाजपा का गठबंधन टूटने और नए कृषि कानूनों पर किसानों की नाराजगी के कारण कांग्रेस को एक बार फिर सत्ता में लौटने की उम्मीद दिख रही है मगर इन उम्मीदों को कांग्रेस के आंतरिक विवाद से चोट पहुंच रही है। इसी कारण कांग्रेस नेतृत्व जल्द से जल्द झगड़े को सुलझाने के लिए सक्रिय हो गया है।

कैप्टन-सिद्धू का झगड़ा सुलझाना आसान नहीं

पंजाब में कांग्रेस के प्रभारी और समिति के सदस्य हरीश रावत का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू दोनों पंजाब में जनाधार वाले नेता है और उनके मतभेद दूर होने से पार्टी को काफी मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं बचा है। इसलिए इन दोनों नेताओं का मतभेद जल्द से जल्द दूर होना जरूरी है।

वैसे पंजाब कांग्रेस के प्रभारी के रूप में रावत पहले भी कैप्टन और सिद्धू के बीच विवाद को सुलझाने की कोशिश कर चुके हैं। रावत ने दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच सुलह कराने की पूरी कोशिश की मगर विफल रहे। रावत की पहल पर दो बार कैप्टन और सिद्धू की मुलाकात हुई मगर दोनों नेताओं के बीच विवाद नहीं सुलझ सका।

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