Congress meeting: क्या PK बदल पाएंगे कांग्रेस की किस्मत? बीते 4 दिनों में कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं के साथ तीसरी बैठक
Congress meeting: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दिल्ली स्थित आवास पर बीते 4 दिनों में आज तीसरे दिन जारी इस बैठक में कई दिग्गज और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मौजूद रहे।
Prashant Kishor News: प्रख्यात चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) पूरे दम-खम के साथ कांग्रेस (Congress) की डूबती नैय्या को पार लगाने की जद्दोजहद में लगे हैं। बीते 4 दिनों में आज तीसरा मौका है जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के आवास "10 जनपथ" पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का जमावड़ा लगा है और यह अवसर है प्रशांत किशोर के चुनावी प्रस्तुतिकरण का। प्रशांत किशोर आगामी लोकसभा और अन्य चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी की रणनीति का रोड मैप तैयार करने में लगे हुए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दिल्ली स्थित आवास पर बीते 4 दिनों में आज तीसरे दिन जारी इस बैठक में कई दिग्गज और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मौजूद रहे, जिसमें सोनिया गांधी, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक, केसी वेणुगोपाल, अंबिका सोनी जैसे नेताओं का नाम शामिल है। इस अवसर पर प्रशांत किशोर लगातार आगामी चुनावी के लिए पार्टी की होने वाली रणनीतियों पर बात कर प्रस्तुतिकरण दे रहे हैं।
आपको बता दें कि कांग्रेस के साथ जुड़ने से पहले प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए ममता बनर्जी की टीएमसी और आंध्र प्रदेश चुनाव के लिए जगह मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लिए चुनावी रणनीति बना चुके हैं, जिसमें दोनों दलों को अपने राज्यों में जीत हासिल हुई थी।
भाजपा को सत्ता से हटाने का बता चुके उपाय
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर पहले भी भाजपा को केंद्र की सत्ता से हटाने का उपाय बता चुके हैं। प्रशांत किशोर ने कहा था कि वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए भाजपा को हराना मुश्किल ज़रूर है लेकिन नामुमकिन नहीं। इसलिए यदि भाजपा को केंद्र की सत्ता से हटाना है तो देश के सभी विपक्षी दलों को एक साथ मिलकर आगामी चुनावी लड़ना होगा।
हालांकि प्रशांत किशोर अपनी इसी बात पर अडिग हैं और कांग्रेस की चुनावी रणनीति भी इसी के इर्द-गिर्द तैयार कर रहे हैं लेकिन दूसरी ओर सुनने में आ रहा है कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं को प्रशांत का यह सुझाव नामंजूर है। उनका कहना है कि यकीनन भाजपा को चुनाव में शिकस्त देने के लिए सभी विपक्षी दलों को साथ आना होगा लेकिन इसमें कुछ राजनीतिक दल ऐसे भी हैं जिनसे कांग्रेस के संबंध बेहतर नहीं हैं।