Corona Vaccine: भारत में बूस्टर डोज़ पर शुरू हुआ काम, पता किया जा रहा कितनी प्रभावी हैं वैक्सीनें

Corona Booster Dose India: भारत में भी वैक्सीन की बूस्टर डोज़ की मांग तेज हो गई है। अब इसे लेकर देश में एक बड़ी स्टडी की जा रही है, जिसमें पता किया जाएगा कि वैक्सीने से लोगों में कितनी एंटीबॉडी बनी और अब बूस्टर डोज की जरूरत है या नहीं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update:2021-12-24 10:59 IST

वैक्सीनेशन (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Corona Booster Dose India: कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरियंट (Coronavirus Omicron Variant) के फैलाव को देखते हुए भारत में भी वैक्सीन की बूस्टर डोज़ (Corona Booster Dose) की मांग की जा रही है। अब इस बारे में देश में एक बड़ी स्टडी (Vaccine Par Study) शुरू की गई है जिसमें पता किया जाएगा कि कोवैक्सिन (Covaxin), कोविशील्ड (Covishield) और स्पुतनिक वैक्सीनों (Sputnik V Vaccines) से लोगों में कितनी एंटीबॉडी (Antibodies) बनी है और अब बूस्टर डोज़ की जरूरत है कि नहीं। 

भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (Biotechnology Department) के ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट (THSTI) ने 3000 प्रतिभागियों पर स्टडी शुरू की है। इन सभी प्रतिभागियों को वैक्सीन की दूसरी डोज़ (Covid-19 Vaccine Second Dose) 6 महीने पहले लग चुकी है। भारत मे लगाई जा रही तीनों वैक्सीनों को इस स्टडी में कवर किया जाएगा। 

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

क्यों लगाया जाता है बूस्टर डोज?

दरअसल, वैक्सीन का उद्देश्य शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबाडीज (Corona Antibodies) पैदा करना होता है। लेकिन ये इम्यूनिटी कुछ ही समय के लिए होती है इसीलिए वैक्सीन की असरदारिता को कायम रखने के लिए बूस्टर लगाया जाता है। कई अन्य वैक्सीनों में भी बूस्टर डोज़ देना पड़ता है। भारत के लोगों में कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक की वैक्सीनें कितने समय तक इम्यूनिटी बनाये रखती हैं, ये पता किया जाना है सो ये स्टडी लांच की गई है। यदि वैक्सीनों से उत्पन्न इम्यूनिटी घटने लगी है, किस हद तक ये घट चुकी है और क्या तुरंत बूस्टर देने की जरूरत है, इन सवालों का जवाब मिलना बाकी है जो इस स्टडी से पता चलेगा।

इस अध्ययन में प्रतिभागियों के ब्लड सैंपल (Blood Samples) लिए जाएंगे और उसकी जांच से देखा जाएगा कि कोशिकाओं में इम्यूनिटी (Immunity) की क्या स्थिति है। शरीर में अगर टी-सेल्स सक्रिय हैं तो यह लंबे समय के लिए इम्यूनिटी की गारंटी देते हैं। यही वे कोशिकाएं हैं, जो वायरस की पहचान करते हैं। इसी तरह बी कोशिकाएं भी एंटीबॉडी बनाती हैं। इस स्टडी में प्रतिभागियों के टी और बी सेल्स की जांच की जाएगी।

तीन तरह की इम्यूनिटी

इम्यूनिटी के तीन प्रकार होते हैं। एक होती है सामान्य इम्यूनिटी (Natural Immunity) जो कोरोना का संक्रमण होने के बाद नेचुरल तरीके से शरीर में बनती है। दूसरी होती है वैक्सीन से बनी इम्यूनिटी (Vaccine Immunity)। और तीसरी होती है हाइब्रिड इम्यूनिटी (Hybrid Immunity)। इसका मतलब यह होता है कि अगर किसी व्यक्ति को कोरोना का संक्रमण हुआ है और उसने वैक्सीन भी लगवाई है तो उस व्यक्ति के शरीर में हाइब्रिड इम्यूनिटी बन जाती है। यह इम्यूनिटी सबसे तगड़ी होती है। वैक्सीन की इम्यूनिटी और बीमारी से निजात के बाद मिली नेचुरल इम्यूनिटी मिलकर यह बनती है।  

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