गांवों में कोरोना फैलने की आशंका, सतर्क हो जाने का समय

देश के गांवों तक कोरोना पहुंच चुका है खासकर उन राज्यों के गांवों में जहां बड़ी संख्या में लोग अन्य राज्यों से पलायन करके लौटे हैं

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Roshni Khan
Update:2021-04-25 12:38 IST

ग्रामीण क्षेत्र (फोटो- सोशल मीडिया)

लखनऊ: देश के गांवों तक कोरोना पहुंच चुका है खासकर उन राज्यों के गांवों में जहां बड़ी संख्या में लोग अन्य राज्यों से पलायन करके लौटे हैं और जहां कोरोना की इस सुनामी के दौर में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। ऐसी संख्या बहुत बड़ी जिन्हें गांव में मताधिकार का प्रयोग करने के लिए उनके परिजनों ने बुलाया है। विशेषज्ञों को आशंका है कि अगले कुछ दिन बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं यदि बाहर से आए लोगों के जरिये गांवों में वायरस फैलता है तो लोगों को बचाना बेहद मुश्किल हो जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार 17 मार्च को गांवों में कोरोना वायरस फैलने के खतरे से आगाह करते हुए कहा था कि गांव में कोरोना वायरस फैलने से बचाना है। यदि ये वायरस गांवों में फैल जाता है तो रोकना मुश्किल हो जाएगा साथ ही गांवों में जांच की सुविधा देने में भी दिक्कत आएगी। अब पीएम मोदी ने एक बार फिर कहा है कि गांवों में कोरोना संक्रमण रोकने के हर संभव प्रयास करें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि गांव के प्रत्येक व्यक्ति का टीकाकरण हो।

प्रधानमंत्री को यह उम्मीद है कि जिस तरह पिछले साल कोरोना की पहली लहर में गांव कोरोना महामारी से अछूते रहे थे इस बार भी सफलता का इतिहास दोहरा सकते हैं। उन्होंने इस लड़ाई में योगदान के लिए पंचायतों की सराहना भी की।

लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी की दूसरी सुनामी जैसी प्रचंड लहर के समय पंचायत चुनावों ने इसके संक्रमण का खतरा बढ़ा दिया है। गांव में पंचायत चुनाव के लिए जनसंपर्क के दौरान लोग बिना सोशल डिस्टेंसिंग के एक दूसरे के संपर्क में आ रहे हैं। इसमें तमाम ऐसे लोग भी खुलकर साथ होते हैं जो बाहर से दूसरे राज्यों से अपने गांव आए हुए हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में महाराष्ट्र जैसे अतिसंवेदनशील राज्यों से लोग पलायन करके आए हैं जो इस महामारी को गांव में फैलने का कारण बन सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि पहली लहर में गांव के लोगों ने बाहर से आने वाले लोगों को क्वारंटाइन कर दिया था उन्हें 15 दिन से पहले गांव में प्रवेश नहीं करने दिया था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। लोग बाहर से आकर चुनावी माहौल में सीधे अपने परिजनों और बाहरी लोगों से घुल मिल जा रहे हैं जो कि गांव में कोरोना फैलने का एक बड़ा कारण बन सकते हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक मई का पहला और दूसरा सप्ताह इस नजरिये से संवेदनशील हो सकता है जब गांवों में कोरोना के संक्रमण के मामलों का ग्राफ बढ़ जाए। इसके लिए सरकार को सजग रहना चाहिए।

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