Corona Vaccination: स्टॉक कम है इसीलिए 90 दिन बाद लगेगी वैक्सीन
Corona Vaccination: रिकवर मरीजों को अभी तक 30 दिन के बाद वैक्सीन लग रही थी लेकिन केंद्र सरकार ने इस अवधि को 90 दिन कर दिया।
Corona Vaccination: कोरोना संक्रमण के बाद रिकवर हुए मरीजों को कोरोना वैक्सीन अब 90 दिन बाद लगेगी। इसकी वजह वैक्सीन की किल्लत है। रिकवर हुए मरीजों को अभी तक 30 दिन के बाद वैक्सीन लग रही थी लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले इस अवधि को 90 दिन कर दिया है। सरकार ने ये अंतराल क्यों बढ़ाया इसकी कोई वजह आधिकारिक तौर पर जनता को नहीं बताई गई है।
टीकाकरण पर भारत सरकार के राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार ग्रुप के प्रमुख नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा है कि ये अंतराल वैक्सीन की बचत के लिए बढ़ाया गया है। अरोड़ा ने कहा कि हमने ये अंतराल तीन महीने, 6 महीने या 9 महीने बढ़ाने पर विचार विमर्श किया और अंत में ये निर्णय लिया कि हम तीन महीने का अंतराल करके मैनेज कर सकते हैं। सो, इसे अब तीन महीने कर दिया गया।
अरोड़ा ने कहा कि भारत में वैक्सीन की कमी को देखते हुए अब सबसे ज्यादा जोखिम वाले लोगों के टीकाकरण पर फोकस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके ग्रुप ने 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को प्राथमिकता में रखा था क्योंकि 75 फीसदी मौतें और गम्भीर बीमारी इसी उम्र वर्ग में रही हैं।
भारत वैक्सीन की भारी कमी से जूझ रहा है और अब किसी तरह सप्लाई बढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं। कोरोना संक्रमण से ठीक हो गए लोगों को आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है कि उनके लिए वैक्सीनेशन का गैप क्यों बढ़ाया गया है। लोग वैक्सीनेशन के लिए जाते हैं लेकिन वहां से लौटा दिए जाते हैं।
बता दें कि इसके पहले सीरम इंस्टीट्यूट ने देश में वैक्सीन की किल्लत की पूरी जिम्मेदारी अब केंद्र सरकार के मत्थे मढ़ दी गई है। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute Of India) ने साफ कहा कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन के स्टॉक (Vaccine Stock) के बारे में जाने बगैर और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइन पर विचार किए बिना 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के टीकाकरण को इजाजत दे दी, जिसकी वजह से ऐसे हालात बन गए हैं।
SII के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव का बयान
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव ने एक स्वास्थ्य संबंधी वर्चुअल समिट में कहा कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन के स्टॉक के बारे पता नहीं किया। यही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन पर भी ध्यान नहीं दिया। और सबके लिए टीकाकरण को इजाजत दे दी। डब्लूएचओ की गाइडलाइन है कि सबसे पहले ज्यादा जोखिम वाले लोगों को कोरोना का टीका लगाया जाना चाहिए। इसमें 60 वर्ष से ऊपर के लोग, किन्हीं बीमारियों से ग्रसित लोग आदि शामिल हैं। सुरेश जाधव ने कहा कि देश को डब्लूएचओ के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए और इसी के अनुसार टीकाकरण किया जाना चाहिए।
जाधव ने कहा कि शुरुआत में 30 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाना था, जिसके लिए 60 करोड़ खुराक की जरूरत थी, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही केंद्र सरकार ने 45 साल और फिर 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका लगाने की इजाजत यह जानते हुए दे दी कि इतनी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
वैक्सीन की कमी पर बहुत बड़ा सबक
जाधव ने कहा कि 'हमने सबसे बड़ा सबक सीखा है कि उत्पाद की उपलब्धता को ध्यान में रखना चाहिए और फिर उसका विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए।' सुरेश जाधव ने यह भी कहा कि टीका लगने के बाद भी लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं, इसलिए सबको बहुत सावधान रहना चाहिए और कोरोना से बचाव नियमों का पालन करना चाहिए। नए वैरिएंट के डबल म्यूटेंट को न्यूट्रलाइज कर दिया गया है फिर भी अन्य वैरिएंट वैक्सीनेशन में मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। जाधव के अनुसार, यह कहना जल्दबाजी होगा कि कौन सा टीका असरदार प्रभावकारी है और कौन सा नहीं। अभी इस पर पर्याप्त डेटा का अध्ययन किया जाना होगा।
गौरतलब है कि देश में वैक्सीनेशन शुरू होने पर अलग अलग कैटेगरी के लोगों को चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन लगाई जा रही थी। इसमें आयुवर्ग के हिसाब से पहले 60 वर्ष के ऊपर के लोगों फिर बाद में 45 के ऊपर वालों को शामिल किया गया। लेकिन जब अप्रैल में अचानक कोरोना की दूसरी लहर का रौद्र रूप सामने आया तो उस अफरातफरी के बीच अचानक वैक्सीनेशन 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों के लिए खोल दिया गया। 60 वर्ष से ऊपर के लोग तो जोखिम आयुवर्ग में बताए गए थे लेकिन 45 और फिर 18 वर्ष से ऊपर वालों के लिए किस आधार पर वैक्सीनेशन खोला गया, ये बताया नहीं गया।