बच्चों को कोरोना से खतरे पर सरकार गंभीर, 2 से 18 आयु वर्ग पर कोवैक्सीन का ट्रायल जल्द

कोरोना वायरस की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए कोवैक्सीन का ट्रायल जल्द ही बच्चों पर शुरू किया जाएगा।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-05-19 09:32 IST

बच्चों पर कोवैक्सीन ट्रायल (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस ( Coronavirus) की तीसरी लहर के बच्चों के लिए खतरनाक होने की आशंका के बीच कोवैक्सीन (Covaxin) का ट्रायल जल्द ही 2 से 18 आयु वर्ग के बच्चों पर शुरू किया जाएगा। भारत बायोटेक (Biotech) और आईसीएमआर (ICMR) की ओर से बनाई गई वैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल 10 से 12 दिनों के भीतर शुरू होने की उम्मीद है। यह जानकारी स्वास्थ्य मामलों पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पाल (Dr. V.K. Pal) ने दी है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री के अरविंद केजरीवाल और कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी सरकार से बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल जल्द शुरू करने की मांग की थी। माना जा रहा है कि बच्चों को कोरोना के खतरे से बचाने के लिए सरकार सतर्क हो गई है और इसी कारण बच्चों पर जल्द ट्रायल शुरू करने की तैयारी है।

10-12 दिनों के भीतर शुरू होगा ट्रायल

इस बाबत डॉक्टर पाल ने बताया कि ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया (Drug Controller of India) की ओर से 2 से 18 वर्ष के बच्चों पर कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल की पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। बच्चों को कोरोना वायरस के खतरे से बचाने के लिए सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है और 10 से 12 दिनों के भीतर बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू हो जाएगा।

दरअसल कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर के बच्चों के लिए खतरनाक होने की आशंका जताई है। जानकारों का कहना है कि इसीलिए सरकार इस दिशा में तेजी से काम करने में जुट गई है ताकि वक्त रहते वैक्सीन की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने किया था अनुरोध

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सिंगापुर में मिले कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को खतरनाक बताते हुए कहा था कि यह भारत में तीसरी लहर का कारण बन सकता है। उनका कहना था कि यह स्ट्रेन बच्चों को अधिक प्रभावित कर रहा है। उन्होंने सिंगापुर से हवाई सेवाओं को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों की के लिए वैक्सीन के विकल्पों पर प्राथमिकता के आधार पर काम किया जाना चाहिए ताकि उन्हें कोरोना के खतरों से बचाया जा सके।

अरविंद केजरीवाल-बच्चों पर कोवैक्सीन ट्रायल (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

कोरोना की लहर कहीं कमजोर तो कहीं हुई तेज

इस बीच कोरोना वायरस की लहर कई राज्यों में कमजोर पड़ी है तो कई राज्यों में संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस बाबत केंद्र सरकार का कहना है कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कोविड-19 के मामलों में कमी दर्ज की गई है जबकि तमिलनाडु, सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में कोरोना केसों में वृद्धि दर्ज की गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश की कुल आबादी का करीब 1.8 फीसद तक कोरोना से काफी प्रभावित हुआ है जबकि 98 फ़ीसदी आबादी संवेदनशील स्थिति में है।

आठ राज्यों में रोगी अभी भी काफी ज्यादा

इस बाबत स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि 8 राज्यों में अभी भी कोरोना मरीजों की काफी संख्या है और विभिन्न अस्पतालों में उपचार करा रहे रोगियों की संख्या एक लाख से अधिक है। पिछले 15 दिनों के दौरान उपचार करा रहे मरीजों की संख्या में लगातार कमी दर्ज की गई है। सरकार के लिए कोरोना से होने वाली मौतें भी चिंता का विषय बनी हुई है क्योंकि मरीजों की संख्या में तो लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है मगर उस अनुपात में कोरोना से होने वाली मौतों में कमी नहीं दर्ज की गई है।

सरकार ने प्लाज्मा थेरेपी को भी कोरोना मरीजों के इलाज की गाइडलाइन से बाहर कर दिया है। डीआरडीओ की ओर से विकसित नई दवा 2डीजी को कोरोना के इलाज में काफी कारगर माना जा रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि दवा की लांचिंग के बाद डॉक्टरों को कोरोना मरीजों के इलाज में इस दवा से कितनी मदद मिल पाती है।

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