Delta Variants: डेल्टा वेरिएंट के सामने कमजोर पड़ी फाइजर की वैक्सीन, सिर्फ 42 फीसदी असरदार

Delta Variants: एक नई स्टडी ने कोरोना की एमआरएनए तकनीक वाली वैक्सीनों, खासकर फाइजर की वैक्सीन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shweta
Update: 2021-08-13 13:07 GMT

कोरोना वायरस (फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)

Delta Variants: एक नई स्टडी ने कोरोना की एमआरएनए तकनीक वाली वैक्सीनों, खासकर फाइजर की वैक्सीन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस स्टडी में पता चला है कि डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ फाइजर की वैक्सीन सिर्फ 42 फीसदी असरदार है। अमेरिका की मेयो क्लीनिक ने इस साल जनवरी से जुलाई के बीच फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीनों की असरदारिता का तुलनात्मक अध्ययन किया है।

अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि इस अवधि में मॉडर्ना की वैक्सीन कोरोना संक्रमण के खिलाफ 86 फीसदी असरदार पाई गई जबकि फाइजर की वैक्सीन 76 फीसदी असरदार थी। कोरोना संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने के मामले में मॉडर्ना वैक्सीन 92 फीसदी व फाइजर की वैक्सीन 85 फीसदी प्रभावी रही।

लेकिन जुलाई महीने में दोनों ही वैक्सीनों की असरदारिता बहुत तेजी से घट गई। दरअसल जुलाई में ही डेल्टा वेरियंट का प्रकोप बहुत तेजी से फैला था। इस महीने मॉडर्ना की वैक्सीन जहां 76 फीसदी प्रभावी पाई गई वहीं फाइजर की असरदारिता मात्र 42 फीसदी रह गई। इस अध्ययन के मुख्य लेखक वेंकी सौन्दराजन का कहना है कि स्टडी के डेटा के अनुसार जहां जहां कोरोना के डेल्टा वेरियंट का ज्यादा फैलाव है वहां मॉडर्ना की वैक्सीन फाइजर के मुकाबले ज्यादा असरदार होने की बहुत संभावना है।

वेंकी सौन्दराजन के अनुसार, सबसे बड़ी बात ये है कि वैक्सीनों में एमआरएनए की मात्रा कितनी है। उन्होंने बताया कि फाइजर की अपेक्षा मॉडर्ना की वैक्सीन में ज्यादा एमआरएनए होता है। मुमकिन है कि वैक्सीनों के असर में ये पहलू भी काम करता है। उन्होंने कहा कि फाइजर की तुलना में मॉडर्ना की दूसरी डोज़ के बाद ज्यादा हल्के साइड इफ़ेक्ट सामने आते हैं। चूंकि वैक्सीन में ज्यादा एमआरएनए होता है सो इससे ज्यादा शक्तिशाली इम्यून रिस्पांस उत्पन्न होता है। इस अध्ययन पर एक्सपर्ट्स ने अभी कोई राय नहीं दी है। वैसे, डेल्टा वेरियंट के बारे में सभी वैक्सीनों की असरदारिता पर अलग अलग नतीजे सामने आए हैं।

इस बीच फाइजर कंपनी ने कहा है कि वह किसी भी वेरियंट के खिलाफ प्रभावी वैक्सीन बनाने की स्थिति में है। जब भी ऐसी वैक्सीन बनाने का निर्णय लिया जाएगा उसके 100 दिन के भीतर काम पूरा कर लिया जाएगा। फाइजर ने कहा कि उसने व सहयोगी कम्पनी बायोएनटेक ने बूस्टर रिसर्च प्रोग्राम की व्यवस्था बना रखी है ताकि उच्चतम संभावित सुरक्षा वाली वैक्सीन उपलब्ध कराई जाती रहे।

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