Coronavirus in India: ज्यादा उम्र और पुरानी बीमारी बन रहा घातक कॉम्बिनेशन

Coronavirus in India: एक तरफ अस्पतालों और आईसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या दूसरी लहर की तुलना में बेहद कम है लेकिन फिर भी ज्यादा मौतें हो रही हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Monika
Update:2022-01-30 11:56 IST

देशभर में कोरोना (फोटो : सोशल मीडिया ) 

Coronavirus in India: देशभर में कोरोना (coronavirus in India) के केस तो अब स्थिर हैं, यानी उनमें बढ़ोतरी नहीं देखी जा रही है लेकिन मौतें लगातार बढ़ रही हैं। लगातार दूसरे दिन लगभग 900 लोगों की मौत हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी रविवार के आंकड़े के अनुसार बीते 24 घंटे में कोरोना के 2.34 लाख मामले सामने आए हैं और 893 लोगों की मौत हो गई। आंकड़ों से पता चलता है कि पुरानी बीमारी (chronic disease) से ग्रसित सीनियर सिटीजन (senior citizens) सबसे ज्यादा जोखिम में पाए गए हैं।

एक तरफ अस्पतालों और आईसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या दूसरी लहर की तुलना में बेहद कम है लेकिन फिर भी ज्यादा मौतें हो रही हैं। लेकिन डाक्टरों का कहना है कि ज्यादा मौतों का मतलब ये नहीं है कि ओमीक्रान वेरियंट (Omicron variant) खतरनाक हो रहा है। चूंकि ओमीक्रान बहुत से लोगों को संक्रमित कर रहा है सो यदि किसी मरीज की मौत अन्य बीमारी से होती है और इत्तेफाकन वह मरीज कोरोना संक्रमित निकलता है तो मौत की वजह कोरोना ही दर्ज की जा रही है।

एम्स (AIIMS)  के एक डॉक्टर के अनुसार, भारत में कोरोना की तीसरी लहर (corona third wave) में ठीक होने की दर, संक्रमण दर से कहीं अधिक प्रतीत होती है। लगभग 95 प्रतिशत कोरोना वायरस संक्रमित मरीज न तो गंभीर रूप से बीमार हुए हैं न उनके अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आई है। लेकिनचिंताजनक बात यह है कि ओमीक्रान के 60 से 70 प्रतिशत मरीज बिना लक्षण वाले हैं। ये व्यक्ति पूरी तरह से अनजान हैं कि वे वायरस से संक्रमित हैं और दूसरों को संक्रमण फैला रहे हैं। इन बिना लक्षण वालों को कोई अन्य बीमारी हुई और मौत हो गई तो भी गाइडलाइन्स के अनुसार उसे कोरोना मौतों में गिना जाता है।

60 प्लस वाले और क्रोनिक बीमारी

इसके अलावा एक विशेष ट्रेंड ये भी देखा गया है कि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों में मौतों की संख्या काफी अधिक है। मिसाल के तौर पर पुणे में इस महीने 27 तारीख तक जो 158 मौतें हुईं उनमें से 60 फीसदी सीनियर सिटीजन्स की थीं जो पहले से किसी न किसी बीमारी से ग्रसित थे। खासतौर पर डायबिटीज का इसमें बड़ी भूमिका रही है। हालांकि दूसरी लहर की अपेक्षा कुल मौतों की संख्या बहुत कम रही लेकिन वृद्धजनों में मृत्यु दर ऊंची ही बनी हुई है। ये भी पता चला है कि जिन वृद्धों की मौत हुई उनमें काफी संख्या ऐसे लोगों की थी जिनको या तो वैक्सीन नहीं लगी थी या सिर्फ एक डोज़ ही लगी थी।

उधर राजस्थान में 18 से 24 जनवरी के बीच 108 मौतों के विश्लेषण से पता चला है कि 65 फीसदी मौतें 60 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों की हुईं हैं। 18.5 फीसदी मौतें 45 से 59 वर्ष के उम्र वालों में दर्ज की गईं। यहां भी ये देखने को मिला है कि 80 फीसदी मौतें उन लोगों की दर्ज की गईं जो डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय रोग या किसी अन्य क्रोनिक बीमारी से पीड़ित थे। राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, आशंका के विपरीत सबसे सुरक्षित उम्र ग्रुप 0 से 14 वर्ष का रहा। इस उम्र ग्रुप में मात्र 3.7 फीसदी मौतें दर्ज की गईं।

दिल्ली में ट्रेंड

दिल्ली में 13 से 25 जनवरी के बीच जो 439 मौतें दर्ज की गईं उनमें से सिर्फ 21 फीसदी यानी 94 मामलों में मौत की मूल वजह कोरोना पाई गई। इनमें भी 60 ऐसे लोग थे जिनको वैक्सीन नहीं लगी थी। यानी यहां भी ज्यादा उम्र, पुरानी बीमारी और वैक्सिनेटेड न होना सबसे खराब स्थिति पैदा कर रहा है।

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