Coronavirus : ब्रेन समेत पूरे शरीर में 230 दिन तक बना रह सकता है कोरोना वायरस

Coronavirus: वैज्ञानिकों के अनुसार ये वायरस श्वास नली के कहीं आगे जा कर कोशिकाओं में मल्टीप्लाई होने की क्षमता रखता है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Monika
Update:2021-12-27 14:30 IST

कोरोना वायरस (फोटो : सोशल मीडिया )

Coronavirus: कोरोना वायरस (coronavirus) के बारे में अब तक की सबसे व्यापक स्टडी से इसकी भयावहता का पता चला है। स्टडी में पता चला है कि कोरोना वायरस किसी इनसान के शरीर (human body) में घुसने के चंद दिनों के भीतर श्वास नली से बढ़ कर हृदय (heart) , ब्रेन (brain) और शरीर के लगभग सभी अंगों (all parts of body) में फैल जाता है और वहां कई महीनों तक बना रह सकता है।

अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों ने शरीर और ब्रेन में कोरोना वायरस की मौजूदगी के बारे में एक व्यापक अध्ययन किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार उनको पता चला है कि ये वायरस श्वास नली के कहीं आगे जा कर कोशिकाओं में मल्टीप्लाई होने की क्षमता रखता है।

प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित होने वाली इस स्टडी में बताया गया है कि शरीर से वायरस हटने में लंबा समय लगने की वजह से मरीजों (Patients) में बहुत दिनों तक कोई न कोई लक्षण (symptoms long time) बना रहता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, शरीर में वायरस की लगातार मौजूदगी क्यों और किस तरह होती है, ये समझने से मरीजों की देखरेख में बहुत मदद मिल सकती है। ये अध्ययन कोरोना संक्रमण की वजह से मारे गए लोगों पर किया गया था। इसमें मृत्यु उपरांत की गई जांच से उपयोगी डेटा हासिल करके उसका विश्लेषण किया गया। ये मरीज ऐसे भी थे जिनकी मृत्यु संक्रमण के काफी दिनों या महीनों बाद हुई। शोधकर्ताओं ने मृतकों के शरीर से टिश्यू ले कर उनकी जांच की थी। ये अध्ययन कोरोना की पहली लहर के दौरान किया गया।

संक्रमण का पहला लक्षण आने के 230 दिनों तक बना रहा

संस्थान के डॉक्टर डेनियल चेरतो के अनुसार, श्वास तंत्र से वायरस का अन्य अंगों में फैलने और शरीर से वायरस क्लियर हो जाने की अवधि कोई निश्चित नहीं पाई गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि संक्रमित लोगों के मस्तिष्क समेत शरीर के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला लक्षण आने के 230 दिनों तक बना रहा। शोधकर्ताओं के अनुसार ब्रेन तक वायरस पहुंचने की स्थिति हल्के लक्षण वालों तथा बिना लक्षण वालों में भी बराबर से पाई गई।

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