Coronavirus: तैयार हो जाएं, महामारी का अगला दौर आने वाला है, बचाव खुद करना होगा

Coronavirus: महामारी की अगली लहर अब आने को है, एक्सपर्ट्स इस बारे में एकमत हैं। बस टाइमिंग को लेकर विचार अलग अलग हैं। एक्सपर्ट्स ने अगली लहर का अनुमान देश में अनलॉकिंग और जनता के व्यवहार को देख कर लगाया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shivani
Update: 2021-06-20 05:27 GMT

Concept image (फोटो- सोशल मीडिया)

Coronavirus : कोरोना महामारी का अगला दौर झेलने के लिए अपनी तैयारियां कर लीजिए। तीन हफ्ते से लेकर तीन महीने के बीच कभी भी संक्रमण की लहर (corona third wave) आ सकती है। सरकार ने तो ऑक्सीजन सप्लाई और अस्पतालों में बेड्स का इंतजाम कर लिये हैं लेकिन आपको वायरस की चपेट में आने से बचने के उपाय खुद करने हैं।

टाइमिंग पर मतभेद

महामारी की अगली लहर अब आने को है, एक्सपर्ट्स इस बारे में एकमत हैं। बस टाइमिंग को लेकर विचार अलग अलग हैं। एक्सपर्ट्स ने अगली लहर का अनुमान देश में अनलॉकिंग और जनता के व्यवहार को देख कर लगाया है। लगभग सभी राज्यों में कोरोना के चलते लगी बंदिशें हटाई जा चुकी हैं और लोग सड़कों, बाजारों में स्वच्छंद रूप से निकलने - घूमने लगे हैं।
- मौजूदा स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार की टास्क फोर्स का आंकलन है कि दो से चार हफ्ते में मुंबई समेत महाराष्ट्र में अगली लहर आ जायेगी।
- मेडिकल विशेषज्ञों के बीच एक सर्वे में निष्कर्ष निकाला गया है कि भारत में इस साल अगस्त से अक्टूबर के बीच कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे सकती है। इस सर्वे में दुनियाभर के 40 डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, वायरोलॉजिस्टों, महामारी विशेषज्ञों और प्रोफेसरों आदि ने हिस्सा लिया था।

- दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि भारत में तीसरी लहर को टाला नहीं जा सकता है और यह छह से आठ सप्ताह में दस्तक दे सकती है।

किन लोगों पर ज्यादा खतरा

वायरस कब किसे अपनी चपेट में ले लेगा, इसके बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। लेकिन ज्यादा जोखिम में कौन है, ये जरूर बताया जा सकता है। ऐसे में अनुमान है कि चूंकि जो लोग पहले दो दौर में संक्रमित हो चुके हैं वे शायद बीमारी की वजह से बनी इम्यूनिटी के चलते ज्यादा सुरक्षित होंगे। ऐसी स्थिति में वे वर्ग सबसे ज्यादा जोखिम वाले माने जा रहे हैं जो अभी तक संक्रमण से बचे रहे। चूंकि बच्चों पर अभी तक वायरस का ज्यादा प्रभाव नहीं देखा गया है सो ये मुमकिन है कि वायरस का कोई म्यूटेशन बच्चों को गिरफ्त में लेना शुरू कर दे। चूंकि बच्चों को वैक्सीन भी नहीं लग रही है सो ये भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर है।
अभी तक के दौर में समाज के गरीब वर्ग, अल्प आय वर्ग और अल्प मध्यम वर्ग के लोग वायरस से कमोबेश अछूते रहे हैं। ऐसे में इस वर्ग के अब जोखिम में रहने की आशंका है। ये वर्ग भी वैक्सीनेशन में अभी बहुत कवर नहीं हुआ है जिसकी वजह जागरूकता और पहुंच का अभाव है।

सुरक्षा का भुलावा न पालें

- वायरस किस तरह का व्यवहार करेगा, कोई नहीं कह सकता। पहले संक्रमित हो चुके लोगों की इम्यूनिटी कितने दिन चलेगी, ये भी पक्का पता नहीं है। ऐसे में ये कतई मान कर नहीं चलना चाहिए कि एक बार संक्रमित हो चुके हैं तो आगे के लिए महफूज़ हो गए। सच्चाई तो ये है कि लोगों में कई कई बार संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं।

- महामारी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन बहुत बड़ा हथियार है। वैक्सीनेशन का काम भी बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा है। लेकिन एक महत्वपूर्ण बात ये है कि वायरस के नए नए वेरियंट के खिलाफ वैक्सीन कितना असरदार होगी, ये नहीं कहा जा सकता। पहले के दौर में ये देखा जा चुका है कि फुल डोज़ के बावजूद कई लोग संक्रमित हुए।

कैसे बचें, क्या करें

एक्सपर्ट्स का कहना है कि हर किसी व्यक्ति को चाहे वह किसी आयुवर्ग का हो, उसे कोरोना उपयुक्त व्यवहार का पालन करते रहना चाहिये। आपको जवान है, वृद्ध हैं, पहले संक्रमित हो चुके हैं, वैक्सीन लग चुकी है - इन सबके बावजूद बेसिक नियमों का पालन जरूरी है। ये नियम वही हैं - डबल मास्क लगाना, बार बार साबुन और पानी से हाथ धोना और भीड़ से दूर रहना। इसके अलावा अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए हरसंभव उपाय करते रहना चाहिए।
बाहर से आयी किसी भी चीज को सेनेटाइज करें, जिस चीज या सतह को कई लोग छूते हैं उसे न छुएं या छूने के बाद हाथ धोएं।

दवा नहीं है कोई

ये हमेशा ध्यान रखें कि कोरोना संक्रमण से उत्पन्न हुई बीमारी की कोई निश्चित दवा नहीं है। अब तो आइवरमेकटिन, डोक्सिसिलिन, जिंक आदि दवाओं को कोरोना के इलाज के प्रोटोकॉल से हटा दिया गया है। एन्टीबॉडी कॉकटेल भी नए वेरियंट पर बेअसर है। ऐसे में ये समझ लें कि सिर्फ बचाव ही इलाज है।
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