ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर सियासी महाभारत, विपक्ष शासित राज्यों की रिपोर्ट में भी किया गया खेल
Death Due To Oxygen Shortage: राज्यसभा में सरकार की ओर से दी गई जानकारी के बाद से ही ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का मुद्दा मीडिया और सोशल मीडिया में छाया हुआ है।
Death Due To Oxygen Shortage: कोरोना महामारी (Coronavirus) की दूसरी लहर (Second Wave) के दौरान ऑक्सीजन की कमी (Oxygen Ki Kami Se Maut) से एक भी मौत न होने के सरकार के बयान के बाद सियासी महाभारत छिड़ गई है। कांग्रेस (Congress) ने आरोप लगाया है कि सरकार संसद (Parliament) के जरिए देश को गुमराह करने की कोशिश में जुटी हुई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार में संवेदनशीलता नहीं है और वह सच्चाई से दूर भाग रही है।
दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि केंद्र सरकार ने राज्यों से प्राप्त हुई रिपोर्ट के आधार पर ही संसद में बयान दिया है। राज्य सरकारों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में ऑक्सीजन से कमी के कारण मौतों का कोई जिक्र नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मीडिया में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की खबरें छाई हुई थीं मगर विपक्ष शासित राज्यों से भी भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके राज्य में ऑक्सीजन की कमी से कोई भी मौत नहीं हुई।
राज्यों की रिपोर्ट पर दिया था संसद में बयान
दरअसल, राज्यसभा में सरकार की ओर से दी गई जानकारी के बाद से ही ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का मुद्दा मीडिया और सोशल मीडिया में छाया हुआ है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट के आधार पर राज्यसभा में कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से देश में एक भी मौत नहीं हुई। उनका कहना था कि केंद्र सरकार की ओर से किसी भी राज्य पर कोरोना से जुड़े आंकड़ों में छेड़छाड़ का दबाव नहीं बनाया गया है। मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के दौरान भी प्रधानमंत्री ने आंकड़ों के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न करने की बात कही थी।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के सवाल के जवाब में मंडाविया का कहना था कि राज्यों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में ऑक्सीजन से की कमी से होने वाली किसी भी मौत का जिक्र नहीं है। स्वास्थ्य राज्यमंत्री प्रवीण भारती पवार का कहना था कि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है मगर कोरोना महामारी के काल में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों की भरपूर मदद की गई है। राज्य सरकारें इस बाबत केंद्र पर कोई दोषारोपण नहीं कर सकतीं।
सरकार के बयान पर गरमाई सियासत
केंद्र सरकार की ओर से दिए गए बयान के बाद से ही इस मुद्दे पर सियासी माहौल गरमाया हुआ है। संसद में केंद्र सरकार के जवाब पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। उन्होंने इस बाबत ट्वीट करते हुए केंद्र सरकार को घेरा था। राहुल ने अपने ट्वीट में कहा कि सिर्फ ऑक्सीजन की ही कमी नहीं थी। संवेदनशीलता और सत्य की कमी है, तब भी थी और अब भी है।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल का कहना है कि वह इस मुद्दे पर स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से सदन को गुमराह करने की कोशिश की गई है क्योंकि हर किसी को इस बाबत सच्चाई का पूरा पता है। दूसरी लहर के दौरान मीडिया में ऑक्सीजन से कमी की कमी से होने वाली मौतों का मुद्दा छाया हुआ था मगर सरकार सच्चाई से मुंह मोड़ने में जुटी हुई है।
कांग्रेस शासित राज्यों की रिपोर्ट में भी खेल
वैसे यह सच्चाई है कि राज्य सरकारों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में भी ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का कोई जिक्र नहीं है। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार है मगर छत्तीसगढ़ सरकार की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि ऑक्सीजन की कमी से राज्य में कोई मौत नहीं हुई।
महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन वाली उद्धव ठाकरे सरकार है और ठाकरे सरकार ने भी ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का कोई जिक्र नहीं किया है। दिल्ली, आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश सरकारों की ओर से भी इसी तरह का दावा किया गया है जबकि सच्चाई यह है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई राज्यों में ऑक्सीजन की किल्लत से होने वाली मौतें सुर्खियां बनी थीं।
भाजपा ने दिया कांग्रेस को जवाब
इस मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से किए जा रहे हमले के जवाब में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि सरकार ने राज्यों के रिपोर्ट के आधार पर संसद में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है और कोरोना के मामलों और मौतों के संबंध में राज्यों की ओर से ही केंद्र सरकार को जानकारी दी जा रही थी। राज्यों की जानकारी के आधार पर ही केंद्र सरकार की ओर से बयान जारी किया गया है।
सच्चाई कभी उजागर नहीं हो सकेगी
दूसरी ओर विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें ऐसे बयान पर कोई हैरानी नहीं हुई है क्योंकि उन्हें पहले से ही ऐसे ही जवाब की पूरी उम्मीद थी। उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि केंद्र और राज्य सरकारों के पास ऐसा कोई सिस्टम ही नहीं है जिससे यह पता लग सके कि दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की किल्लत से कितने लोगों की मौतें हुईं। काफी संख्या में लोगों की मौत घरों पर भी हुई है और उन्हें सरकारी आंकड़ों में कहीं कोई जगह नहीं मिल सकी।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से किसी भी मरीज का ऑर्गन फेल्योर हो सकता है और उसकी मौत हो सकती है। जब मरीज की मृत्यु का प्रमाण पत्र बनाया जाता है तो उस पर ऑर्गन फेल्योर की बात लिखी जाती है और ऑक्सीजन की कमी से मौत का कोई जिक्र नहीं होता। इस कारण इस मामले में सच्चाई शायद कभी उजागर नहीं हो सकेगी।