नहीं खुल सकेगा ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का राज, सियासी दांवपेच में उलझी फाइल

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का खुलासा शायद अब कभी नहीं हो सकेगा।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-08-21 09:35 GMT

ऑक्सीजन की कमी सांकेतिक तस्वीर (साभार-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: राजधानी में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का खुलासा शायद अब कभी नहीं हो सकेगा। इस मामले में जांच के लिए कमेटी बनाने की मंजूरी से जुड़ी फाइल उपराज्यपाल अनिल बैजल ने लौटा दी है। उपराज्यपाल की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद नया विवाद पैदा हो गया है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मुद्दे को लेकर उपराज्यपाल पर बड़ा हमला बोला है।

सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल की दलील है कि इस बात की अब कोई जरूरत ही नहीं है। दिल्ली सरकार की ओर से यह फाइल पहले भी भेजी गई थी। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल के कदम से अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है।

एक ओर केंद्र सरकार की ओर से राज्यों से यह पूछा जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से कितने मरीजों की जान गई और दूसरी ओर उपराज्यपाल हमें ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की जांच ही नहीं करने दे रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को सूचना देना कैसे संभव हो सकेगा।

ऑक्सीजन संकट से हुई मौतों से इनकार नहीं

उपराज्यपाल की ओर से फाइल लौट आने की जानकारी देते हुए सिसोदिया ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में उन्हें कटघरे में भी खड़ा किया। उन्होंने कहा कि इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली को ऑक्सीजन की जबर्दस्त किल्लत का सामना करना पड़ा था।

फोटो- सोशल मीडिया

इसके साथ ही इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कुछ लोगों की जान ऑक्सीजन की कमी की वजह से चली गई थी। हम इस मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन करना चाहते हैं मगर उपराज्यपाल हमें इस कमेटी के गठन से रोक रहे हैं। ऐसे में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का खुलासा आखिर कैसे हो सकेगा।

केंद्र सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

सिसोदिया ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल के इस कदम से साफ है कि केंद्र सरकार की मंशा है कि हम बिना जांच पड़ताल किए लिखित रूप में दे दें कि ऑक्सीजन की कमी से राजधानी में कोई मौत नहीं हुई। अगर दिल्ली सरकार की ओर से यह कदम उठाया जाता है तो यह झूठ के सिवा कुछ नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि गत अप्रैल और मई महीने के दौरान केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण पूरे देश को ऑक्सीजन संकट का सामना करना पड़ा। यह जांच का विषय है कि यह संकट जानबूझकर पैदा किया गया या इसमें कोई गलती थी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले में अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए कि ऑक्सीजन संकट के लिए वही जिम्मेदार है।

स्वास्थ्य मंत्री को भी लिखी थी चिट्ठी

सिसोदिया ने पिछले हफ्ते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को इस बाबत चिट्ठी भी लिखी थी कि जांच के बिना इस बात का पता लगाना काफी मुश्किल काम है कि ऑक्सीजन की कमी से दूसरी लहर के दौरान हुई मौत हुई थी या नहीं। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाना जरूरी है और दिल्ली सरकार की ओर से कमेटी के गठन के लिए उपराज्यपाल से नए सिरे से मंजूरी मांगी जा रही है।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फोटो- सोशल मीडिया)

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार और अदालतों की ओर से ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की जानकारी मांगी जा रही है, लेकिन बिना जांच किए ऐसी मौतों की कोई जानकारी देना संभव नहीं है।

दिल्ली सरकार ने इस बात का पता लगाने के लिए जून में विशेषज्ञों की चार सदस्यीय समिति का गठन किया था मगर उपराज्यपाल ने समिति को पूरी तरह खारिज कर दिया था। सरकार की ओर से नए सिरे से फाइल उपराज्यपाल के पास भेजी गई थी मगर उन्होंने इसे भी ठुकरा दिया है।

गृह मंत्रालय ने भी नहीं उठाया कदम

उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल के कदम से साफ है कि केंद्र सरकार की ओर से ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की जानकारी मांगना नाटक के सिवा कुछ नहीं है और केंद्र सरकार सही आंकड़ों को छिपाने की कोशिश में लगी हुई है। दिल्ली सरकार ने इस बाबत कमेटी के गठन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी चिट्ठी लिखी थी।

इस चिट्ठी में अनुरोध किया गया था कि वे उपराज्यपाल को कमेटी के गठन की मंजूरी का निर्देश दें मगर गृह मंत्रालय की ओर से भी इस बाबत उपराज्यपाल को कोई निर्देश नहीं दिया गया। इस कारण इस फाइल को एक बार फिर नामंजूर कर दिया गया।

मीडिया में छा गई थीं मौतों से जुड़ी खबरें

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से कई मरीजों की जान जाने की खबरें मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थीं मगर अब इस मामले को लेकर सियासत गरमाई हुई है।

उपराज्यपाल की ओर से फाइल को मंजूरी न दिए जाने के बाद साफ है कि इस मामले में अब कमेटी का गठन कर पाना संभव नहीं है। जांच के बिना शायद इस बात का खुलासा अब कभी नहीं हो सकेगा कि राजधानी में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से आखिर कितनी मौतें हुईं।

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