Delhi Riots Case: किस बात पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर लगाया जुर्माना, जानिए
Delhi riots case: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हिंसा 2020 के दौरान पुलिस ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठीक से नहीं किया।
Delhi riots 2020: पिछले साल 23 फरवरी 2020 को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अचानक दंगा भड़क गया था। उत्तर पूर्व दिल्ली के जाफराबाद सहित अन्य इलाकों में रक्तपात, संपत्ति विनाश, दंगा और हिंसक घटनाएं हुई थी। दिल्ली के इस दंगे में 50 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे। वहीं सैकड़ों लोग लापता हो गए थे। इसी मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यह जुर्माना दिल्ली हिंसा के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन ठीक से नहीं कर पाने की वजह से लगाया है।
साल 2020 में इस दंगे की शुरुआत उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में हुई थी, जहां भारत के नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के खिलाफ महिलाओं द्वारा बैठकर सीलमपुर, जाफराबाद, मौजपुर मार्ग को अवरुद्ध किया गया था। इसको लेकर भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने दिल्ली पुलिस से सड़कों को खाली करने का आह्वान किया था। इस दौरान मोहम्मद नासिर को आंख में गोली लग गई थी। वह पुलिस के पास अपनी शिकायत लेकर एफआईआर दर्ज कराने गया था। लेकिन पुलिस ने नासिर की शिकायत दूसरी एफआईआर में जोड़ दिया।
कोर्ट ने लगाया ये आरोप
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पूरा मामला देखने के बाद ऐसा लगता है कि पुलिस ही आरोपियों को बचा रही है। कड़कड़डूमा कोर्ट की सेशन कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के एक मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ने अपना काम सही तरीके से नहीं किया। पुलिस ने इस मामले में बड़ा ही ढीला रवैया अख्तियार किया। इसी को लेकर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर 25000 का जुर्माना लगा दिया।
एक और मामले में पुलिस को लगी थी फटकार
गौरतलब हो कि इससे पहले 6 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को पिछले साल उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामले में दायर आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र की सामग्री संबंधित अदालत द्वारा संज्ञान लेने से पहले ही मीडिया को लीक होने की जांच करने के लिए दो और सप्ताह की अनुमति दी।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने निर्देश दिया कि जांच पर रिपोर्ट वाली फाइल सुनवाई की अगली तारीख पर उसके समक्ष पेश की जाए। जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र एवं दंगों के आरोपी आसिफ इकबाल तनहा ने पिछले साल हाई कोर्ट का रुख किया था। इकबाल तनहा ने पुलिस अधिकारियों पर आरोप पत्र में अपने कथित खुलासे वाले बयान को मीडिया को लीक करने में अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया था। जो जांच के दौरान दर्ज किया गया था।